Navratri Special (मधुरिमा राजपाल, भोपाल): कांट्रेक्टर के काम में महिलाएं तो दूर पुरुष भी जाना ज्यादा पसंद नहीं करते हैं। यह व्यवसाय इतना आसान है भी नहीं क्योंकि इसमें जोड़-तोड़ के साथ तमाम तरह की परेशानियां भी आती हैं लेकिन हमारे प्रदेश में एक ऐसी भी महिला हैं जिसने खुद को इस व्यवसाय में सफल साबित कर ऐसी हर सोच को करारा जवाब दिया है और समाज के लिए मिसाल बनीं। जी हां नवरात्रि आरंभ हो चुके हैं, ऐसे में हरिभूमि ने समाज की ऐसी फाइटर महिलाओं को ढूंढा, जिन्होंने अपने कामों से समाज की सोच बदली डाली। नवरात्रि के प्रथम दिन हम बात कर रहे हैं राजगढ़ निवासी लीला बाई की। लीला बाई जिसने कांट्रेक्टर बनकर पूरे समाज की सोच बदल डाली।

मजदूरी छोड़ दूसरों को रोजगार देने की मन में ठानी
कभी मंदिर के सामने पत्थर तोड़कर मजदूरी करने वाली लीलाबाई को अब लोग कांट्रेक्टर साहब के नाम से जानते हैं। अब वह मजदूरी नहीं करती बल्कि उनके यहां पर 100 से 150 मजदूर काम करते हैं। लीलाबाई खुद ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं है लेकिन उनके बेटे को सिविल इंजीनियरिंंग कराया है। लीलाबाई बताती हैं कि वे गांव के एक मंदिर के सामने पत्थर तोड़ती थीं। परिवार की आर्थिक स्थिति बिल्कुृल भी अच्छी नहीं थी। एक दिन एक सरकारी अधिकारी का वहां से गुजरना हुआ, जिन्होंने सरकार की योजना का लाभ लेकर आगे बढ़ने की सलाह दी। इसके बाद मन में मजदूरी छोड़ दूसरों को रोजगार देने की मन में ठान ली। मेहनत रंग लाई और अब वह कांट्रेक्टर बन चुकी हैं।

किसी टेंडर से पीछे हटने का दबाव बनाया जाता
उन्होंने कहा कि मेरा यह काम इतना आसान नहीं था, क्योंकि मुझे बड़े बड़े ठेकेदारों से धमकियां मिलती, और किसी टेंडर से पीछे हटने का दवाब बनाया जाता, लेकिन मैंने ठान लिया था कि अब इसी काम में आगे बढूंगी तो मैं अपने साथ गन लेकर घूमने लगी। ताकि अपने काम को बिना किसी विरोध के कर सकूं। इसमें सरकार ने भी मेरी मदद की।

इंदौर में हुए ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में हुई शामिल
लीलाबाई कई सरकारी ठेके भी लेती हैं। उन्होंने बताया कि पुरुष प्रधान इस काम में टिके रहना आसान नहीं है क्योंकि ये लोग जोड़-तोड़ कर टेंडर पास करवा लेते हैं लेकिन इरादे मजबूत हों तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। लीलाबाई की महिला एवं बाल विकास विभाग ने भी मदद की। 2014 में इंदौर में हुए ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में लीलाबाई को विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया था। इसमें अंबानी बंधु, वायसी देवेश्वर, गौतम अडानी, सायरस मिस्त्री सहित कई दिग्गज हस्तियां कशोर बियाणी जैसे देश के शीर्ष उद्योगपति भी मौजूद थे। जब बड़े-बड़े उद्योगपतियों ने साधारण की दिखने वाली गांव की इस महिला की कहानी सुनी तो समिट हॉल तालियों से गूंज उठा था।