Shafiqur Rahman Barq Passes Away: उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और उनके कार्यकर्ताओं के लिए दुखद खबर है। संभल में वरिष्ठ नेता और सांसद शफीकुर्रहमान बर्क का मंगलवार को निधन हो गया। वह 94 साल के थे। बर्क लंबे समय से चल बीमार चल रहे थे। उन्होंने मुरादाबाद के अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सपा ने उन्हें टिकट दिया था। वे पार्टी में सबसे उम्रदराज नेता थे।
आईसीयू में थे डॉक्टर बर्क
डॉक्टर शफीकुर्रहमान बर्क अपने पीछे बेटे के अलावा पोता, पोती छोड़ गए हैं। उनका पोता जियाउर्रहमान विधायक है। जबकि पोती डॉक्टर है। पोती की निगरानी में उनका इलाज चल रहा था। जियाउर्रहमान ने बताया कि उनके दादा की अचानक तबियत ज्यादा खराब हो गई थी। इसलिए उन्हें मुरादाबाद के एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। इलाज के बाद उनकी हालत में सुधार भी हुआ था। लेकिन मंगलवार सुबह अचानक उन्हें आईसीयू में शिफ्ट करना पड़ा। जहां उनकी मौत हो गई।
4 बार विधायक और 5 बार सांसद चुने गए बर्क
शफीकुर्रहमान बर्क का जन्म 11 जुलाई 1930 को संभल जिले में हुआ था। उन्होंने मुरादाबाद और संभल निर्वाचन क्षेत्रों का कई बार प्रतिनिधित्व किया है। वह चार बार विधायक और पांच बार सांसद चुने गए। वह मुरादाबाद से तीन बार सांसद, संभल से दो बार सांसद और संभल से 4 बार विधायक रहे। उन्होंने पहली बार सपा के टिकट पर 1996 में लोकसभा चुनाव जीता था। वह 2014 में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े और जीत हासिल की थी। 2019 में भी वे चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। जून 2019 से दिसंबर 2023 की अवधि के दौरान उनकी संसद में 94% उपस्थिति रही।
वंदे मातरम को बताया था इस्लाम के खिलाफ
शफीकुर्रहमान अपनी बेबाकी के लिए जाने जाते थे। बर्क बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक रहे थे। उन्होंने वंदे मातरम गीत की हमेशा मुखालफत की। उन्होंने इसे इस्लाम के खिलाफ बताया था। साथ ही अफगानिस्तान में तालिबान की कार्रवाइयों के बारे में विवादास्पद टिप्पणी के लिए भी भाजपा समेत अन्य राष्ट्रवादी पार्टियों के निशाने पर आए थे।
सपा ने जताया शोक
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बर्क के निधन पर शोक जताया है। उन्होंने दिवगंत आत्मा की शांति और परिवार को कष्ट सहने की क्षमता देने के लिए प्रार्थना की है।