Panchkula Mansa Devi Mandir: हरियाणा के पंचकूला में माता मनसा देवी का मंदिर बेहद खास और धार्मिक स्थल है। जहां श्रद्धालु बड़ी उमंग और भक्ति के साथ आते हैं। इस मंदिर का इतिहास बड़ा ही प्रभावशाली है। यह मंदिर भारत में 51 प्रमुख शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यहां की मान्यता है कि माता मनसा देवी से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है, जहां लाखों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं।

मनसा देवी मंदिर का निर्माण कैसे हुआ

माता मनसा देवी मंदिर का निर्माण साल 1811 से 1815 के बीच महाराजा गोपाल सिंह ने किया था। इसके पहले माता सती के मस्तिष्क का भूमिगत भाग यहां पर स्थित था, जहां से इस मंदिर के निर्माण की शुरुआत की गई थी।

राजा के किले से मंदिर तक बनी थी एक लम्बी गुफा

कहा जाता है कि जिस जगह पर आज माता मनसा देवी का मंदिर है, यहां पर सती माता के मस्तक के आगे का हिस्सा गिरा था। मनसा देवी का मंदिर पहले मां सती के मंदिर के नाम से जाना जाता था। मान्यता है कि मनीमाजरा के राजा गोपालदास ने अपने किले से मंदिर तक एक गुफा बनाई हुई थी, जो लगभग 3 किलोमीटर लंबी है। वे रोज इसी गुफा से मां सती के दर्शन के लिए अपनी रानी के साथ जाते थे। जब तक राजा दर्शन नहीं करते थे, तब तक मंदिर का कपाट नहीं खोला जाता था। वहीं, 9 सितम्बर 1991 को हरियाणा सरकार ने माता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड का गठन करके मनसा देवी परिसर को अपने हाथ में ले लिया था।

200 सालों से भी पुराना है यह मंदिर

लगभग 200 सालों से यहां पर लोग आकर माता मनसा देवी के दरबार में माथा टेकते थे। माता मनसा देवी का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना कि अन्य सिद्ध शक्तिपीठों का। इस मंदिर में देश-विदेश से भी श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं, ताकि वे माता मनसा देवी के दर्शन कर सकें। यहां हर साल अनेकों माता के भक्त नवरात्रि और दुर्गाष्टमी जैसे त्योहारों पर भी आकर माता की पूजा-अर्चना करते हैं।

क्या है मनसा देवी की कथा

इस प्राचीन मंदिर को लेकर एक कथा यह भी है कि मनसा देवी को भगवान शिव और माता पार्वती की छोटी पुत्री माना जाता है। इनकी उत्पत्ति मस्तक से हुआ है इस कारण इनका नाम मनसा पड़ा। महाभारत के अनुसार इनका वास्तविक नाम जरत्कारु है और इनके समान नाम वाले पति महर्षि जरत्कारु और पुत्र आस्तिक जी हैं।

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मनसा देवी के मुख्य मंदिर में माता की मूर्ति स्थापित है। मूर्ति के आगे तीन पिंडियां हैं, जिन्हें मां का रूप ही माना जाता है। ये तीनों पिंडियां महालक्ष्मी, मनसा देवी और सरस्वती देवी के नाम से जानी जाती हैं। मंदिर की परिक्रमा पर गणेश, हनुमान, द्वारपाल, वैष्णो देवी, भैरव की मूर्तियां और शिवलिंग स्थापित है।