रवींद्र राठी, Bahadurgarh: लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। नामांकन दाखिल करने का दौर शुरू हो चुका है। राजनीतिक दलों के नेताओं-कार्यकर्ताओं द्वारा जीत के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व को लेकर जनता में कोई उत्साह नजर नहीं आ रहा। शुरुआती हालात देखकर कोई अंदाजा नहीं लगा सकता कि रोहतक लोकसभा क्षेत्र में कमल खिलेगा या हाथ जमेगा। भाजपा और कांग्रेस ने चुनाव जीतने की योजनाएं सिरे चढ़ानी शुरू कर दी हैं। लेकिन दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों में चली आ रही गुटबाजी के कारण किसी को भी शुरुआती सियासी बढ़त नहीं मिल पा रही।
5 हलकों में जीत के बाद भी दीपेंद्र को देखना पड़ा हार का मुंह
बता दें कि पिछले चुनाव में 9 में से 5 विधानसभा हलकों में जीत हासिल करने के बावजूद दीपेंद्र हुड्डा को हार का मुंह देखना पड़ा था। रोहतक जिले के सांपला-गढ़ी-किलोई तथा महम में कांग्रेस जीती थी, जबकि रोहतक और कलानौर में भाजपा को जीत मिली थी। झज्जर जिले के चार हलकों में से बेरी, बादली व झज्जर में कांग्रेस और बहादुरगढ़ में भाजपा को बढ़त मिली थी। रेवाड़ी जिले के कोसली में मिली एकतरफा बढ़त ने लोकसभा क्षेत्र में पहली बार कमल खिलाने में अहम योगदान किया था। मिशन 2024 फतेह करने के लिए राजनीतिक बिसात बिछ चुकी है। इस बार भी मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही होता नजर आ रहा है।
शहरी क्षेत्र में फोकस कर रही कांग्रेस, ग्रामीण में भाजपा
पिछले अनुभव से सबक लेते हुए कांग्रेस प्रत्याशी जहां शहरी इलाके पर फोकस कर रहे हैं। वहीं भाजपा उम्मीदवार इस बार ग्रामीण हलकों में ज्यादा मेहनत कर रहे हैं। दोनों दलों में व्याप्त गुटबाजी इस लक्ष्य को पाने में बाधक बनी हुई है। पूर्व विधायक नफे सिंह राठी की हत्या के बाद इनेलो को पूरे जिले में झटका लगा है। जबकि बादली से जजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके संजय कबलाना जेजेपी छोड़ चुके हैं। कई अन्य नेता भी जजपा को अलविदा करने के मूड में दिख रहे हैं। रिकॉर्ड की बात करें तो झज्जर जिले में कांग्रेस काफी मजबूत नजर आ रही है। यहां चारों विधानसभा सीटों पर कांग्रेस काबिज है। झज्जर से गीता भुक्कल, बेरी से डॉ. रघुवीर कादियान, बहादुरगढ़ से राजेंद्र सिंह जून व बादली से कुलदीप वत्स विधायक हैं। ये चारों पूर्व विधायक भूपेंद्र हुड्डा के समर्थक हैं।
संगठन के हिसाब से कांग्रेस कमजोर, भाजपा मजबूत
संगठन के लिहाज से कांग्रेस बेहद कमजोर है। बीते दस सालों से ना कोई जिलाध्यक्ष नियुक्त हुआ और ना ही कोई ब्लॉक अध्यक्ष। दिल्ली से सटे इस जिले में सब कुछ हुड्डा भरोसे चल रहा है। पिछली बार मिली अप्रत्याशित हार के बावजूद कांग्रेसी सबक लेते नहीं दिख रहे। भाजपा की बात करें तो प्रत्याशी डॉ. अरविंद शर्मा बादली हलके के गांव एमपी माजरा के निवासी हैं और झज्जर शहर में भी उनका आवास है। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ भी झज्जर जिले से ही हैं। सांगठनिक दृष्टि से भाजपा बेहद मजबूत है। महत्वपूर्ण पदों पर बीते दिनों की गई नियुक्ति से पार्टी ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। यहां पहले बिजेंद्र दलाल और फिर विक्रम कादियान के बाद अब राजपाल शर्मा जिलाध्यक्ष हैं।