Nag Panchami: सांप प्रकृति का अनमोल उपहार है। सर्प का भोजन मुख्यता जीव जंतु नहीं बल्कि हवा यानी कार्बन डाइऑक्साइड है। पेट भरने के लिए भले ही सांप मेढ़ाक, चूहे आदि का सेवन करता है लेकिन उसका भोजन मुख्यता carbon dioxide है। बता दें कि धरती पर सर्प का सबसे बड़ा दुश्मन चूहा है, इसलिए क्योंकि चूहा प्रकृति को हर तरह से नुकसान पहुंचाता है। इस तरह सर्प प्रकृति का भक्षक नहीं बल्कि पूर्णता रक्षक है और जो रक्षा होता है उसे मरना नहीं बचना चाहिए।

आइए इस नाग पंचमी के अवसर पर जानते है कि सर्पों को मारना पाप क्यों माना जाता है? इस प्रश्न का उत्तर के लिए ज्योतिषाचार्य डॉक्टर मनीष गौतम कालिखोह ने प्राचीन धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं का जिक्र कर इसके धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों फायदे बताए हैं। 

जीव की हत्या करना सबसे बड़ा पाप
मां शारदा ज्योतिष पीठ के ज्योतिषाचार्य डॉक्टर मनीष गौतम कालिखोह ने बताया कि किसी भी जीव की हत्या करना पाप की श्रेणी में आता है, जो इंसान किसी जीव की बर्बरता से हत्या करने की कोशिश करता है या उसे बिना वजह मारता है उसे एक न एक दिन इसका बुरा फल मिलता है। धर्मशास्त्र में इस बात पर ज्यादा जोर दिया गया है कि सांप को मारने से इंसान को जरूर बचना चाहिए। यदि कोई मनुष्य सर्प की हत्या करने की कोशिश करता है उसे इसका फल कई जन्मों तक झेलना पड़ सकता है। ज्योतिष शास्त्र में भी ऐसा कहा गया है कि सांप को मारने या उसको कष्ट पहुंचाने वाले व्यक्ति को उसके द्वारा किए गए इस पाप से कभी भी छुटकारा नहीं मिलता है। कहा जाता है कि जो ऐसा करता है अगले जन्म में उसकी कुंडली में कालसर्प नामक दोष हो जाता है।

सर्पों का धार्मिक महत्व  
हिंदू धर्म में सर्पों को अत्यधिक पूजनीय माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव के गले में नाग विराजमान होते हैं, और भगवान विष्णु भी शेषनाग पर शयन करते हैं। इस कारण सर्पों को देवताओं का प्रतीक माना जाता है और इन्हें नुकसान पहुँचाना धार्मिक दृष्टि से सही नहीं समझा जाता है।

धार्मिक मान्यताएं  
सर्पों को मारना पाप इसलिए भी माना जाता है क्योंकि यह हमारे पूर्वजों द्वारा बनाए गए धार्मिक और नैतिक नियमों का उल्लंघन है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, सर्पों को मारने से कुंडली दोष और अन्य दोष उत्पन्न हो सकते हैं, जो व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयां ला सकते हैं।

सर्प को मारने से लगता है सर्पदोष और पितृदोष
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सर्प को मारने से सर्पदोष और पितृदोष लगता है। इन दोषों की वजह से जीवन में कई तरह की परेशानियां, कार्यों में बाधा और संतान संबंधी विषयों में कष्ट मिलता है। बहुत से लोगों की जन्मपत्री में कालसर्प, सर्प दोष और पितृ दोष होने की स्थिति में भी यही कारण बताया जाता है व्यक्ति ने पूर्वजन्म में सर्प मारने का अपराध किया होगा। 

पर्यावरणीय महत्व
सर्प पर्यावरण के संतुलन को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। वे चूहों और अन्य हानिकारक जीवों का शिकार करके फसल और अनाज की रक्षा करते हैं। इस तरह वे हमारे कृषि जीवन में अप्रत्यक्ष रूप से सहायता करते हैं। सर्पों को मारने से पर्यावरणीय असंतुलन उत्पन्न हो सकता है।

समाज और संस्कृति में सर्पों का स्थान
सर्पों का समाज और संस्कृति में भी विशेष स्थान है। नाग पंचमी के दिन लोग सर्पों की पूजा करते हैं और उन्हें दूध अर्पित करते हैं। यह दिन हमें सिखाता है कि हमें प्रकृति और जीवों का आदर करना चाहिए। सर्पों की पूजा करने से हमें उनके महत्व का एहसास होता है और हम उनके प्रति करुणा और सम्मान का भाव विकसित कर सकते हैं। नाग पंचमी का त्योहार हमें सर्पों के धार्मिक, पर्यावरणीय, और सांस्कृतिक महत्व की याद दिलाता है। यह दिन हमें यह भी सिखाता है कि किसी भी जीव की हत्या करना पाप है और हमें सभी जीवों के प्रति प्रेम और सम्मान की भावना रखनी चाहिए।