MP Government: मध्य प्रदेश में मोहन सरकार बड़े शहरों को एक-दूसरे से जोड़ने की एक बड़ी योजना पर काम कर रही है। इसके तहत हाई स्पीड कॉरिडोर (ग्रीन फील्ड एलाइनमेंट) का निर्माण कराया जाएगा। इस पर करीब 6 हजार 200 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस लागत से 1572 किमी सड़क बनाई जाएगी। इस रोड की गुणवत्ता कुछ इस तरह की होगी कि इस पर बगैर किसी बाधा के वाहन अपनी पूरी स्पीड से आ-जा सकेंगे। प्रदेश में इस तरह की पहली ऐसी योजना है, जिसके जरिए भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर व सागर जिले को जोड़ दिया जाएगा। यह मौजूदा मार्ग से बिल्कुल ही अलग होगा।

समय की होगी बचत
बड़े शहरों को जोड़ने की इस योजना पर काफी समय से काम चल रहा है, किंतु अब जाकर इसकी कार्य योजना तैयार हो चुकी है। इससे जुड़ा प्रस्ताव स्थानीय स्तर पर मंजूर हो चुका है। इसे अब केंद्रीय सड़क मंत्रालय के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। वहां से मंजूरी मिलने के बाद इस पर काम शुरू हो जाएगा। दरअसल, जिस तरह से सड़कों पर ट्रैफिक बढ़ता जा रहा है, ऐसे में बड़े शहरों में आने-जाने पर काफी वक्त लग रहा है। सबसे अधिक समस्या माल दुलाई यानी ट्रांसपोर्टरों को आ रही है। यदि इस तरह की कोई सड़क बनकर तैयार हो जाती है तो एक तरफ एक से दूसरे शहर की दूरी कम होगी, दूसरे आवागमन आसान हो जाएगा। निर्वाध आवागमन से माल ढुलाई में काफी कम समय लगेगा। इसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनारचार आई) से कराने का निर्णय लिया गया है।

लंबाई 120 किमी होगी
अभी फिलहाल महज 5 शहरों को जोड़ने पर काम चल रहा है। इसमें भोपाल-इंदौर हाई स्पीड कॉरिडोर की लंबाई 120 किमी होगी। यह रोड कहां से निकलेगी, इस पर अभी काम शुरू नहीं हुआ है। हालांकि इसका खाका तैयार हो चुका है। दूसरी सड़क भोपाल-जबलपुर हाईस्पीड कॉरिडोर होगी। इसकी कुल लंबाई 232 किमी होगी। अभी यह 300 किमी से ज्यादा है। इस रोड के बन जाने से भोपाल व जबलपुर की दूरी कम हो जाएगी। तीसरी रोड भोपाल से उज्जैन होगी। इससे पीथमपुर जुड़ेगा। इसकी लंबाई 220 किमी होगी। चौथी सड़क भोपाल से चंदेरी ग्वालियर होगी। इसकी लंबाई 400 किमी होगी। पांचवी रोड भोपाल-सागर-दमोह-कटनी-रीवा हाई स्पीड कॉरिडोर होगी। इसकी लंबाई 600 किमी है। कुल 1572 किमी सड़क बनाई जाएगी।

6 लेन सड़क के लिए करोड़ों का खर्च
बड़े शहरों को जोड़ने की योजना के तहत रोड 6 लेन की होगी। इस रोड को बनाने पर करीब 30 से 40 किमी प्रति किमी का खर्च आएगा। रोड पर एक निश्चित दूरी पर टोल लगेगा। इस टोल से निर्धारित राशि एक निश्चित समय तक ही वसूल किया जा सकेगी। केंद्रीय सड़क मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद जमीन अधिग्रहण से लेकर टेंडर आदि की प्रक्रिया पूरी कराई जाएगी। इस हाई स्पीड कॉरिडोर को भारत सरकार के विजन -2047 की योजना एवं मप्र सरकार के संकल्प पत्र के उद्देश्य को लेकर तैयार किया जाएगा।