MP Forest Deportment : मध्य प्रदेश के 6592 वनरक्षकों से 165 करोड़ रुपए की वसूली की जाएगी। वित्त विभाग के मुताबिक, प्रत्येक वनरक्षक को डेढ़ से 5 लाख तक सरकारी खजाने में जमा कराने होंगे। वन विभाग को जारी इस आदेश से वनरक्षकों में हडकंप मचा हुआ है। उनके समक्ष यह स्थित मूलवेतन (वेतन बैंड) की गलत गणना के चलते बनी है। 

दरअसल, मध्य प्रदेश में 2006 तक वनरक्षकों का वेतनबैंड 2750 और ग्रेड-पे 1800 पर होता था। प्रमोशन पर उन्हें 3050 वेतन बैंड और 1900 ग्रेड-पे मिलता था। 2006 में 6वां वेतनमान लागू होने के बाद सरकार ने वनरक्षकों का वेतन बैंड 5680 और ग्रेड-पे 1900 कर दिया गया। वित्त विभाग ने पत्र में बताया, वन विभाग ने वेतन की गलत गणना की है और कोषालय अधिकारी भी उन्हें बढ़ा हुआ वेतन जारी करते रहे।

डेढ़ से पांच लाख तक की वसूली 
वित्त विभाग के निर्देश के बाद वनरक्षकों से 1.50 से 5 लाख तक की वसूली होगी। 2006 से 5680 वेतन बैंड ले रहे वनरक्षकों से 5 लाख और 2013 से लाभ लेने वाले वनरक्षकों को 1.50 लाख रुपए सरकार खजाने में जमा करने होंगे। आदेश के मुताबिक, हर कर्मचारी ने वेतन बैंड में 480 रुपए महीने अधिक लिए हैं। इस पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज भी लौटानी होगी। 

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वन विभाग के प्रस्ताव से हुआ खुलासा 
दरअसल, वन विभाग ने वनरक्षकों को 5680 वेतन बैंड देने का प्रस्ताव राज्य शासन को भेज था। जिसमें बताया गया कि 8 साल 8 माह में 6592 वनरक्षकों को 5680 वेतन बैंड लाभ मिला। वित्त विभाग के अफसरों ने वन विभाग के प्रस्ताव का परीक्षण किया तो पता चला कि वनरक्षक भर्ती नियम में 5200 का वेतन बैंड देने का प्रावधान है, लेकिन कुछ लोगों को 5680 वेतन बैंड दिया जा रहा है। 

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वेतन बैंड में सुधार के निर्देश 
अनियमितता सामने आने के बाद वित्त विभाग के अफसरों ने वन विभाग का प्रस्ताव वापस कर वनरक्षकों के वेतन बैंड में सुधार के लिए कहा। वित्त विभाग ने वन अधिकारियों के साथ सभी कोष लेखा अधिकारियों को भी इस संबंध में निर्देशित किया है। वन विभाग ने मैदानी अफसरों को भी पत्र जारी किया है कि वनरक्षकों का वेतन वित्त विभाग के निर्देशों के अनुसार ही बनाएं।