Panipat Chulkana Dham: हरियाणा के पानीपत में स्थित चुलकाना धाम वह पावन धरा जहां बाबा श्याम जी ने अपने शीश का दान कर दिया था। यह वही पावन धरा है, जहां श्री कृष्ण जी ने महाबली दानी वीर बर्बरीक को विराट स्वरूप के दर्शन दिए थे। यह मंदिर पानीपत के समालखा कस्बे से 5 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मंदिर को कलयुग का सर्वोत्तम तीर्थ स्थान माना गया है।

क्या है इसकी कथा

चुलकाना धाम का सम्बन्ध महाभारत से जुड़ा है। भीम के पुत्र घटोत्कच का विवाह दैत्य की पुत्री कामकन्टकटा के साथ हुआ था। इनका पुत्र बर्बरीक था। बर्बरीक को महादेव और विजया देवी का आशीर्वाद प्राप्त था। उनकी आराधना से बर्बरीक को तीन बाण प्राप्त हुए, जिनसे वह सृष्टि तक का संहार कर सकते थे।

इस कारण कृष्ण ने बर्बरीक की परीक्षा ली और उनसे, उनका शीश दान में मांगा लिया। कृष्ण ने बर्बरीक के शीश को अपने हाथ में लेकर अमृत से सींचा और उस शीश को अमर करते हुए एक टीले पर रखवा दिया और कहा कि तुम्हे मेरे नाम से जाना जाएगा। कलयुग में तुम ही लोगों को उधार करोगे। तब से यहां अब उनका मंदिर है। जिसे श्याम बाबा के नाम से जाना जाता है।

मंदिर में पीपल की मान्यता  

इस मंदिर में एक पीपल का पेड़ भी है। जिसके सारे पत्तों में छेद है। माना जाता है कि शीश मांगने से पहले श्री कृष्ण ने बर्बरीक के बल की परीक्षा ली थी। इसके लिए श्री कृष्ण ने बर्बरीक को पीपल के पत्तों में छेद करने के लिए कहा। इस दौरान उन्होंने पीपल के एक पत्ते को अपने पैर तले दबा लिया।

इसके बाद बर्बरीक ने एक ही बाण से पीपल के सभी पत्तों में छेद कर दिया। जिसके बाद श्रीकृष्ण ने कहा कि एक पत्ता रह गया है, तब बर्बरीक ने कहा कि आप अपना पैर हटाएं, क्योंकि बाण आपके पैर के नीचे पत्ते में छेद करके ही लौटेगा। माना जाता है कि तब से अब तक चुलकाना धाम पर मौजूद पीपल के पत्तों में आज भी छेद है।  

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धागा बांधकर मांगते हैं मन्नत

अपनी मनोकामना को पूरी करने के लिए लोग इस पीपल के पेड़ की परिक्रमा करते हैं। पेड़ पर धागा बांधकर लोग मन्नत भी मांगते हैं। माना जाता है कि मन्नत का धागा बांधने से लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है। श्याम बाबा के दर्शन के लिए हरियाणा के अलावा कई राज्यों से भक्त यहां आते हैं। श्याम बाबा के मंदिर में राम भक्त हनुमान, श्री कृष्ण, बलराम, भगवान शिव के परिवार समेत अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं। यहां एकादशी और द्वादशी पर मेला भी लगता है।