इंदौर.  देश की सबसे आधुनिक ट्रेन वंदे भारत ट्रेन के निर्माता सुधांशु मनी शुक्रवार को सीआइआइइ केंद्र के कार्यक्रम में शामिल होने इंदौर आए थे. इस दौरान वे मीडिया से बात की. स्लीपर वर्जन के सवाल पर कहा कि इसके अगले साल तक आने की उम्मीद है. इसके बारे में पहले विचार किया गया कि जितनी भी राजधानियां हैं, उससे रिप्लेस किया जाए ताकि ट्रैवल टाइम कट डाउन हो और ओवरनाइट बन सके. जो स्लीपर ट्रेन बन रही हैं उसमें अच्छी सुविधाएं दी जाएंगी. राइड्स और भी बेहतर होगी.

इन विषयों पर बोले सुधांशु मनी

सवाल: इंदौर से भोपाल चलने वाली वंदे भारत में बहुत कम लोग सफर करते हैं, इसे आप कैसे देखते हैं?
जवाब: कोई व्यक्ति शौक के लिए एक या दो बार वंदे भारत में सफर कर लेगा, लेकिन किराया अधिक होने के कारण वह हर बार सफर नहीं कर सकता. इंदौर-भोपाल चलने वाली वंदे भारत में किराया अधिक है. समय बस के बराबर ही लगता है, तो कोई भी व्यक्ति अधिक पैसे लगाकर सफर नहीं कर सकता. इसके चलते ट्रेन को नागपुर तक चलाना पड़ा. अब यात्री भी बढ़ रहे हैं.

सवाल : वंदे भारत के पार्ट्स जानवरों के टकराने से ज्यादा डैमेज क्यों हो जाते हैं?
जवाब: वंदे भारत में काऊ कैचर नहीं लगा होता है, इसलिए जब यह जानवरों से टकराती है तो कोना डैमेज हो जाता है, जिसे लोको पायलट ठीक करके आगे बढ़ जाता है. डैमेज पार्ट डिपो में रिपेयर भी हो जाता है. जब ट्रेन बना रहे थे तब इस बात का अंदाजा था कि ऐसा हो सकता है.

सवाल: यात्रियों की सुरक्षा की दृष्टि से कितनी सही है?
जवाब: इसमें एंटी क्लाइमेट फीचर है. ऑटोमेटिक डोर हैं. जब तक दरवाजा बंद नहीं होगा ट्रेन नहीं चलेगी. चलती ट्रेन में दरवाजा नहीं खुलता. इमरजेंसी में ड्राइवर से बात भी कर सकते हैं. ट्रेन 100 किलोमीटर की स्पीड बस 52 सेकंड में पकड़ लेती है. ऐसे बहुत से फीचर वर्जन हैं.

सवाल : वंदे भारत को किस रूट में ज्यादा चलना चाहिए?
जवाब: जहां इसकी ज्यादा से ज्यादा स्पीड जा सके, कट डाउन ट्रैवल टाइम हो वहां चलानी चाहिए. जब दिल्ली-भोपाल के लिए डिजाइन की और 2016 में काम शुरू किया था तब उम्मीद थी कि 160 किमी प्रति घंटे की स्पीड आ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उम्मीद है कि भविष्य में इसमें सफल रहेंगे.