भोपाल (मधुरिमा राजपाल)। बेगम्स ऑफ भोपाल की ओर से गौहर महल में आय़ोजित भोपाल के साहित्य और कला पर केन्द्रित परी बाजार का दूसरा दिन सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के नाम रहा। एक ओर जहां भोपाल की चर्चित पटियागोई से कलाप्रेमियों को रूबरू होने का अवसर मिला वहीं, दूसरी ओर आरुषि के दिव्यांग बच्चों की मनमोहक प्रस्तुति ने इस खुबसूरत शाम में चार चांद लगा दिए। प्रस्तुतियों का क्रम यहीं नहीं थमा। मुशायरा, चारबैंत और वुमेन एंटरप्रेन्योर से जुड़े सत्रों में बड़ी संख्या में कला प्रेमी शामिल हुए। वहीं, दोपहर में परी बाजार में स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा लगाए गए विभिन्न हैंडीक्राफ्ट आइटम्स के स्टॉल्स पर लोगों ने जमकर खरीददारी की। इस दौरान भोपाल की परंपरागत संस्कृति पर केंद्रित भोपाली बटुए विशेष आकर्षण का केन्द्र रहे। इसके अलावा भी लोगों ने विभिन्न लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाया।  

वो सब जो ग़ैरज़रूरी था जिंदगानी में
सर्द हवाओं के बीच जैसे-जैसे मुशायरा परवान चढ़ा लोगों ने इसका जमकर आनंद लिया। इस दौरान नुसरत मेहंदी, बद्र वास्ती, अम्बेर आबिद, गोशिया सबीन, संतोष खिरवड़कर और दिनेश प्रभात ने एक से बढ़कर एक कलाम पढ़कर लोगों को बांधे रखा। मुशायरे की शुरुआत में नुसरत मेहंदी ने न जाने कैसे ज़रूरत ही बन गया नुसरत, वो सब जो ग़ैरज़रूरी था ज़िन्दगानी में... कलाम सुनाया। मुशायरे के क्रम को आगे बढ़ाते हुए संतोष खिरवड़कर ने दरया पे बारिशों का असर कुछ नहीं हुआ, मुझ पर भी साज़िशों का असर कुछ नहीं हुआ... कलाम सुनाया। बद्र वास्ती ने पढ़ा - तुम्हारे प्यार से खूबसूरत लगने लगी है यह दुनिया..। 

चारबैत की प्रस्तुति ने किया मुग्ध
सांस्कृतिक प्रस्तुति के क्रम में वैशाली और साथी कलाकारों ने चारबैंत की खूबसूरत प्रस्तुति से समां बांधा। लगभग 50 मिनट की सांगीतिक चारबैंत प्रस्तुति में कलाकारों ने ये ना थी हमारी क़िस्मत कि विसाले यार होता...., दिल की उलझन ले चली है जुल्फ़े पेंचा के क़रीब..., अपने गमख़ाने को यादों से सजा रखा है...., जैसे कलाम पेश किये। प्रस्तुति के क्रम को आगे बढ़ाते हुए महिला कलाकारों ने ज़ख़्मे दिल उनको दिखाया तो बुरा मान गये...., सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है..., हुए जब दोनों रंजीदा ना वो आएं ना मैं जाऊं..., कलाम के साथ प्रस्तुति को विराम दिया। 

Gauhar Mahal in Bhopal Madhya Pradesh

आरुषि के बच्चों की मनमोहक प्रस्तुति
गौहर महल का परिसर तब और खुशनुमां हो उठा जब आरुषि के बच्चों ने एक से बढ़कर एक गीतों की प्रस्तुति दी। मनु गुप्ता ने पिया तोसे नैना लागे रे... गीत सुनाया। वहीं, शिवानी सेन ने घूमर..., करिश्मा सेन ने कश्मीरी तो मैं कन्याकुमारी..., शुभम तिवारी ने मैं निकला गड्डी लेकर गीत सुनाकर माहौल में जोश भर दिया।

जुबैर की पटियागोई
भोपाल के जुबैर आलम ने पटियागोई में भोपाली अंदाज में दो दोस्तों की कहानी को बड़े ही चिरपरिचित अंदाज में पेश किया। जुबैर ने बताया कि पटियागोई में बात से बात निकलती है, फैलते फैलते, फैंकने तक पहुंच कर टप्पे बाजी बन जाती है। इस दौरान जुबैर ने रफ़ी शब्बीर की लिखी किताब और रूमी जाफरी के भोपाली टप्पे को बड़ी ही खूबसूरत ढंग से मंच पर प्रस्तुत किया।