Chanakya Niti: कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति के महाविद्वान आचार्य चाणक्य की नीतियां सदियों से पढ़ी जा रही है। चाणक्य नीतियों को अपने जीवन में उतारकर कोई भी व्यक्ति सफलता हासिल करने योग्य बन सकता है। चाणक्य नीति में धर्म और कर्म को लेकर विस्तार से बताया गया है। जिस तरह हिंदू धर्म के सबसे पवित्र ग्रंथ भगवत गीता में श्री कृष्ण ने सही कर्म करने वाले, झूठ ना बोलने वाले, माता पिता की सेवा करने वाले और ईश्वर की आराधना करने वाले लोगों को अपना प्रिय बताया है। श्री कृष्ण कहते है कि ऐसे लोगों को मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। कुछ इसी तरह चाणक्य ने भी इसे वर्णित किया है।
आचार्य चाणक्य की नीति में धर्म और कर्म को लेकर विस्तृत वर्णन किया गया है। उनके अनुसार जो व्यक्ति धर्म पक्ष पर चलता है, उसे धरती पर ही स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। इसके लिए उसके पास कुछ विशेष गुण होना जरुरी है, जिसके बारे में चाणक्य नीति का यह श्लोक देखें और समझे-
मातृवत् परदारांश्च परद्रव्याणि लोष्ठवत्.
आत्मवत् सर्वभूतानि यः पश्यति स पश्यति॥
उपरोक्त श्लोक चाणक्य के नीति शास्त्र के बारहवें अध्याय के 13वें श्लोक से लिया हुआ है। इसका अर्थ है कि, जो भी व्यक्ति पराई स्त्री को मां के समान, दूसरे के धन को पत्थर और धरती पर सभी प्राणियों को अपनी आत्मा समझता है। ऐसा व्यक्ति धरती पर ही स्वर्ग के समान सभी सुखों की प्राप्ति का हकदार होता है।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं-जानकारियों पर आधारित है। Haribhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।)