Purnima Kothari sister of Kothari brothers on Ram Mandir Inauguration: कोठारी बंधु...इस नाम को याद किए बिना राम मंदिर का की कल्पना अधूरी है। 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन की तारीख कोठारी बंधु परिवार के लिए बेहद खास है। कोलकाता के कोठारी बंधु परिवार को इस दिन का लंबे समय से इतजार था। क्योंकि परिवार के दो बेटे राम और शरद 30 अक्टूबर 1990 को विवादित बाबरी मस्जिद पर भगवा झंडा फहराने वाले पहले लोगों में से एक थे। 2 नवंबर 1990 को तत्कालीन मुलायम सिंह सरकार ने पुलिस बलों को कार-सेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया। राम और शरद कोठारी राम जन्मभूमि मंदिर के लिए शहीद हो गए।
बहन पूर्णिमा बोलीं- भाईयों के साथ जो हुआ, आज तक नहीं भूली
कोठारी बंधु की बहन पूर्णिमा को 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण मिला है। उन्होंने कहा कि पिछले 33 वर्षों में यह पहली खुशी है। हमने अपने भाइयों के बलिदान के बाद 33 वर्षों तक इंतजार किया और हम बहुत खुश हैं। 33 साल पहले मेरे भाइयों के साथ जो हुआ, मैं उसे आज तक नहीं भूली हूं। आज हम अपनी आंखों के सामने भव्य राम मंदिर को देख पा रहे हैं। लेकिन एक समय, हमने सारी उम्मीदें खो दीं। मैंने सोचा कि मैं राम मंदिर बनते कभी नहीं देख पाऊंगी। मुझे खुशी और गर्व है कि मेरे भाइयों के बलिदान को आज उचित सम्मान मिल रहा है।
हमने उम्मीदें खो दी थीं
क्या कभी लगा कि भाइयों का बलिदान व्यर्थ गया? इस सवाल के जवाब पूर्णिमा ने कहा कि हां, 2014 से पहले ऐसा महसूस होता था। क्योंकि जब भगवान राम के अस्तित्व पर सवाल उठाए जाते थे, तो राम भक्तों को भी अराजक माना जाता था। स्वामी प्रसाद मौर्य ने हाल ही में कहा था कि वे अराजक तत्व थे। हमारी उम्मीदें बहुत कम हो गई थीं, लेकिन अब देश का माहौल बहुत अच्छा है। मुझे आज अयोध्या आकर बहुत गर्व महसूस हो रहा है।
मुलायम सिंह यादव के फैसले पर सवाल उठाते हुए पूर्णिमा ने कहा कि अगर उन्होंने गोली चलवानी थी तो पैर में गोली मारनी चाहिए थी, जान से क्यों मारा? सुना था मुलायम सिंह को बाद में कारसेवकों पर गोली चलाने का अफसोस हुआ था। उन्होंने तो बस ऐसा किया कुछ वोटों के लिए किया।
विपक्षी दलों को बताया दुर्भाग्यहीन
विपक्षी नेताओं द्वारा 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह का न्योता ठुकराने पर पूर्णिमा कोठारी ने कहा, 'यह उनका दुर्भाग्य है कि वे न्योता मिलने के बाद भी नहीं आ रहे हैं। तमाम ऐसे लोग भी हैं जो अयोध्या में आकर खुश हैं। भले ही वे प्राणप्रतिष्ठा के साक्षी न बन सकें। वे (विपक्ष) राजनेता हैं और वे उस दृष्टिकोण से सब कुछ देखेंगे।
दोस्तों ने सुनाई कारसेवा की दास्तान
कोठारी बंधुओं के करीबी राम-शरद कोठारी स्मृति संघ चलाते हैं। इस संगठन के उपाध्यक्ष अशोक जयसवाल राम और शरद दोनों मेरे दोस्त थे। छोटे भाई शरद कोठारी से ज्यादा घनिष्ठता थी। हम आरएसएस की एक ही शाखा में थे। मैं कभी-कभी राम कोठारी से मिलता था। जब 1990 में अयोध्या में कारसेवा का आह्वान हुआ था , मैं 18 साल से छोटा था और शरद 20 साल के थे। किन्हीं कारणों से मैं नहीं जा सका लेकिन दोनों भाई अयोध्या के लिए रवाना हो गए।
अशोक जायसवाल ने कहा कि 30 अक्टूबर, 1990 को शरद कोठारी ने सबसे पहले मुख्य गुंबद पर भगवा झंडा फहराया और अपनी कारसेवा की। 2 नवंबर 1990 को राम धुन कर रहे निहत्थे कारसेवकों पर आंसू गैस का इस्तेमाल किया गया। इसके बाद गोलीबारी शुरू हो गई और दोनों भाई पास के एक घर में छिप गए। पुलिस ने उन्हें जबरदस्ती पकड़ लिया और शरद को गोली मार दी। बड़े भाई राम ने उन्हें बचाने की कोशिश की तो पुलिस ने उनके भी सिर में गोली मार दी। इस तरह 2 नवंबर 1990 को कारसेवा करते समय दोनों भाइयों की जान चली गई।
कलकत्ता में अक्षत बांट रहा संगठन
तब से परिवार ने दोनों भाइयों की याद में राम-शरद कोठारी स्मृति संघ की स्थापना की है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान संघ अयोध्या में जलपान की व्यवस्था करेगा। संघ की ओर से करीब 60 लोगों का जत्था भी अयोध्या जाएगा। कोलकाता से अधिक से अधिक लोग राम लला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हों, संगठन हर घर में अयोध्या से अक्षत भी पहुंचा रहा है।