Bhopal Farmers Protest: मध्यप्रदेश में बिजली के बढ़े रेट और फसल के कम दाम जैसे कई मुद्दों को लेकर बुधवार को किसान मंत्रालय का घेराव करने पहुंचे थे, लेकिन इससे पहले ही डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा धरनास्थल पर आ गए। डिप्टी सीएम ने कहा, मुझे पता लगा कि किसान वल्लभ भवन आ रहे तो सरकार खुद उनके पास आ गई। डिप्टी सीएम ने किसानों की सारी मांगों को पूरा करने की बात कही। किसानों ने शिकायती आवेदनों से भरा झोला डिप्टी सीएम को सौंप दिया।
बता दें, भारतीय किसान संघ के बैनर तले जुटे किसान लिंक रोड नंबर-1 स्थित ऑफिस के सामने धरना दे रहे थे। उनका कहा कि सरकार फसलों के अच्छे रेट के नाम पर हर बार झुनझुना पकड़ा देती है।
राजधानी की सड़कों पर हल्ला बोल
भारतीय किसान संघ के मध्य भारत प्रांत अध्यक्ष सर्वज्ञ दीवान का कहना है कि भारतीय किसान संघ ने मध्यप्रदेश सरकार के खिलाफ विरोध का बिगुल फूंका है। एमपी में किसान राजस्व विभाग के फौती नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, बटांकन, नक्शा सुधार जैसे कार्यों में की जा रही लूट से परेशान हो गया है। मनमानी अफसरशाही के खिलाफ एमपी का किसान खेतों से निकलकर राजधानी की सड़कों पर 5 फरवरी को अपने अधिकार के लिए अन्नदाताअधिकार रैली निकालेगा। लिंक रोड नंबर-1 स्थित भाकिसं कार्यालय के सामने बुधवार को किसान धरना-प्रदर्शन करेंगे। वल्लभ भवन का घेराव कर सरकार के खिलाफ नारेबाजी होगी।
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इन मांगों को लेकर किसानों ने खोला मोर्चा
किसानों ने कई मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला है। किसानों का कहना है कि डीएपी, यूरिया खाद सहकारिता के माध्यम से नगद वितरण समय पर किया जाए। सभी मंडियों में फ्लेट कांटों से तुलाई अनिवार्य हो। मंडी परिसर में ही भुगतान हो। पूसा बासमती धान को जीआई टैग दिया जाए। धान 3100 रुपए और गेहूं 2700 रुपए प्रति क्विंटल खरीदा जाए।
नकली दूध बनाने वालों पर सख्त कार्रवाई
किसानों ने फौती नामांतरण, बंटवारा, सीमांकन, बटांकन, ऑनलाइन रिकॉर्ड और नक्शा सुधारने की मांग की है। इसके अलावा हॉर्स पावर क्षमता वृद्धि वापस ली जाए। ट्रांसफॉर्मर और लाइनें समय सीमा में बदली जाएं। नकली दूध बनाने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की मांग की है। प्रदेश में गो-अभयारण्य खोलने, प्रस्तावित और स्वीकृत नहरों के कार्य जल्द पूरा करने, सभी फसलों को एमएसपी से नीचे नहीं खरीदने और किसानों के झूठे प्रकरण वापिस करने की मांग की है।
कलेक्टर से कई बार की शिकायत, हुआ कुछ नहीं
किसानों का कहना है कि अपनी समस्याओं को लेकर तहसील और जिला स्तर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपे, लेकिन समस्या पर प्रशासन ने कोई ध्यान नहीं दिया है। इसलिए अपनी समस्याओं को सुनाने और निदान के लिए सरकार के दरवाजे पर आने के लिए मजबूर हैं। किसानों का कहना है कि बिजली के बिल भेजे जा रहे हैं। जिससे परेशान हैं। किसान बिजली कंपनियों द्वारा बिना जांच के भार वृद्धि करने के कारण आंदोलन के मूड में हैं और उसने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।