MP News: जबलपुर में तहसीलदार की गिरफ्तारी और प्रदेशव्यापी आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने बड़ा फैसला किया है। राजस्व विभाग ने सभी कलेक्टरों और संभागायुक्तों को 3 साल पुराना आदेश रिमाइंड कराते हुए ऐसी कार्रवाई से बचने के निर्देश दिए हैं। बताया कि, राजस्व न्यायालयों के पीठासीन अधिकारियों को कानूनी संरक्षण प्राप्त है।
आदेश में स्पष्ट किया गया कि तहसीलदारों को 3 साल पहले राजस्व न्यायालय के पीठासीन अधिकारी के तौर पर मिले अधिकारों का ध्यान रखा जाए। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को लिखे पत्र में बताया गया कि तहसीलदारों को न्यायाधीश के अधिकार प्राप्त हैं। प्रोटोकाल को ध्यान में रखते हुए कार्रवाई के लिए निर्देशित करें।
2021 से लागू है व्यवस्था
राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल ने कलेक्टरों को निर्देशित किया है। बताया कि 25 मार्च 2021 को जारी आदेश में राजस्व न्यायालयों के पीठासीन अधिकारियों को न्यायाधीश (संरक्षण) अधिनियम 1985 के तहत संरक्षण देने की व्यवस्था की गई है। सामान्य प्रशासन विभाग ने भी 31 जनवरी 1994 को इसके लिए निर्देशित किया था।
न्यायाधीश के तौर पर संरक्षण प्राप्त
प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल ने कहा, विधिक प्रावधान में अर्द्ध न्यायिक या न्यायिक कार्यवाही करने वाले राजस्व न्यायालय के सभी पीठासीन अधिकारी न्यायाधीश हैं। संरक्षण अधिनियम की धारा 3(2) के तहत उन्हें संरक्षण प्राप्त है। खासकर, न्यायिक प्रक्रिया के तौर पर किए गए किसी कार्य के लिए सिविल कार्रवाई नहीं की जा सकती।
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संभागायुक्त और कलेक्टरों की जिम्मेदारी
पीएस ने कहा, संभागायुक्त और कलेक्टर समन्वय बनाएं प्रमुख सचिव विवेक पोरवाल ने कहा, कानूनी प्रावधानों का पालन करना संभागायुक्त और कलेक्टरों की जिम्मेदारी है। इसलिए अधिकारियों के बीच समन्वय के साथ क्षेत्राधिकार का भी ध्यान रखा जाए। प्रमुख सचिव ने तहसीलदारों की हड़ताल के बाद राजस्व मंत्री करण सिंह वर्मा से चर्चा के बाद यह निर्देश जारी किए हैं।
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यूं बढ़ा तहसीलदारों का आक्रोश
दरअसल, जबलपुर जिले में पदस्थ तहसीलदार हरि सिंह धुर्वे द्वारा की गई वारिसाना नामांतरण प्रक्रिया निरस्त कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। बाद में उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया गया। तहसीलदार हरि सिंह की गिरफ्तारी से प्रदेशभर में बवाल मच गया। जबलपुर कलेक्टर के कार्रवाई की मांग को लेकर पूरे प्रदेश में कामबंद हड़ताल शुरू कर दी गई।