Uttar Pradesh Basic Teachers: उत्तर प्रदेश में कुछ बेसिक शिक्षकों की परेशानी बढ़ सकती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 2011 से जारी उनका समायोजन रद्द कर दिया है। कोर्ट ने समायोजन प्रक्रिया में गड़बड़ियों को रेखांकित करते हुए समायोजन गतिविधियों को रोकने और इसमें सुधार कराने के आदेश दिए हैं।

समायोजन में नए शिक्षकों को नुकसान 
हाईकोर्ट ने समायोजन प्रक्रिया को संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन बताया है। इन अनुच्छेदों में समानता का अधिकार और सार्वजनिक नियुक्तियों में समान अवसर सुनिश्चित करने की बात कही गई है। कोर्ट ने कहा, समायोजन प्रक्रिया में लास्ट कम, फर्स्ट आउट (LCFO) का नियम अवैध है। नए शिक्षकों को इससे नुकसान है। बाद में नियुक्त हुए शिक्षकों को पहले हटाकर समायोजित किया जाता है। जबकि पुराने शिक्षक अपनी तैनाती स्थलों पर बने रहते हैं।

न्यायसंगत नीति बनाने का आदेश 
कोर्ट फैसला सुनाते हुए कहा, समायोजन की यह प्रक्रिया जूनियर शिक्षकों के साथ अन्याय करती है। जबकि, सीनियर शिक्षकों को अनुचित लाभ पहुंचाती है। कोर्ट ने आदेशित किया है समायोजन के लिए स्पष्ट और न्यायसंगत नीति बनाई जाए।

पढ़ाई पर प्रतिकूल प्रभाव 
यूपी सरकार की इस समायोजन प्रक्रिया का असर 80 फीसदी स्कूलों में पड़ रहा है। शिक्षा व्यवस्था भी प्रभावित होती है। साथ ही लंबे समय से समायोजन का इंतजार कर रहे लाखों बेसिक शिक्षकों के लिए बड़ा झटका है। 

यह भी पढ़ें: विटनेस: साक्षी मलिक की ऑटोबायोग्राफी में बृजभूषण सिंह के राज, फोन कॉल्स और बेड टच का भी जिक्र

शिक्षकों में असमंजस की स्थिति
कोर्ट ने कहा, सरकार का यह फैसला शिक्षा तंत्र में सुधार की दिशा में अच्छा कदम हो सकता है। बशर्ते न्यायसंगत नीति अपनाई जाए। अभी शिक्षकों के लिए नौकरी की स्थिति और स्थानांतरण के बारे में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।