Navratri 2024: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के फतेहगढ़ में शीतला माता का प्राचीन मंदिर है। मान्यता है कि यहां देवी दर्शन से हैजा और मोतीझरा जैसी गंभीर बीमारियां ठीक हो जाती हैं। बड़े तालाब के किनारे स्थित यह मंदिर हिंदू आस्था का प्रमुख केंद्र है। भोपाल में इसे सबसे पुराना देवी मंदिर बताया जा रहा है। शारदीय नवरात्रि तीसरे दिन शनिवार (5 अक्टूबर) को जानें शीतला माता की महिमा...। 

शीतला माता मंदिर में शीतला सप्तमी पर बसोरा पूजन और विवाह माता पूजन का विशेष महत्व है। यहां मां शीतला के साथ वीर महाराज व भगवान गणेश की मूर्ति विराजी हैं। जानकार लोगों ने बताया कि माता रानी के दर्शन से मोतीझिरा, चेचक व हैजा जैसे रोग ठीक हो जाते हैं। 

सुल्तान जहांबेगम ने दान की थी जमीन 
भोपाल के फतेहगढ़ क्षेत्र में बड़े तालाब के किनारे स्थित यह मंदिर पहले खुले में था। नीम, पीपल और बरगद के पेड़ के नीचे मां शीतलादेवी और वीर महाराज की प्रतिमाएं विराजी थीं। उस समय यहां ऊबड़-खाबड़ पथरीला क्षेत्र था, लेकिन हिन्दू परिवारों की मांग पर सुल्तान जहांबेगम ने यह जमीन दान की थी। 

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नवाबकालीन मंदिर, 19 साल से जीर्णोद्धार 
पुजारी पं. जितेन्द्र दुबे ने बताया कि नवाब कालीन मंदिर 3 हजार वर्गफीट क्षेत्र में फैला है। मंदिर में पूजा-अर्चना की व्यवस्था चौथी पीढ़ी देख रही है। मंदिर के जीर्णोद्धार का काम 2006 से किया जा रहा है। यहां पर माता रानी के दर्शन व वीर महाराज की प्रतिमा पर जल चढ़ाने से मोतीझिरा सहित अन्य बीमारियां ठीक हो जाती हैं। 

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आसानी से दूर हो जाती है परेशानी 
देवी दर्शन के लिए आईं राधा गुप्ता ने बताया कि वह पिछले कई साल से माता रानी के दरबार में मत्था टेकने आ रही हैं। यहां एक अलग ही शांति और ऊर्जा का अहसास होता है। माता रानी के आशीर्वाद से हर छोटी-बड़ी परेशानी दूर हो जाती है। माता रानी के आशीर्वाद से आज हमारा घर खुशियों से भरा है।