योगेंद्र शर्मा, हरियाणा: हरियाणा हॉर्टिकल्चर (उद्यान विभाग) विभाग में घोटाले और इसकी जांच में भ्रष्टाचार की पुष्टि होने के बाद सूबे की मनोहर सरकार मामला सीबीआई को सौंपने की तैयारी में है। बागवानी विभाग में पूरे मामले को लेकर सरकार पहले ही दर्जन भर अफसरों पर शिकंजा कस चुकी है। विभाग के डीजी सहित दर्जनभर अधिकारियों पर गाज गिराई गई थी। विभाग महानिदेशक और विभाग के दर्जनभर अफसरों पर इसकी आंच पहुंची थी। कार्रवाई यहीं पर नहीं थमी, क्योंकि केंद्र सरकार की स्कीम होने के कारण केंद्र की ओर से सीबीआई जांच को लेकर हरियाणा की राज्य सरकार से सहमति मांगी गई है। राज्य सरकार की ओर से सीबीआई जांच को लेकर हरिझंडी देने के साथ ही आरोपित अफसरों की नींद हराम हो गई है।

अनुदान राशि बांटने में करोड़ों के घोटाले का हुआ था खुलासा

बता दें कि किसानों को फार्मर प्रोड्यूस आर्गनाइजेशन (एफपीओ) की अनुदान राशि बांटने में करोड़ों का घोटाले हो जाने के बाद इसका खुलासा हुआ था, जिसके बाद राज्य सरकार ने कार्रवाई की थी। मामले में बीते वर्ष मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कड़े तेवर के बाद बागवानी विभाग के करीब दर्जनभर अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। लेकिन केंद्र सरकार की ओर से पूरे मामले में गंभीरता दिखाई गई और कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हुए बल्कि पूरे मामले में उच्च स्तरीय जांच करने को कहा। केंद्र की स्कीम और उसके पास पुख्ता सबूतों के साथ घोटाले की शिकायत पहुंची थी। लिहाजा केंद्र ने हरियाणा सरकार को पत्र लिखकर मामले की सीबीआई से जांच कराने के लिए सहमति मांगी। पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य की मनोहर सरकार ने सहमति दे डाली। अगले सप्ताह तक फाइलों में भी केंद्र सरकार को सहमति पत्र भेजे जाने की तैयारी है।

घोटाले में कई बड़े अफसर लपेटे में आएंगे

सूत्रों की माने तो इस घोटाले में विभाग के कई बड़े अफसर लपेटे में आएंगे। गौरतलब है कि अनुदान राशि में गड़बड़ी की शिकायत को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के आदेशों पर बागवानी विभाग के 10 अफसरों के खिलाफ निलंबन और अन्य तरह की कार्रवाई की गई थी। बागवानी विभाग के चार अफसरों को निलंबित कर दिए जाने  के साथ ही अंडर रूल 7 के तहत चार अफसरों को चार्जशीट किया था। वहीं रूल आठ के तहत छह सीनियर अफसरों के खिलाफ कार्रवाई हुई थी। एफपीओ की अनुदान राशि नहीं कराई थी, साथ ही इसमें हेराफेरी कर गोलमाल किया गया। केंद्र के पास जो शिकायत पहुंची है, उसमें आरोप लगाया कि अधिकारियों ने एफपीओ के नाम पर मंजूर होने वाली अनुदान राशि किसानों के खाते में जमा ही नहीं कराई।