New Payment Aggregators: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने डिजिटल पेमेंट कंपनी Razorpay और Cashfree को पेमेंट एग्रीगेटर्स के तौर पर काम करने की मंजूरी दी है। इस फैसले के बाद फिनटेक कंपनियां करीब एक साल के प्रतिबंध के बाद नए मार्चेंट्स को जोड़ पाएंगी। आरबीआई ने पिछले साल दिसंबर में इस पर रोक लगाई थी। बता दें कि PayU, Paytm, JusPay जैसी कंपनियों को अभी तक नए मर्चेंट्स जोड़ने के लिए आरबीआई की मंजूरी नहीं मिली है।

Cashfree ने पूरे किए जरूरी ऑडिट
कैशफ्री पेमेंट्स के स्पोक्सपर्सन ने कहा कि आरबीआई के द्वारा नए मर्चेंट्स को जोड़ने पर लगी रोक मंगलवार को हटा ली गई है। कंपनी ने रिजर्व बैंक से पेमेंट एग्रीगेटर (PA) लाइसेंस हासिल कर लिया है। इससे लिए सभी जरूरी ऑडिट पूरे कर लिए गए हैं। अब हम नए व्यापारियों को अपने साथ जोड़ सकते हैं। कंपनी के प्लेटफॉर्म पर करीब 15 हजार से अधिक ऐसे मर्चेंट्स हैं, जो केवायसी की प्रक्रिया पूरी करने के लिए तैयार हैं। 

Razorpay ने लाइसेंस पर क्या कहा?
रेजरपे की ओर से बताया गया है कि पेमेंट सेटलमेंट एक्ट, 2007 के तहत अब कंपनी को पेमेंट एग्रीगेटर के रूप में काम करने के लिए हरी झंडी मिल गई है। नए PA लाइसेंस के साथ हम अपने इंडस्ट्री फर्स्ट पेमेंट सॉल्यूशन के साथ ग्राहकों को दोबारा सर्विस देना शुरू करेंगे।

क्या होते हैं पेमेंट एग्रीगेटर्स?
बता दें कि PayU, Paytm, JusPay जैसी कंपनियों को अभी तक नए मर्चेंट्स जोड़ने के लिए आरबीआई की मंजूरी नहीं मिली है। RBI पेमेंट एग्रीगेटर्स (PAs) वह संस्थाएं हैं, जो ई-कॉमर्स साइट्स और मर्चेंट्स को अपना खुद का पेमेंट इंटीग्रेशम सिस्टम बनाए बगैर ग्राहकों से भुगतान स्वीकार करने की सुविधा प्रदान करते हैं। पेमेंट एग्रीगेटर व्यापारियों को अधिग्रहणकर्ताओं से जुड़ने में सक्षम बनाते हैं।