हरियाणा विधानसभा चुनाव में हैट्रिक लगाने के बाद भाजपा ने आज सीएम के नाम का ऐलान कर दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पंचकूला में विधायक दल की बैठक में नायब सैनी को बतौर मुख्यमंत्री घोषित कर दिया है। खास बात है कि अंबाला कैंट से सातवीं बार विधायक चुने गए अनिल विज और गुरुग्राम से दिग्गज सांसद राव इंद्रजीत भी पीछे छूट गए हैं। आइये जानने का प्रयास करते हैं कि नायब सैनी में ऐसी क्या खूबियां हैं, जिसने इन दोनों महारथियों को सीएम दौड़ में परास्त कर दिया है।
महत्वाकांक्षा से ज्यादा पार्टी के लिए समर्पित
राजनीति के जानकारों की मानें तो राव इंद्रजीत और अनिल विज सीएम पद को लेकर महत्वाकांक्षी नजर आए हैं। हालांकि दोनों नेताओं ने स्पष्ट कर दिया था कि वे हाईकमान के हर फैसले को स्वीकार करेंगे, लेकिन चर्चाएं चल रही थी कि कहीं बाद में गुटबाजी न हो जाए। ऐसे में भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह को यह जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अमित शाह ने बैठक के शुरू होने के चंद मिनट बाद ही नए सीएम के नाम का ऐलान कर दिया। नायब सैनी की खासियत रह देखी जा रही है कि वो महत्वाकांक्षा से परे होकर पार्टी के लिए काम करते रहे, जिसका फल बतौर सीएम पद के रूप में मिला है।
सत्ता विरोधी लहर को दूर किया
नायब सैनी की दूसरी खासियत यह रही कि उन्होंने मनोहर लाल की जगह सीएम बनने के बाद सत्ता विरोधी लहर को कम करने में बेहतरीन कार्य किया। उन्होंने प्रदेश के हर हिस्से में जाकर चुनाव प्रचार किया। उन्होंने हर वर्ग के लोगों को भाजपा से जोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने घोषणाओं में भी कोई भेदभाव नहीं किया। ऐसे में स्पष्ट था कि अगर नायब सैनी मुख्यमंत्री बनाए जाते हैं, तो वो निजी महत्वकांक्षा के चलते किसी विशेष क्षेत्र का विकास करने की बजाए पूरे प्रदेश का संपूर्ण विकास करेंगे।
नायब सैनी के चेहरे पर जीता चुनाव
हरियाणा विधानसभा चुनाव भी नायब सैनी के चेहरे पर लड़ा गया था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि नायब सैनी मुख्यमंत्री हैं और आगे भी मुख्यमंत्री रहेंगे। राव इंद्रजीत जहां चुनाव से पहले पार्टी की गुटबाजी के चलते परेशान थे, वहीं अनिल विज को भी जीत के लिए निर्दलीय प्रत्याशी चित्रा सरवरा से कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। अगर कांग्रेस प्रत्याशी परमिंदर और चित्रा सरवरा मिलकर चुनाव लड़ते, तो अनिल विज को इस सीट पर परेशानी आ सकती थी। यह भी वजह है कि हरियाणा विधानसभा चुनाव जीतने के लिए नायब सैनी को बड़ा तोहफा मिला है।
नायब सैनी का अब तक का सियासी सफर
हरियाणा के नए सीएम नायब सैनी ने 1996 में भाजपा ज्वॉइन कर अपने सियासी सफर की शुरुआत की थी। इससे पहले वे आरएसएस से जुड़े थे। उन्होंने पहली बार 2009 में हरियाणा की नारायणगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं सके। इसके बाद भी वे पूरी निष्ठा से पार्टी के लिए कार्य करते रहे। 2014 के विधानसभा चुनाव में पहली बार विधायक बने, जिसके बाद उन्हें हरियाणा सरकार में राज्य मंत्री बनाया गया।
2019 के लोकसभा चुनाव में कुरुक्षेत्र से सांसद चुने गए। 2023 में भाजपा ने हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी। 2024 में सत्ता विरोधी लहर को काटने की बात आई, तो नायब सैनी पर ही भरोसा जताया गया। उन्होंने हरियाणा के 11वें सीएम के तौर पर शपथ ली। अब 2024 के विधानसभा चुनाव में लाडवा सीट से जीत हासिल की। उनके नाम पर ही यह पूरा चुनाव लड़ा गया था। ऐसे में उन्हें फिर से सीएम चुन लिया गया है।