Satta King: चुनाव आयोग ने देश के 9 राज्यों की 12 राज्यसभा सीटों पर उनचुनाव की घोषणा कर दी है। तीन सितंबर को 12 सीटों पर वोटिंग होगी। मध्यप्रदेश के हिस्से की 11 में से एक सीट खाली हुई है। गुना से लोकसभा का चुनाव जीतने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की सीट खाली है। सिंधिया की जगह भाजपा किसे राज्यसभा भेजेगी? इसे लेकर एमपी की सियासत में कयासबाजी शुरू हो गई है। भाजपा खेमे में मची सुगबुगाहट के बीच राजस्थान के फलोदी सट्टा और मुंबई सट्टा बाजार ने बड़ी भविष्यवाणी की है। जानिए सट्टा बाजार का चौंकाने वाला दावा क्या कहता है।
सिंधिया को हराने वाले केपी का कटा था टिकट
लोकसभा चुनाव 2019 में केपी यादव गुना से सांसद चुने गए थे। केपी ने कांग्रेस के सिंधिया एक लाख से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी थी। बाद में सिंधिया भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने सिंधिया को राज्यसभा भेज दिया। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गुना से केपी यादव का टिकट काटकर सिंधिया को उम्मीदवार बनाया। सिंधिया ने कांग्रेस के राव यादवेंद्र सिंह को 5 लाख से ज्यादा वोटों से शिकस्त देकर सांसदी का चुनाव जीता। ज्योतिरादित्य सिंधिया वर्तमान में मोदी सरकार में दूरसंचार मंत्री हैं।
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केपी चल रहे हैं नाराज
सट्टा बाजार की बड़ी भविष्यवाणी के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री बनने के बाद सिंधिया ने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया है। अब यह सीट खाली है। एकमात्र सीट पर उपचुनाव की अधिसूचना के साथ ही केपी यादव का नाम सुर्खियों में है। चर्चा है कि गुना से टिकट कटने के बाद से तब केपी यादव नाराज चल रहे हैं।
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अमित शाह भी कर चुके हैं घोषणा
सट्टा बाजार के मुताबिक, लोकसभा चुनाव 2024 में प्रचार पर आए केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने मंच से केपी यादव को लेकर जनता को भरोसा दिया था कि क्षेत्र को एक नहीं आने वाले समय में दो सांसद मिलेंगे। यह भी कहा था कि केपी को बड़ी जिमेदारी दी जाएगी। तब से कयास लगाए जा रहे हैं कि केपी को पार्टी राज्यसभा भेज सकती है।
इन दिग्गजों के नाम की भी चर्चा
सट्टा बाजार की भविष्यवाणी के मुताबिक, जयभान सिंह पवैया महाराष्ट्र में सह प्रभारी हैं। वहां सक्रिय हैं। भाजपा को यहां मजबूत चेहरे की जरूरत है। ऐसे में पवैया का कद भी बढ़ाया जा जा सकता है। दतिया से चुनाव हारे पूर्व गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा उपेक्षित बताए जा रहे हैं। जातिगत आधार पर सामान्य कोटे से सक्षम चेहरा हैं। लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस से दिग्गजों को तोड़ने में उनकी बड़ी भूमिका रही। भाजपा नेतृत्व नरोत्तम के बारे में भी सोच सकता है।
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इन्हें भी मिल सकता है मौका
सट्टा बाजार के मुताबिक, लाल सिंह आर्य और गोपाल भार्गव जैसे पुराने चेहरे नाराज बताए जाते हैं। इन्हें राज्यसभा भेजने की संभावनाएं कम हैं। यदि बड़े नामों पर सहमति नहीं बनी तो विकल्प के तौर पर इनमें से कोई एक नाम बढ़ाया जा सकता है। अगर केपी के नाम पर सहमति नहीं बनी तो भाजपा संघ पृष्ठभूमि से जुड़े किसी जमीनी पदाधिकारी का नाम बढ़ाकर भी पार्टी चौंका सकती है।