Uttar Pradesh primary teacher promotion: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने प्राथमिक शिक्षकों की पदोन्नति के लिए टीईटी (टीचर एजिबिलिटी टेस्ट) अनिवार्य बताया है। हालांकि, कोर्ट ने इसे आर्ह अध्यापकों की पदोन्नति के लिए बाधा न बनने देने का भी आदेश दिया है। न्यायालय ने जनहित याचिका सुनवाई करते हुए यह भी राज्य व केन्द्र सरकार से इस संबंध में अपना पक्ष रखने के लिए भी आदेशित किया है। 

यह है कोर्ट का आदेश 

  • हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एनसीटीई (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद) की 11 सितंबर को जारी अधिसूचना के तहत प्राथमिक शिक्षकों पदोन्नति पर रोक लगाते हुए आदेशित किया है कि निर्णय के बाद शिक्षकों की प्रश्नगत प्रोन्नति की जाए। इस अधिसूचना के तहत सभी बेसिक स्कूलों के सहायक और प्रधान अध्यापक/ अध्यापिकाओं के प्रमोशन में टीईटी अनिवार्य की गई है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह आदेश अर्ह अध्यापकों की प्रोन्नति में बाधा न माना जाय।  
  • याचिकाकर्ताओं का कहना है कि प्राथमिक शिक्षकों की पदोन्नति के लिए TET पास करना अनिवार्य है। इसके बावजूद नियम 18 का हवाला देकर बिना टीईटी पास किए ही शिक्षकों को पदोन्नति दी जा रही है। न्यायालय ने इस पर कहा मामला गौर करने योग्य है। कोर्ट ने तीन सप्ताह के अंदर केंद्र व राज्य सरकार के साथ अन्य सभी पक्षकारों को जवाब दाखिल करने का आदेश जारी किया है। 
  • याचिका हिमांशु राणा व अन्य ने दायर की थी। इस पर न्यायमूर्ति बृजराज सिंह और न्यायमूर्ति एआर मसूदी की खंडपीठ ने सुनाई की। याचिका में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (अध्यापक) सेवा नियमावली 1981 के नियम 18 की वैधता को चुनौती दी गई है। कहा गया कि एनसीटीई की अधिसूचना के तहत उसमें टीईटी को अनिवार्य करने का संशोधन नहीं किया गया है।