Yogi cabinet expansion : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तर मंगलवार शाम राजभवन में हो गया। सुभाषपा प्रमुख ओपी राजभर, भाजपा MLC दारा सिंह चौहान, विधायक सुनील शर्मा और रालोद MLA अनिल कुमार को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चारों नवनियुक्त मंत्रियों को शुभकामनाएं दी। साथ ही भरोसा जताया कि विकसित भारत विकसित उप्र के लक्ष्य के लिए पूरी तन्मयता से काम करेंगे। 

शपथ के बाद नवनियुक्त मंत्री बोले...

  • मंत्री पद की शपथ लेने के बाद ओपी राजभर ने कहा, गरीबों की सेवा के लक्ष्य के लिए अनवरत काम करते करेंगे। सरकार की योजनाएं गरीब और कमजोर लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे। उन्हें न्याय दिलाने का काम करेंगे। 
  • मंत्री पद की शपथ के बाद भाजपा MLC दारा सिंह चौहान ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ ही कहा कि जो जिम्मेदारी मिली है, उसका ईमानदारी से निर्वहन करूंगा।  
  • मंत्री पद की शपथ के बाद RLD विधायक अनिल कुमार ने पार्टी अध्यक्ष जयंत चौधरी, प्रधानमंत्री मोदी, CM योगी आदित्यनाथ के प्रति धन्यवाद दिया। साथ ही लोकसभा चुनाव में मजबूती से लड़ने का वादा किया। कहा, मेरे लिए बहुत खुशी का पल है। 

ओबीसी के साथ दलित वोट साधने की कवायद 
योगी मंत्रिमंडल में ओपी राजभर और दारा सिंह चौहान के अलावा रालोद कोटे से पुरकाजी विधायक अनिल कुमार को मंत्री बनाए जाने की संभावना है। आधिकारिक घोषणा तो नहीं हुई, लेकिन बताया गया कि पहले रालोद विधानमंडल दल के नेता राजपाल बालियान का नाम सूची में सबसे ऊपर था। लेकिन आगामी लोकसभा चुनाव और जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए रणनीति बदली गई है। दलित मतदाताओं को साधने रालोद के अनिल का नाम आगे बढ़ाया गया है। जबकि, ओपी राजभर और दारा सिंह चौहान का मंत्री बनाकर ओबीसी के बड़े वर्ग को साधने की तैयारी है।  

राजभर ने दिया था अल्टीमेटम
मंत्रिमडल विस्तर की मांग लंबे समय से की जा रही थी। सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर ने तो होली तक एक तरह से अल्टीमेटम दे दिया था। दारा सिंह और जयंत चौधरी भी दबाव बना रहे थे। विधान परिषद और लोकसभा के चुनाव भी हैं। इससे पहले भाजपा मंत्री पद देकर सहयोगियों का कद बढ़ाना चाहती है। 

इनके नाम भी चर्चा में 
योगी मंत्रिमंडल के लिए ओपी राजभर और दारा सिंह चौहान के नाम की भी चर्चा है। राष्ट्रीय लोक दल की ओर से अनिल कुमार के अलावा विधायक राजपाल बालियान को कैबिनेट और प्रदीप गुड्डू को राज्यमंत्री बनाए जने की भी संभावना है। वहीं, शामली के थानाभवन विधायक अशरफ अली का नाम भी सुर्खियों में है।  

कौन हैं अनिल कुमार 
अनिल कुमार ने पुरकाजी सुरक्षित सीट से रालोद के सिंबल पर पूर्व विधायक प्रमोद उटवाल को हराया था। अनिल चुनाव से पहले सपा में थे। लेकिन रालोद के सिंबल पर चुनाव लड़कर तीसरी बार विधायक चुने गए। इससे पहले वह चरथावल सीट से बसपा के टिकट पर विधायक बने थे। 2012 के परिसीमन में पुरकाजी सीट बनी तो अनिल यहां से विधायक निर्वाचित हुए। 2017 में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन 2022 में रालोद के सिंबल पर तीसरी बार विधायक बने। विधायक अनिल कुमार सहारनपुर जिले के तहारपुर गांव निवासी हैं। वर्तमान में अंकित विहार कॉलोनी में रहते हैं। 

कौन हैं ओपी राजभर 
ओपी राजभर सुभासपा (सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और संस्थापक सदस्य हैं। उत्तर प्रदेश की सियासत में उनकी अपनी एक अलग पहचान है। योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं, लेकिन पिछड़ों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था। पिछले विधानसभा चुनाव में सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन सरकार नहीं बनी तो पुन: एनडीए में शामिल हो गए।  विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर तीखे हमले बोलने वाले ओपी राजभर लोकसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ना चाहते हैं। ओपी राजभर और उनकी पार्टी  सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का यूपी के पूर्वांचल की कई सीटों पर अच्छा खासा राजनीतिक प्रभाव है। वाराणसी, मऊ, गाजीपुर से लगे कुछ जिलों में राजभर समाज की बड़ी आबादी है। जिसमें ओपी राजभर अच्छा होल्ड रखते हैं। 

कौन हैं दारा सिंह चौहान? 
भाजपा की ओर से हाल ही में MLC बनाए गए दारा सिंह चौहान यूपी की सियासत में बड़ा नाम है। लोनी समाज से आते हैं। CM योगी की पहली सरकार में मंत्री रहे दारा सिंह को 2000 में समाजवादी पार्टी ने राज्यसभा सांसद बनाया था, लेकिन 2007 में उन्होंने बसपा का दामन थाम लिया और घोसी लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए। 2014 में स्थतियां बदलीं। केंद्र में भाजपा की सरकार बनी तो दारा सिंह चौहान भाजपा के करीब आ गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में विधायक निर्वाचित और योगी सरकार में मंत्री बने, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले पुन: सपा से समझौता कर लिया। विधानसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। लिहाजा, पुन: भाजपा से समझौता कर लिया। हाल ही में उप्र विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए हैं। भाजपा उन्हें मंत्री बनाकर लोकसभा चुनाव में समर्थकों को वोट लेना चाहती है।