Bikaner News: राजस्थान के बीकानेर में युवक की संदिग्ध परिस्थिति में मौत पर परिजनों ने शव लेने से माना कर दिया और बीकानेर-जयपुर स्टेट हाईवे जाम कर दिया। बता दें कि रविवार (1 सितंबर) को एक पीओपी फैक्ट्री में युवक की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हुई थी। जिसके 30 घंटे बाद भी परिजनों ने शव को नहीं उठाया। परिजन पीबीएम हॉस्पिटल की मॉर्च्युरी के बाहर धरने पर बैठे हैं। युवक के परिजन सरकारी नौकरी, आरोपियों की गिरफ्तारी और मुआवजे की मांग कर रहे हैं। मांगों पर सहमति नहीं बनने पर सोमवार दोपहर करीब 3 बजे बीकानेर-जयपुर स्टेट हाईवे जाम कर दिया।
थानाधिकारी के भी निलंबन की मांग
दरअसल, कालासर निवासी नरेंद्र सिंह (32) पुत्र गिरधारी सिंह का शव रविवार(1 सितंबर) सुबह 10 बजे खारा इंडस्ट्रियल एरिया में पीओपी फैक्ट्री में मिला था। मामले में परिजन ने हत्या का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करवाया है। एसपी तेजस्विनी गौतम ने बताया कि फैक्ट्री के अंदर रहने वालों और नरेंद्र सिंह के बीच विवाद हुआ था। एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है। प्राथमिक पूछताछ में मोबाइल चुराने की बात सामने आ रही है। जामसर थानाधिकारी को लाइन हाजिर कर दिया गया। अब परिजन निलंबन की मांग पर अड़े हैं।
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बीकानेर-जयपुर हाईवे पर लगाया जाम
मांगों पर सहमति नहीं बनने पर परिजन और ग्रामीण सोमवार दोपहर बीकानेर-जयपुर स्टेट हाईवे पहुंच गए। यहां पर जाम लगा दिया और टायर जलाकर हंगामा किया। भाजपा नेता भगवान सिंह मेड़तिया ने कहा- एसएचओ ने मिलीभगत से सारे साक्ष्य मिटा दिए। डीवीआर तक गायब करवा दी। पुलिस-प्रशासन और परिजन-ग्रामीणों के बीच वार्ता विफल हो गई है।
धरने पर कई नेता भी पहुंचे
पीबीएम हॉस्पिटल में आज(2 सितंबर) सुबह पोस्टमाॅर्टम करवाया गया। इसके बाद परिजन ने शव लेने से मना कर दिया। उनका कहना है कि जब तब मांग नहीं मानी जाएगी, शव नहीं उठाया जाएगा। धरने पर आज भाजपा नेता सुरेंद्र सिंह शेखावत, भगवान सिंह मेड़तिया और कांग्रेस नेता प्रहलाद सिंह मार्शल भी पहुंचे।
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बीजेपी नेता सुरेंद्र सिंह शेखावत ने आरोप लगाया कि पुलिस पूरे मामले में लापरवाह रही है। सुबह 10 बजे घटना का पता चलने के बाद भी पुलिस ने हत्या करने वालों को भागने दिया। कार्रवाई की बात की गई तो थानेदार को महज लाइन हाजिर कर दिया। हम उसके निलंबन की मांग कर रहे हैं।
जांच की निष्पक्षता पर पड़ सकता है असर
इस बात का भी विरोध हो रहा है कि हत्या के मामले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है। वे सभी श्रीडूंगरगढ़ के गांव के रहने वाले हैं। ऐसे में जांच भी श्रीडूंगरगढ़ थानाधिकारी को दी गई है। इससे जांच की निष्पक्षता पर असर पड़ सकता है।