UK Royal Family: ब्रिटेन के शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली मेघन मार्कल अपनी ड्रेस को लेकर विवादों में आ गई हैं। उनके पहनावे को लेकर सोशल मीडिया में रॉयल फैमिली को लेकर एक नई बहस छिड़ गई है। प्रिंस हैरी की पत्नी मार्कल को सोशल मीडिया पर काफी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, राहत की बात ये है कि कई यूजर्स उनके सपोर्ट में आए हैं और उन्हें बेहद खूबसूरत बताया है। बता दें कि प्रिंस हैरी और मेघन मार्कल 10 मई को अफ्रीकी देश नाइजीरिया के दौरे पर गए थे।
इस डिजाइनर ने तैयार किया मार्कल का गाउन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मेघन मार्कल की ड्रेस का सिलेक्शन इसलिए विवादास्पद हो गया, क्योंकि डचेस ऑफ ससेक्स ने कैलिफोर्निया स्थित डिजाइनर हेइदी मेरिक द्वारा तैयार किया गया बेज कलर का गाउन पहना था। बता दें कि ब्रिटिश रॉयल फैमिली का उपनाम (सरनेम) विंडसर है और डिज़ाइनर की ऑफिशियल वेबसाइट पर इस गाउन का नाम विंडसर गाउन-ब्लश लिखा हुआ है।
सोशल मीडिया पर मेघन मार्कल की ट्रोलिंग जारी
शायद इसीलिए इंटरनेट यूजर्स मार्कल की ड्रेस को लेकर उनकी खिंचाई और तरह-तरह के कमेंट कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा- ''वे (प्रिंस हैरी और मार्कल) अपनी लाइफ से विंडसर (शाही परिवार का नाम) को पूरी तरह से मिटाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यहां मिसेज ससेक्स 'विंडसर' नाम वाली ड्रेस पहनकर आई हैं, हाहा!!”
कई लोगों ने कहा- मेघन गाउन में बेहद खूबसूरत लगीं
फॉक्स न्यूज के मुताबिक, ब्रिटेन के शादी परिवार के ताल्लुक रखने वाली शाही कपल को नाइजीरिया के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) ने अपनी पहली ऑफिशियल विजिट के लिए न्यौता दिया था। लेकिन सोशल मीडिया यूजर्स का एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है, जिसने मेघन मार्कल के फैसले को सही ठहराया है। कई लोगों ने कहा कि वह गाउन में बेहद खूबसूरत लग रही थीं।
प्रिंस हैरी और मार्कल ने 2023 में छोड़ा था शाही महल
- बता दें कि बकिंघम पैलेस, लंदन के पश्चिम में शाही परिवार के विंडसर एस्टेट में स्थित है, जो कभी प्रिंस हैरी और उनकी पत्नी मेघन मार्कल का घर हुआ करता था। लेकिन 2020 में उन्होंने रॉयल ड्यूटी (शाही परंपराओं) को छोड़कर अमेरिका में बसने का फैसला किया।
- कपल ने जून 2023 में अपना पुश्तैनी और शाही घर छोड़ दिया था। इस बीच, मेघन मार्कल की खास ड्रेस का सिलेक्शन एक रॉयल एक्सपर्ट के यह कहने के तुरंत बाद हुआ कि राजपाट त्यागने से पहले किंग चार्ल्स ने रॉयल कपल को एक "दुर्लभ सम्मान" दिया था।