MP Political News: मध्यप्रदेश में किसान सोयाबीन के भाव 6000 रुपए प्रति क्विंटल करने की मांग कर रहे हैं। गेहूं और धान के दाम भी बढ़ाने की मांग की जा रही है। वहीं, किसानों की मांग को मध्यप्रदेश कांग्रेस ने भी व्यापक स्तर पर उठाने का फैसला किया है। इसी के चलते 20 सितंबर से एमपी कांग्रेस प्रदेश में किसान न्याय यात्रा निकालने जा रही है। इसमें ट्रैक्टर रैली निकाली जाएगी। बिजली बिल वसूली को लेकर कलेक्टर कार्यालयों का घेराव किया जाएगा।
शुक्रवार को पीसीसी अध्यक्ष जीतू पटवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जल्द ही पूरे कार्यक्रम की घोषणा करेंगे। इसमें जीतू पटवारी ने कहा कि देश में 78 प्रतिशत किसानों की आबादी है। एमपी में बड़े स्तर पर खेती किसानी होती है। यहां गेहूं, सोयाबीन और धान का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है।
पटवारी ने केंद्रीय कृषि मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की घोषणा याद दिलाते हुए कहा कि वह एक लाख बार कह चुके है कि किसानों की आय दोगुनी की जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में बरेली में किसानों की आय को दोगुना करने की बात कही थी। पटवारी ने केंद्र सरकार के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि प्रदेश के किसान की एक दिन की आमदनी 27 रुपए है जबकि उसी किसान पर औसत कर्ज 74 रुपए है।
किसानों की आय घटी, कर्ज बढ़ा
पटवारी ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान का झूठ उजागर हो गया। उन्होंने हाल ही में लोकसभा के अंदर कहा कि हमने किसानों की आय को दोगुना कर दिया है। इससे मोदी जी का दोगुनी आमदनी करने का झूठ में उजागर हो गया है। 2022 में पेश संसदीय समिति की रिपोर्ट में बताया गया कि मध्यप्रदेश में किसानों की आय घट गई है। 2015-16 में एक किसान की आय 9740 रुपए थी जो कि 2017-18 में घटकर 8,339 रुपए रह गई। उल्टा किसानों पर कर्जा बढ़ता जा रहा है।
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चुनावी राज्यों में कर रहे घोषणा
जीतू पटवारी ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री रहते हुए किसानों से गेहूं का भाव 2700 रुपए प्रति क्विंटल और धान का दाम 3100 रुपए प्रति क्विंटल करने का वादा किया था। पटवारी ने कहा कि एमपी में भाव तय नहीं कर पाए। अब चुनावी राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक और तेलंगाना में सोयाबीन का दाम बढ़ाने की घोषणा की है।
इधर, एसोसिएशन ऑफ मुस्लिम प्रोफेशनल्स की ओर से 8वीं नेशनल अवार्ड फॉर एक्सीलेंस इन एजुकेशन 2024 में एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने नया बयान दिया है। इसमें उन्होंने कहा कि देश की आबादी में सिर्फ 74 प्रतिशत मुस्लिम साक्षर हैं। महिलाओं में 60 प्रतिशत ही साक्षरता है। यह आंकड़ा SC-ST के लगभग बराबर है, लेकिन नौकरियों में SC-ST से मुस्लिम आबादी काफी नीचे है।