Rewa Famous Places: मध्यप्रदेश में 55 जिले हैं। हर जिले की अपनी एक अलग पहचान है। रहन-सहन, बोली और व्यंजन के लिहाज से भी यह एक-दूसरे से अलग हैं। हरिभूमि आपको 'मेरा शहर' सेगमेंट के तहत प्रतिदिन एक जिले की संस्कृति, सभ्यता और परंपराओं से रूबरू कराता है। शुक्रवार, 25 अक्टूबर को जानें रीवा की खासियत...।

क्योंटी जलप्रपात रीवा। 

रीवा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
रीवा मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक शहर है। इसका इतिहास लगभग 1400 साल पुराना है। रीवा रियासत की स्थापना बघेल राजपूतों ने की थी। बीहड़ नदी के किनारे 430 फीट ऊंचाई पर स्थित रीवा जिले में एमपी के सबसे ऊंचे झरने हैं। चचाई जलप्रपात भारत का 25वां सबसे ऊंचा जलप्रपात है। रीवा का नाम "रेवा" नदी से पड़ा है। रीवा में 3000 से अधिक तालाब थे। गोविंदगढ़ का तालाब आज भी पर्यटन का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। रीवा तानसेन और बीरबल जैसी महान विभूतियों की जन्मभूमि भी है।
 

रीवा के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल

  • महामृत्युंजय मंदिर: यहां 1,001 छिद्रों वाला अनूठा शिवलिंग है। बनावट भी अलग है। इसमें जल चढ़ाने से भक्तों के सभी दूर होते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर में पूजा करने से अकाल मृत्यु भी टल जाती है। 
  • गोविन्दगढ़ तालाब: गोविंदगढ़ रीवा से लगभग 18 किमी दूर स्थित है। यहां का किला और तालाब अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। यहां की सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है।
  • रीवा का किला: रीवा का किला पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र हैं। किले के पीछे दो नदियां हैं, जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगाती हैं। किला भारतीय वास्तुकला का अनूठा संगम है। यहां एक रेस्तरां और संग्रहालय भी है। शाही चांदी का सिंहासन, संग्रहालय हाल का झूमर और हथियार गैलरी मुख्य स्थल हैं। 
  • वाइट टाइगर सफारी: मुकुंदपुर स्थित महाराजा मार्तंड सिंह वाइट टागर सफारी मैहर जिले में आती है, लेकिन यह रीवा से महज 18 किलो मीटर दूर है। यहां मौजूद सफेद बाघ आकर्षण का प्रमुख केंद्र हैं। माना जाता है कि सफेद बाघ की उत्पत्ति रीवा में ही हुई है। महाराजा मार्तंड सिंह ने 27 मई, 1951 को सफेद बाघ पकड़ा था। गोविंदगढ़ पैलेस में उसका पालन पोषण हुआ। बाद में इसकी संतानें दुनिया के अन्य हिस्सों में फैल गईं।  
वाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर। 
  • पुरवा जलप्रपात: पुरवा जलप्रपात बेहद खूबसूरत है। 200 फीट ऊंचाई से गिरती पानी की धार मनभावन लगती है। मानसून सीजन में यहां पर्यटकों की खासी भीड़ उमड़ती है। यहां का खूबसूरत नजारा पर्यटकों का आकर्षण का केन्द्र हैं। 
  • पियावन घिनौची धाम: रीवा से 42 किमी दूर बरदहा घाटी स्थित पियावन धाम प्राकृतिक और धार्मिक पर्यटन का बेजोड़ नमूना है। प्रकृति की छटा के बीच यह धरती से 200 फीट नीचे और 800 फीट चौड़ी प्रकृति की वादियों से घिरा है।  
  • बहुती जलप्रपात: यह सेलर नदी पर है जो मौहगंज की घाटी से निकलकर बिहड़ नदी में मिलती है। मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा झरना है। इसकी ऊंचाई 198 मीटर 650 फीट है।
  • रानी तालाब: रानी तालाब शहर के दक्षिणी भाग में स्थित है और इसे पवित्र माना जाता है। यह रीवा के सबसे पुराना कुआं है। झील के पास देवी काली का एक मंदिर है। 
  • देउर कोठार: यह पुरातात्विक स्थल है यहां वर्ष 1982 में खोजे गए स्तूप जो लगभग दो हजार साल पुराना है देखने के लिए मिलेंगा । आपको मिट्टी की ईंटों से बने तीन बड़े स्तूप और 46 विभिन्न पत्थरों में से कई छोटे स्तूप मिलेंगे। यहां पांच हज़ार साल पुरानी चट्टानी गुफाएं भी हैं, जो पर्यटकों का आकर्षण का केन्द्र हैं। 
  • क्योंटी जलप्रपात: यह भारत का 24 वां सबसे ऊंचा झरना है और में लोकप्रिय पर्यटन स्थल है।
राज बिलास पैलेस रीवा। 

रीवा के प्रमुख व्यंजन

  • रसाज: रसाज की कढ़ी रीवा का प्रमुख व्यंजन है। चने की दाल से बने रसाज की कढ़ी यहां का मशहूर व्यंजन है। यहां जब शुभ काम होता है। तब ज्यादा तर इसी तरह के व्यंजन को प्राथमिकता दी जाती है। 
  • इन्द्रहर: यह रीवा के प्रमुख व्यंजन है। इसे भगवान इंद्र को समर्पित किया जाता है। 
    महामृत्युंजय मंदिर रीवा।

रीवा की बोली: रीवा में मुख्य तौर पर बघेली और हिंदी बोली जाती है। कुछ इलाके में अवधी बोली भी प्रचलित है। इसे रिमही और रिवई कहते हैं। रिमही बघेलखण्ड की सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है।

Rewa Soler Plant

रीवा की प्रमुख उपज: रीवा कृषि प्रधान जिला है। यहां मुख्य फसलें धान, गेहूं और चना मसूर हैं। रीवा में 3,01,640 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती होती है। जो अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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रीवा की आबादी और क्षेत्रफल: रीवा सांस्कृतिक और जनसांख्यिकीय विशेषताओं के साथ समृद्ध और विविधता से भरपूर जिला है। करीब 4,374 वर्ग किलोमीटर में फैले रीवा जिले की कुल आबादी 23,65,106 है। इनमें 13,83,689  पुरुष और 12,77,500 महिलाएं शामिल हैं। मध्यप्रदेश के बड़े जिलों में शुमार रीवा जिले को दो हिस्सों में बांट दिया गया है। इसके कुछ हिस्से को अगल कर मऊगंज जिला बनाया गया है। 

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