Ekdant Sankashti Chaturthi 2024: हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। कहते है इस दिन भगवान गणपति जी की सच्ची श्रद्धाभाव से पूजा-अर्चना करने पर जीवन के सभी संकट नष्ट होने लगते है। इस बार की ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को एकदंत संकष्टी चतुर्थी है। इस दिन गणपति के नाम से उपवास रखने और उनकी विधि-विधान से पूजा करने पर शुभ फल मिलते है।
एकदंत संकष्टी चतुर्थी कब है?
(Ekdant Sankashti Chaturthi Kab Hai)
हिंदू वैदिक पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 26 मई (रविवार) को दोपहर 06 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी। वहीं इसका समापन 27 मई (सोमवार) को दोपहर 3 बजकर 23 मिनट पर होगा। इसे देखते हुए एकदंत संकष्टी चतुर्थी 26 मई को रखा जाएगा।
एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त
(Ekdant Sankashti Chaturthi Puja Shubh Muhurat)
ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि या कहे एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा के दो शुभ मुहूर्त हैं। पहला शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 8 मिनट से दोपहर 12 बजकर 18 मिनट तक का है। वहीं दूसरा शुभ मुहूर्त शाम 7 बजकर 12 मिनट से रात 9 बजकर 45 मिनट तक का है।
एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
(Ekdant Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)
- - ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े धारण करें।
- - अब पूजा का संकल्प लेकर एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर गणपति जी की विराजित करें।
- - अब पूजा में गणेश जी को चंदन, तिलक, अक्षत, दूर्वा आदि शुभ चीजें अर्पित करें।
- - इसके पश्चात गणेश चालीसा, आरती, मंत्रों का जाप करें और अपना वर मांगे।
- - इसके बाद गणेश जी को उनका प्रिय लड्डू का भोग लगाएं।
एकदंत संकष्टी चतुर्थी का महत्व
(Ekdant Sankashti Chaturthi Mahatv)
सनातन धर्म में एकदंत संकष्टी चतुर्थी के व्रत का विशेष महत्त्व माना गया है। इस दिन उपवास रखने से भगवान गणेश जी प्रसन्न होते है और अपने भक्तों पर सदैव कृपा बनाकर रखते है। गणपति जी की कृपा से ऐसे साधकों के जीवन में हर मनोकामना पूरी होती है और उन्हें सफलता मिलती है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।