Pitru Paksha 2024: देश भर में 18 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो जाएगा, जिसके लिए लोगों ने अपने-अपने घरों में तैयारियां शुरू कर दी है। वहीं, कुछ लोग पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए या फिर अपने पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए कई तीर्थ स्थलों पर जाने का प्लान भी बनाते हैं। लेकिन कई बार वह समय न होने के कारण नहीं जा पाते हैं और अगर आप भी उन्ही में एक हैं और दिल्ली या हरियाणा के पास रहते हैं, पिंडदान के लिए गया नहीं जा पा रहे हैं,  तो आप हरियाणा के इन जगहों पर भी पिंडदान कर अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

पूंडरी का फल्गु तीर्थ

कैथल के पूंडरी स्थित फल्गु तीर्थ में कभी फल्गु नदी बहती थी,  लेकिन अब लोग यहां पर बने पांच सरोवर में पिंडदान करते हैं। माना जाता है कि बिहार के गया की तरह फल्गु तीर्थ में भी देश के कोने-कोने से लोग यहां तर्पण करने के लिए आते हैं। यह तीर्थ आज से बल्कि महाभारत के समय से ही यहां पर स्थित है, इसलिए यह भी कहा जाता है कि युधिष्ठिर ने यहां आकर पिंडदान किया था। इसी वजह से फल्गु तीर्थ भी श्राद्ध कर्म और पितरों की आत्मिक शांति और पिंडदान के लिए प्रसिद्ध तीर्थ गया की तरह पवित्र तीर्थ स्थलों में शामिल है।  

पूंडरी का फल्गु तीर्थ

पुराणों के अनुसार, फलकी-वन फरल गांव में पितृ पक्ष की सोमावती अमावस्या को स्नान, तर्पण और श्राद्ध करने से गया जाने से भी अधिक फल की प्राप्ति होती है। माना यह जाता है कि फलकी वन के स्मरण मात्र से ही हमारे पितरों का कल्याण सुनिश्चित हो जाता है और यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि फल्गु तीर्थ में देवता सदैव निवास करते हैं और यहां के पावन सरोवर में स्नान करने से हमें अक्षय अनन्त पुण्य की प्राप्ति होती है।

पिहोवा का पृथुदक तीर्थ

कुरुक्षेत्र के पिहोवा में स्थित पृथुदक तीर्थ भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में प्रसिद्ध है। पितृ पक्ष के दौरान यहां पर देश भर से लोग पावन सरस्वती तीर्थ में स्नान, पूजा और पिंडदान कर अपने पितरों के लिए मोक्ष की कामना करने के लिए आते हैं। पृथुदक तीर्थ को लेकर पुराणों में कहा गया है कि पिहोवा शब्द पृथुदक शब्द से अलग होकर बना है। महाराज पृथु द्वारा बसाया गया प्राचीन शहर पृथुदक जो वर्तमान समय में पिहोवा के नाम से जाना जाता है। महाभारत सहित अनेक पुराणों और धार्मिक ग्रन्थों में पिहोवा को कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, पुष्कर और गया से भी अधिक महत्व दिया गया है।

पिहोवा का पृथुदक तीर्थ

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यहां की मान्यता है कि  भगवान कृष्ण के कहने पर महाराजा युधिष्ठिर ने महाभारत युद्ध में अपने परिजनों और मारे गए वीरों की आत्मा की शांति के लिए यहीं पर और पिंडदान करते हैं। इतना ही नहीं बल्कि यह भी माना जाता है कि यहां स्नान करने से सारे पाप नष्ट हो जाते है और लोगों को अश्वमेध यज्ञ की फल की प्राप्ति के साथ-साथ स्वर्गलोक की भी प्राप्ति होती है। पितृपक्ष के अलावा लोग यहां पर चैत्र अमावस्या को भी यहां स्नान करने का विशेष महत्व माना गया है।  इसी दिन यहां विशाल मेला लगता है जिसमें देश के कोने-कोने से लाखों लोग यहां पहुंच कर अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और कर्मकांड करते हैं।