South Korea President office Raided: दक्षिण कोरिया में राष्ट्रपति यून सुक योल पर छाए संकट के बादल गहराते जा रहे हैं। पुलिस ने बुधवार (11 दिसंबर) को योल के दफ्तर पर छापेमारी की। इस एक्शन ने देश के लोगों को चौंका दिया है। यून सुक योल के खिलाफ लोग राजधानी सियोल की सड़कों पर उतर आए हैं। अचानक मार्शल लॉ लागू कर देश को अराजक माहौल में धकेलने के खिलाफ लोगों की नाराजगी बढ़ती जा रही है।
फैसला लिया वापस, फिर भी हो रहा विरोध
हालांकि, यून सुक योल ने विरोध के बाद मार्शल लॉ लागू करने का अपना फैसला वापस ले लिया था, लेकिन उनके खिलाफ विरोध तेज हो रहा है। इससे पहले 7 दिसंबर को दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति के देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब उनके ऑफिस में छापेमारी के बाद यून सुक योल की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। इस विवाद ने दक्षिण कोरिया में सियासी उथल-पुथल पैदा कर दी है।
राष्ट्रपति यून के खिलाफ जांच तेज
दक्षिण कोरियाई पुलिस ने राष्ट्रपति यून सुक योल के दफ्तर पर छापा मारा है। इससे पहले, 9 दिसंबर को न्याय मंत्रालय ने उनके देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगाया था। मंत्रालय ने यह कदम उनके द्वारा अचानक मार्शल लॉ लागू करने और विपक्ष के गंभीर आरोपों के बाद उठाया। मार्शल लॉ ने देश को राजनीतिक संकट में धकेल दिया। यून पर यह भी आरोप है कि उनके फैसले ने दक्षिण कोरिया में अराजकता फैला दी।
मार्शल लॉ का अचानक ऐलान
3 दिसंबर की रात राष्ट्रपति यून ने अचानक मार्शल लॉ लागू कर दिया। इसके तहत संसद में विशेष बल और हेलिकॉप्टर तैनात कर दिए गए। लेकिन विपक्ष और उनकी पार्टी के सांसदों ने इसका विरोध किया और उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ा। इस घटना के बाद उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया, जिससे वह बाल-बाल बच गए। हालांकि, देशभर में विरोध प्रदर्शन बढ़ गए, और नागरिकों ने उनके इस्तीफे की मांग की।
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सियोल की सड़कों पर गुस्से का उबाल
राष्ट्रपति यून के फैसलों ने सियोल में विरोध प्रदर्शन की आग भड़का दी। ठंड के बावजूद बड़ी संख्या में लोग संसद के बाहर जुटे और राष्ट्रपति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। यून के खिलाफ विपक्ष ने पूर्व रक्षा मंत्री किम योंग ह्यून सहित 8 अन्य अधिकारियों पर विद्रोह का आरोप लगाया है। पुलिस ने पूर्व रक्षा मंत्री को गिरफ्तार कर लिया है।
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दक्षिण कोरिया के इतिहास में पहला प्रतिबंधित राष्ट्रपति
दक्षिण कोरिया के इतिहास में यून सुक योल पहले ऐसे राष्ट्रपति बन गए हैं, जिन पर पद पर रहते हुए देश छोड़ने का प्रतिबंध लगा है। यह प्रतिबंध उनकी 'देश-विरोधी' ताकतों के खिलाफ आपातकालीन मार्शल लॉ के ऐलान के बाद लगाया गया। भले ही मार्शल लॉ केवल छह घंटे चला, लेकिन इसके परिणामस्वरूप देश में राजनीतिक अशांति फैल गई।