Strict instructions to private hospitals in MP: निजी अस्पतालों में उपचार के दौरान किसी की मौत जाने पर प्रबंधन बिल भुगतान के लिए मरीज के शव को बंधक नहीं बना पाएंगे। परिजनों द्वारा शव प्राप्त न करने तक या लावारिस होने पर शव को गरिमा के साथ रखना होगा। शव के लिए फ्रीजर या कोल्ड स्टोरेज जैसी व्यवस्था भी करनी होगी। ऐसा न करने पर अस्पताल पर कठोर कार्रवाई की जा सकती है। 

सीएमएचओ कार्यालय के अनुसार भोपाल शहर में लगभग 450 निजी अस्पताल संचालित हैं। एक हजार से अधिक क्लीनिक पंजीकृत हैं। इन अस्पतालों में हर दिन करीब 500 मरीजों की मृत्यु होती है। बिल भुगतान न हो पाने पर अक्सर वाद विवाद की स्थिति बनती है। कई बार तो अस्पताल प्रबंधन शव ही रिलीज नहीं करते। कोविड के समय ऐसी घटनाएं ज्याद देखने सुनने को मिल रही थीं। 

मानवाधिकार आयोग ने लिया था स्वत संज्ञान 
स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को निजी अस्पतालों में शवों के रख-रखाव को लेकर दिशा निर्देश जारी किए हैं। कोविड काल में लावारिश पड़े शवों को लेकर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लेकर यह नियन जारी किए हैं। मानवाधिकार आयोग द्वारा नियम जारी करने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने भी नर्सिंग होन्स व निजी अस्पताल को पत्र जारी किया है। कई बार निजी अस्पतालों में बिल भुगतान न होने की स्थिति में शव को परिजनों को न सौंपने और विवाद के मामले सामने आते हैं।

फ्रीजर नहीं तो कोल्ड स्टोरेज तक पहुंचाएं शव 
जारी नियामें में परिजनों को शव प्राप्त न होने तक फ्रीजर में उचित तरीके से रखना होगा। हलांकि, निजी अस्पतालों में कोल्ड स्टोरेज और फ्रीजर की व्यवस्था न होने से न होने से शव ऐसे छोड़ दिए जाते हैं। नर्सिंग होम एक्ट में भी अस्पतालों में कोल्ड स्टोरेज बनाने का प्रावधान है। निजी अस्पतालों को शव कोल्ड स्टोरेज तक पहुनने की व्यवस्था करनी होगी। 

डॉ रणधीर बोले नया नियम स्वागत योग्य 
भोपाल नर्सिंग एसोसिशन के अध्यक्ष डॉ रणधीर सिंह ने स्वस्थ्य विभाग के नए नियमों का संगठन की ओर से स्वागत करते हुए कहा, कोई अस्पताल पैसों के लिए शव को बंधक नहीं बनाता। निजी अस्पताल में फ्रीजर नहीं होते, लेकिन अस्पताल व्यवस्थ कर देते हैं।  

सभी पहलुओं पर विचार करे सरकार 
पॉलीवाल अस्पताल के संचालक डॉ जयप्रकाश पालीवाल ने कहा, कानून अच्छा है पर सभी पहलुओं पर शासन को गंभीरता से विचार करना चाहिए। नीयत और मन साफ है तो कोई विवाद नहीं होता, लेकिन नियमों की आड़ में किसी की नियत बदली है तो मुसीबत शुरू हो जाती है।