Nuh: बीते साल 31 जुलाई को नूंह में शोभायात्रा के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा मामले में दर्ज तीन केसों में करीब 6 महीने बाद गैर कानूनी गतिविधियां निषेध कानून (यूएपीए) की धारा जोड़ी गई है। इससे जहां आरोपी पक्ष में दहशत का माहौल है, वहीं आरोपियों की मुश्किल बढ़ने से इंकार नहीं किया जा सकता। विश्वसनीय सूत्रों का मानना है कि नूंह दंगों में दर्ज तीन एफआईआर में करीब छह महीने बाद यूएपीए की धारा जोड़ी गई है, जिनमें दो मुकदमें नूंह शहर थाना जबकि एक सदर नूंह थाने में दर्ज हुआ था।

होमर्गाड व बजरंग दल के कार्यकर्ता कह हत्या से जुड़ा है मामला 

सूत्रों का मानना है कि दो मुकदमें एक होमगार्ड व बजरंग दल कार्यकर्ता की हत्या से जुड़े हुए हैं। जबकि एक मामला नूंह साइबर थाने में भीड़ द्वारा हमला करने का है। यूएपीए जैसी गंभीर धारा के जुड़ने से आरोपी पक्ष और उनके परिजन बेहद भयभीत हैं। नूंह हिंसा के मामलों की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता ताहिर हुसैन देवला तथा रमजान चौधरी एडवोकेट ने कहा कि पुलिस ने 6 महीने बाद जांच पूरी होने, चालान पेश करने के बाद में तीन केसों में एफआईआर नंबर 253, 257 यह शहर थाना की एफआईआर हैं और एफआईआर नंबर 401 यह सदर थाना नूंह की एफआईआर है। इन तीन एफआईआर में यूएपीए की धाराएं जोड़ी हैं। यह बेहद सीरियस मामला है। कम से कम उम्रकैद तथा फांसी की सजा तक हो सकती है।

जमानत रद्द की कोर्ट में लगाई जाएगी याचिका 

एडवोकेट रमजान ने कहा कि जो लोग जमानत करा चुके हैं, उनकी जमानत रद्द करने की एप्लीकेशन कोर्ट में लगाई जाएगी और उसके बाद कोर्ट में बहस होगी। बिना कोर्ट के ऑर्डर के उन लोगों को हिरासत में नहीं लिया जा सकेगा। यह सेंट्रल एक्ट है, इसके लिए केंद्र से भी इजाजत मांगी जाएगी। ऐसे संगठन पर यह धारा लागू होती है, जिसको सरकार ने बैन किया हो, अगर उसके बावजूद भी इस तरह की गतिविधियां मिलती हैं तो उनके खिलाफ यूएपीए की धारा लगाई जाती है। इस तरह के केस में यह धाराएं जोड़ना सरासर गलत है। वह चुप नहीं बैठेंगे, पूरी मजबूती से कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। कौम को डराने की कोशिश की जा रही है। झूठे केसों में लोगों को फंसाया गया है।

नूंह हिंसा में आधा दर्जन लोगों की हुई थी मौत

बता दें कि नूंह हिंसा के दौरान करीब आधा दर्जन लोगों की मौत हुई थी। बड़ी संख्या में लोग घायल हुए थे। दर्जनों वाहन आग के हवाले कर दिए गए। हिंसा मामले में नूंह पुलिस ने पूरे जिले में करीब 61 मुकदमें दर्ज किए थे, जिनमें 350 से अधिक आरोपियों की गिरफ्तारी की गई। एक जानकारी के मुताबिक गिरफ्तार किए गए 100 से अधिक आरोपियों की जमानत भी हुई है। इस हिंसा के लगभग सभी मामलों में पुलिस की ओर से आरोप पत्र पहले दाखिल किए जा चुके थे।