Van Tulsi Badrinath Dham: बद्रीनाथ धाम की यात्रा चल रही है। दुनियाभर से श्रद्धालु बाबा बद्रीनाथ के दर्शन करने पहुंच रहे हैं। उत्तराखंड में मौसम लगातार करवट बदलता रहता है। जिसके चलते अब ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी प्रभाव देखने को मिला है। मौसम में आ रहे इस परिवर्तन से औषधीय गुणों से भरपूर बदरीनाथ धाम में स्वत: उगने वाली वन तुलसी अब विलुप्त होने लगी है। ऐसे में भक्तों को अब वन तुलसी लिए बिना ही धाम से वापस लौटना पड़ेगा।
धाम स्थल पर प्रसाद विक्रेता लामबगड़, हनुमान चट्टी, पांडुकेश्वर, बडागांव और उदगम घाटी से वन तुलसी के पत्ते मंगवाकर उनकी मालाएं तैयार करते है। वन तुलसी की माला से ही भगवान बदरीनाथ का विशाल श्रृंगार किया जाता है। यह वन तुलसी 10500 फिट की ऊंचाई पर स्थित बदरीनाथ धाम में पाई जाती है। बताया जाता है कि, बद्रीनाथ धाम में भगवती वृंदा ही तुलसी के रूप में विराजमान हैं, जिन्हें महालक्ष्मी कहा गया है। वन तुलसी को तुलसी बर्बरी भी कहते है।
वन तुलसी के विलुप्ति की वजह
(Van Tulsi Vilupti ki Vjha)
बताया जा रहा है कि, जिस समय वन तुलसी उगनी शुरू होती है उस समय में बदरीनाथ धाम में भारी बर्फबारी हुई थी। इसी के चलते इस साल यह तुलसी काफी कम उगी है। इससे पहले के सालों में बर्फबारी दिसंबर-जनवरी महीने में हुआ करती थी, जिसके चलते वन तुलसी को उगने का समय मिलता था। लेकिन अब फरवरी-मार्च में ही बर्फवारी हो रही है, तो वन तुलसी को उड़ने का समय नहीं मिल पा रहा है। इसी वजह से वृंदा तुलसी विलुप्त होने लगी है।
वन तुलसी के फायदे
(Van Tulsi ke Fayde)
- - वनतुलसी के पत्ते के रस को नाक से देने पर बेहोशी, सिर दर्द और साइनस में लाभ होता है।
- - वन तुलसी के पत्ते के रस को आंखों में लगाने से आंखों की बीमारी में फायदा मिलता है।
- - वनतुलसी पत्ते के रस को नाक से लेने से नाक से बहने वाले खून को रोका जा सकता है।
- - वनतुलसी के पत्ते से बने 10 से 15 मिली काढ़ा में 500 मिग्रा जायफल चूर्ण डालें और पियें तो दस्त रोके जा सकते है।
- - वनतुलसी के पत्ते के रस की 1 या 2 बूंद को कान में डालने से कान के दर्द में फायदा दिखाई देता है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।