भोपाल। मध्यप्रदेश में 18 साल की सत्तविरोधी लहर के बावजूद भारतीय जनता पार्टी को प्रचंड जीत दिलाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बड़ा टास्क मिला है। मंगलवार को दिल्ली में सवा घंटे हुई चर्चा के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत दक्षिण में दौरे करने को कहा है। भाजपा दक्षिण भारत में अपनी जड़ें जमाने का प्रयास लंबे समय कर रही है, लेकिन आपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष से सवा घंटे चर्चा
मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले दिनों मप्र में रहकर पार्टी को मजबूत करने की बात कही थी, जिसके कुछ दिन बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दिल्ली बुलाया था। नड्डा ने शिवराज की नई भूमिका को लेकर भी बयान दिया था। तकरीबन सवा घंटे की इस मुलाकात के बाद पूर्व सीएम शिवराज मीडिया से भी मुखातिब हुए। बातचीत में शिवराज बोले-अभी संकल्प यात्रा में जाने को कहा गया है। मैं दक्षिण के राज्यों में जाऊंगा। पार्टी अध्यक्ष जिस भूमिका में रखेंगे, मैं रहूंगा।
मंत्रीमंडल गठन पर भी हुई चर्चा
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पूर्व सीएम शिवराज सिंह से मप्र के मंत्रीमंडल गठन पर भी चर्चा की। शिवराज सिंह ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा, लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी आलाकमान जो भूमिका तय करेगा, उसे मैं बाखूबी निर्वहन करने को तैयार हूं। केंद्र में जाने के सवाल पर शिवराज बोले- हम राज्य और केंद्र दोनों में रहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी के मिशन को कैसे आगे बढ़ाऊं, इसमें निरंतर लगा रहूंगा।
शिवराज बोले-डॉ. मोहन मेरे भी नेता
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए कहा, डॉ. मोहन यादव मुख्यमंत्री हैं और मैं विधायक हूं। इसलिए सरकार का मुखिया होने के नाते मोहन मेरे नेता हैं। हमने बीमारू राज्य से विकसित मन बनाया, उसे मोहन यादव समृद्धि व उंचाइयों पर ले जाएंगे, यह मेरा भरोसा है। वह मुझसे बेहतर काम करें। कल्याणकारी योजनाएं चलाएं। मैं उनका सहयोग करूंगा। लाड़ती बहना के सवाल पर बोले- भाई बहन का प्यार अमर है, वो पद से नहीं है।
कर्नाटक व तेलांगना हारने के बाद बढ़ी मुश्किल
कर्नाटक विधानसभा चुनाव हारने के बाद भाजपा के लिए दक्षिण भारत की मुश्किल बढ़ गई है। आंध्रप्रदेश, केरल, तमिलनाडु में वह पहले ही सत्ता से बाहर है। तेलंगाना में वोट प्रतिशत जरूर बढ़ाया, लेकिन ज्यादा विधायक नहीं जिता पाई। भाजपा तेलांगना में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है। लक्षद्वीप व पुड्डचेरी में भी भाजपा का अधिक जनाधार नहीं है। इन प्रदेशों में कोई बड़ा चेहरा भी नहीं है। यही वजह है कि उत्तर भारत के हिंदीभाषी नेताओं को वहां भेजना पड़ रहा है।
2019 में मिली थीं 29 सीटें
दक्षिण भारत के पांच राज्यों में लोकसभा की 129 सीटें हैं। 2019 के आम चुनाव में भाजपा को 29 सीटें मिली थीं। इनमें से कर्नाटक का बड़ा योगदान था। यहां भाजपा ने 28 में से 25 सीटें जीत ली थी। लेकिन इस बार कर्नाटक व तेलांगना दोनों अहम राज्य कांग्रेस के कब्जे में हैं। कर्नाटक के कद्दवर भाजपा नेता बीएस येदुरप्पा भी ज्यादा सक्रिय नहीं दिख रहे। केरल व तमिलनाडु जैसे बड़े पांच राज्यों में पहले ही भाजपा खाली हाथ है। इन दोनों राज्यों में क्षेत्रीय दलों का दबदबा है।