Lok Sabha Chunav 2024: प्रदेश की राजनीति में पिछले 6 दिन में बड़ा उल्टफेर देखने को मिला। 12 मार्च को भाजपा- जजपा का साढ़े चार साल पुराना गठबंधन टूटा और मनोहर लाल की जगह नायब सैनी मुख्यमंत्री बने। 13 मार्च को नए मुख्यमंत्री ने विधानसभा में विश्वास मत हासिल किया तो मनोहर ने मुख्यमंत्री के बाद विधायक पद छोड़ा तो पार्टी ने करनाल से लोकसभा का टिकट थमा दिया। विधायक दल की बैठक बीच में छोड़कर निकले प्रदेश भाजपा के सीनियर नेताओं में से एक अनिल विज की नायब सैनी के शपथ ग्रहण से दूरी राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गई।
शनिवार को नायब सैनी का दूसरा मंत्रीमंडल विस्तार टला तो, नए मंत्रियों के लिए राजभवन पहुंची सरकारी गाड़ी कुछ समय बाद ही वापस लौट गई। राजनीतिक उथल पुथल के बीच इनेलो ने ओमप्रकाश चौटाला के बाद अपने सबसे कद्दावर नेता अभय सिंह चौटाला को कुरूक्षेत्र से उम्मीदवार बना दिया। जिससे गठबंधन में भाजपा से दो सीट मांगने वाली जजपा ने भी सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ने का मंथन शुरू कर दिया।
प्रदेश में गठबंधन सरकार के रहते लोकसभा चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के बीच होने वाला सीधा मुकाबला अब किसी सीट पर तिकानी तो किसी पर चार के बीच होने की राह पर है। ऐसे में यह कहे तो शायद गलत नहीं होगा कि एक राजनीतिक फैसले ने प्रदेश में 25 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा की सभी लोकसभा सीटों की चुनावी फाइट का परिदृश्य उलट पुलट कर राजनीतिक चिंतकों को फिर से चिंतन करने के लिए विवश कर दिया है।
जजपा ने शुरू किया बैठकों का दौर
भाजपा से गठबंधन टूटने के अगले ही दिन हिसार में रैली करने वाली जजपा ने शनिवार को चुनावी की घोषणा के साथ ही सभी लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए कार्यकर्ताओं के साथ मंथन करना शुरू कर दिया। गठबंधन में हिसार व भिवानी सीट पर दावा करने वाली जजपा ने शुक्रवार को अंबाला व कुरूक्षेत्र और शनिवार को को सोनीपत व गुरुग्राम सीट को लेकर कार्यकर्ताओं से चर्चा की। रविवार को फरीदाबाद व रोहतक सीट को लेकर कार्यकर्ताओं से मंथन होगा। ऐसा कर जजपा ने सभी 10 सीटों पर चुनाव लड़ने के संकेत दे दिया है। जिसे जजपा बाकी बची करनाल व कुरूक्षेत्र सीट को लेकर कार्यकर्ताओं से चर्चा के बाद स्पष्ट कर सकती है। हिसार से खुद दुष्यंत चौटाला खुद चुनाव लड़ेंगे और 13 मार्च की हिसार रैली में इसके संकेत भी दे दिए थे। भिवानी महेंद्रगढ़ से अजय चौटाला या दिग्विजय चौटाला के चुनाव लड़ सकते हैं। भिवानी महेंद्रगढ़ और हिसार के अलावा जजपा के रोहतक, कुरूक्षेत्र व सोनीपत लोकसभा के चेहरों पर सबसे अधिक नजर रहेगी।
इनेलो पहले ही दे चुकी बड़ा संदेश
2019 के चुनाव से पहले दो फाड़ हुए चौटाला परिवार (इनेलो) भले ही राजनीतिक संघर्ष के दौर से गुजर रहा हो, परंतु प्रदेश में ओमप्रकाश चौटाला व अभय चौटाला की राजनीतिक प्रतिबंधता किसी से छुपी नहीं है। कुरूक्षेत्र सीट से खुद मैदान में उतरकर अभय चौटाला ने न केवल अपने कैडर को बड़ा संकेत दिया, बल्कि कुरूक्षेत्र को भी हॉट सीट की श्रेणी में ला खड़ा किया। रोहतक में नफे सिंह राठी की पत्नी चुनाव मैदान में आई तो उन्हें दुष्यंत का समर्थन मिल जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। जिससे रोहतक चुनाव के परिणाम चौकाने वाले हो सकते हैं। इनेलो हिसार व भिवानी सीट पर किसी अपना उम्मीदवार बनाती है, यह देखना भी रोचक रहेगा। देवीलाल व ओमप्रकाश चौटाला की प्रदेश के मतदाताओं पर खास पकड़ रही है, अब देखना यह होगा कि परिवार में टूट के इस परिवार से जुड़े मतदाता साढ़े चार साल सत्ता में रही दुष्यंत की पार्टी जजपा के साथ जाते हैं या राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले दुष्यंत के चाचा अभय चौटाला के साथ।
अब तक क्या हुआ
हरियाणा में 25 मई को होने वाले लोकसभा चुनाव में अभी चार प्रमुख राजनीतिक फ्रंट दिख रहे हैं। समझौते में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को एक सीट दी है तथा आप ने केजरीवाल के बाद अपने सबसे कद्दावर नेता डॉ. सुशील गुप्ता को उम्मीदवार बनाया है। भाजपा ने 6 उम्मीदवार व इनेलो ने एक उम्मीदवार घोषित किया है। जजपा ने भी किसी सीट पर उम्मीदवार की अधिकारिक घोषणा नहीं की है। कांग्रेस ने भी अपने हिस्से आई नौ सीटों पर अभी उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं। अभी तक दीपेंद्र रोहतक, श्रुति चौधरी भिवानी महेंद्रगढ़, कुमारी सैलजा सिरसा या अंबाला, जयप्रकाश हिसार, राव दान सिंह या कैप्टन अजय यादव गुरुग्राम से संभावित उम्मीदवार माने जा रहे हैं, परंतु नई परिस्थितियों में कहां कौन चुनाव में कांग्रेस का चेहरा बनेगा, सूची आने तक इस पर संशय बना रहेगा। हिसार, रोहतक व सोनीपत में उम्मीदवार को लेकर भाजपा भी वेट एंड वाच की स्थिति में दिख रही है।