OP Chautala Tribute: सिरसा के चौटाला गांव में आज यानी 31 दिसंबर मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की रस्म पगड़ी और श्रद्धांजलि सभा रखी गई है। सभा में ओपी चौटाला के परिवार के अलावा सीएम नायब सैनी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, हरियाणा के गवर्नर बंडारू दत्तात्रेय और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, पंजाब के पूर्व डिप्टी CM सुखबीर बादल और पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत बादल भी शामिल हुए हैं। सभा का आयोजन चौधरी साहिबराम स्टेडियम में किया गया है।
जानकारी के मुताबिक, श्रद्धांजलि सभा में करीब 10 हजार लोगों के खाने का इंतजाम किया गया है। श्रद्धांजलि कार्यक्रम के लिए अलग-अलग मंच की व्यवस्था की गई है। ओपी चौटाला की तेरहवीं की रस्म में घर की बड़ी बहू नैना चौटाला ने गाय पूजन की रस्म निभाई है। सुरक्षा को देखते हुए कड़े प्रबंध किए गए हैं।
चौटाला गांव के आसपास 5 किलोमीटर के एरिया में ड्रोन, ग्लाइडर उड़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। सभा स्थल के आस-पास पुलिस बल तैनात किया गया है, जिनमें 15 डीएसपी शामिल है। इसके अलावा 9 मजिस्ट्रेटों की भी तैनाती की गई है। वीआईपी वाहनों के लिए विशेष पार्किंग की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा पांच अलग पार्किंग स्थल की व्यवस्था की गई है।
चौटाला साहब का जीवन हरियाणा के लिए समर्पित- सीएम सैनी
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पूर्व सीएम ओपी चौटाला को याद करते हुए कहा, 'चौटाला साहब ने हरियाणा को विकास की नई दिशा देने का काम किया था। चौटाला साहब अपना गौरवशाली जीवन जी कर गए, हमें उनसे बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है। आगे उन्होंने कहा कि हरियाणा के लिए उनका जीवन समर्पित रहा है। भगवान चौटाला साहब की आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें।'
राजनीतिक में एक युग का अंत- जेपी नड्डा
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी ओपी चौटाला के लिए कहा, 'चौटाला साहब के जाने की खबर हमारे लिए बहुत दुखदायी है। चौटाला का जाना परिवार के लिए दुख का विषय नहीं, पूरे हरियाणा और देश के लिए है। इनका निधन एक तरीके से राजनीतिक क्षेत्र में एक युग का अंत है।
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पिता के वचन को ताउम्र निभाऊंगा- अभय सिंह चौटाला
इंडियन नेशनल लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव अभय सिंह चौटाला ने अपने पिता ओमप्रकाश चौटाला को याद करते हुए कहा, दुनिया का सबसे बड़ा दुख तब होता है, जब सिर से पिता का हाथ उठ जाता है, अभय चौटाला ने कहा कि वो ताकतवर हाथ था, जिसने मुझे बचपन से उंगली पकड़कर चलना सिखाया, सीना तान कर चलना सिखाया, जितना दुख मुझे हो रहा है उसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता।
उनके जाने से जो परिवार और राजनीतिक शून्य पैदा हुआ है उसे मैं बयान नहीं कर सकता।' अभय चौटाला ने यह भी कहा, उनके पिता और दादा ने अपने उसूलों से समझौता नहीं किया। अपनी जिंदगी के आखिरी दशक में भी हजारों कार्यकर्ताओं के परिवारों को नौकरी देने का काम किया है।
अभय चौटाला ने यह भी कहा, 'मैंने एक बेटे का फर्ज का निभाया, एक भाई का फर्ज निभाया, एक पिता का फर्ज निभाया। मैं वादा करता हूं जो पिता को वचन दिया था उसे ताउम्र निभाऊंगा। मैं लाखों कार्यकर्ताओं से इतना ही कहूंगा। सुख-दुख हमारे जीवन का हिस्सा है। हम चौटाला साहब को वापस तो नहीं ला सकते, लेकिन उनके सपनों को साकार करेंगे।
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