MP News: मोहन सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन में यह कहा गया है कि आला अधिकारी सुनिश्चित कर लें कि इन घटनाओं को पुनरावृत्ति न हो। तब जाकर पीएचक्यू की सीआईडी शाखा ने प्रदेश के सभी आईजी जोन, पुलिस आयुक्त एवं जिला पुलिस अधीक्षकों को पुलिस कस्टडी में होने वाली हिंसा की रोकथाम के संबंध में गाइडलाइन जारी कर की।

मॉनिटरिंग में लापरवाही
राज्य सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि जिला पुलिस अधीक्षकों को इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है कि यदि उनके अधीनस्थ किसी थाने में पुलिस अभिरक्षा में हिंसा होती है तो यह माना जाएगा कि कहीं न कहीं उनके स्तर पर मॉनिटरिंग में भी लापरवाही रही है। यह सुनिश्चित किया जाए कि पुलिस कस्टडी में लिए गए व्यक्ति को थाना स्टाफ द्वारा किसी भी प्रकार से प्रताड़ित न किया जाए। साथ ही ताकीद किया है कि अब हिरासत में बंदी के साथ कोई हिंसा हुई तो सीधे एसपी और आईजी तक जिम्मेदार होंगे। हवालात में लगे सीसीटीवी कैमरे की जांच समय समय पर होती रहेगी।

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कस्टडी में हिंसा रोकने की गाइडलाइन
सीआईडी के एडीजी पवन कुमार श्रीवास्तव ने जो दिशा निर्देश दिए हैं, उसमें कहा गया है कि जोनल पुलिस महानिरीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक इस विषय में विशेष बैठक आयोजित कर थाना प्रभारियों को इस विषय में संवेदनशील बनाएं। थाने में हवालात के लिए पर्याप्त बल उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जाए। यदि किसी थाने की हवालात के लिए पर्याप्त बल उपलब्ध नहीं है तो उस हवालात में उस बंदी को न रखें, अन्य किसी बंदीगृह जहां पर्याप्त बल उपलब्ध है, उसमें रखा जाए।

हर समय आरक्षक, प्रधान आरक्षक बंदी की सुरक्षा में तैनात रहें। नियमित मॉनिटरिंग के लिए प्रत्येक थाने में एएसआई स्तर के पुलिस अधिकारी को नियुक्त किया जाए एवं यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कैमरे प्रत्येक समय चालू अवस्था में रहे। सुनिश्चित करें कि सीसीटीवी कैमरा इतनी ऊंचाई पर हो कि उसके साथ किसी प्रकार की छेड़ छाड़ न की जा सके। सुनिश्चित करें कि कैमरा का एंगल ऐसा हो कि पूरे हवालात को कवर कर सके। यह भी सुनिश्चित करें कि हवालात के सीसीटीवी का फीड को प्रत्यक्ष रूप से दिख सके।

बीमार या घायल को थाने न लाया जाए
आरोपी को अभिरक्षा में लेते समय एवं हवालात में प्रवेश कराते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि उसके पास ऐसी कोई वस्तु न हो, जिससे वह अपने शरीर को किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचा सके। बीमार, अत्यधिक नशे में पाये गये व्यक्तियों एवं अन्य घायल व्यक्तियों को थाने पर व रखा जाए, उन्हें शीप चिकित्सा के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जाए। अभिरक्षा में लिए गए प्रत्येक व्यक्ति का चिकित्सा परीक्षण तत्काल कराया जाए।

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