Bharat NCAP: अब देश में लोग कार की सुरक्षा को लेकर पहले से कहीं ज्यादा जागरूक हो गए हैं। आजकल ग्राहक 5-स्टार रेटिंग वाली कारों को तरजीह दे रहे हैं। इसके चलते ऑटो कंपनियां भी अपनी गाड़ियों को क्रैश टेस्ट के लिए भेज रही हैं। पहले सुरक्षा रेटिंग के लिए Global NCAP की रिपोर्ट को प्राथमिकता दी जाती थी, लेकिन अब भारत में Bharat NCAP की शुरुआत हो चुकी है। इसका मकसद भारत की सड़कों और ड्राइविंग कंडीशन्स के अनुसार कारों की सेफ्टी को आंकना है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कार का क्रैश टेस्ट कैसे होता है, और उसे 5 स्टार रेटिंग कैसे मिलती है? आइए जानते हैं...
1. Bharat NCAP क्या है?
यह भारत सरकार द्वारा शुरू की गई क्रैश टेस्टिंग एजेंसी है, जिसकी शुरुआत अक्टूबर 2023 में हुई थी। अब देश में बेची जा रही कारों को सेफ्टी रेटिंग Bharat NCAP से ही मिलती है।
2. एडल्ट और चाइल्ड सेफ्टी दोनों के लिए रेटिंग
इस प्रणाली में कारों को एडल्ट ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन और चाइल्ड ऑक्यूपेंट प्रोटेक्शन के आधार पर अलग-अलग रेटिंग दी जाती है।
3. किसी कार को 5-स्टार सेफ्टी रेटिंग पाने के लिए Bharat NCAP के मानकों के अनुसार एडल्ट सेफ्टी में कम से कम 27 पॉइंट्स और चाइल्ड सेफ्टी में 41 पॉइंट्स हासिल करना अनिवार्य होता है।
4. Bharat NCAP के तहत कार की सुरक्षा जांचने के लिए तीन तरह के क्रैश टेस्ट किए जाते हैं: फ्रंटल इम्पैक्ट टेस्ट (64 km/h की स्पीड से दीवार से टक्कर), साइड इम्पैक्ट टेस्ट (50 km/h की रफ्तार से भारी वस्तु द्वारा साइड से टक्कर), और पोल साइड इम्पैक्ट टेस्ट (29 km/h की स्पीड से पोल जैसी बाधा से टक्कर)। इन टेस्ट्स से कार की संरचनात्मक मजबूती और सुरक्षा तकनीकों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन किया जाता है।
5. फ्रंटल क्रैश टेस्ट
कार को 64 km/h की स्पीड से दीवार से टकराया जाता है, जिसमें डमी इंसान को बैठाया जाता है। यह सबसे महत्वपूर्ण टेस्ट होता है।
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6. साइड इम्पैक्ट टेस्ट
कार की साइड से एक भारी वस्तु को 50 km/h की रफ्तार से मारा जाता है। इससे साइड सेफ्टी को जांचा जाता है।
7. पोल साइड इम्पैक्ट टेस्ट
इसमें कार को 29 km/h की स्पीड से पोल से टकराया जाता है, जिससे पता चलता है कि साइड से टक्कर लगने पर कार का ढांचा कितनी सुरक्षा देता है।
8. सेफ्टी फीचर्स का विश्लेषण
जैसे कि एबीएस (एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम), छह एयरबैग्स, ईएसपी (इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी प्रोग्राम) और एडीएएस (एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम) जैसी टेक्नोलॉजीज की उपस्थिति और उनकी कार्यक्षमता का भी बारीकी से मूल्यांकन किया जाता है। ये सभी फीचर्स कार की सुरक्षा में अहम भूमिका निभाते हैं और इन्हीं के आधार पर सेफ्टी रेटिंग निर्धारित की जाती है।
9. टेक्निकल स्कोरिंग और रेटिंग प्रक्रिया
तीनों टेस्ट्स के डेटा को सॉफ्टवेयर एनालिसिस के जरिए स्कोर में बदला जाता है और फिर उसी आधार पर स्टार रेटिंग दी जाती है।
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10. भारत बना दुनिया का 5वां देश
अपनी खुद की क्रैश टेस्ट एजेंसी शुरू करने वाला भारत अब दुनिया का पांचवां देश बन चुका है। इससे पहले Global NCAP, Euro NCAP, Latin NCAP जैसी एजेंसियां काम कर रही थीं।
अब भारतीय ग्राहकों को गाड़ियों की सुरक्षा परखने के लिए एक स्थानीय और विश्वसनीय प्रणाली मिल गई है। Bharat NCAP से मिलने वाली रेटिंग्स भारतीय सड़कों के हिसाब से गाड़ियों की मजबूती और सुरक्षा का सही आंकलन करती हैं, जिससे ग्राहक पहले से ज्यादा सुरक्षित विकल्प चुन सकते हैं।
(मंजू कुमारी)