MP News: मध्यप्रदेश ने देश में एक नई मिसाल कायम की है, जहाँ मेडिकल की पढ़ाई अब हिन्दी में भी संभव हो रही है। यह पहल विशेष रूप से उन छात्रों के लिए है, जिनकी प्राथमिक शिक्षा हिन्दी माध्यम में हुई है और जो अंग्रेजी में मेडिकल विषयों को समझने में कठिनाई का सामना करते थे।
मेडिकल की किताबें हिन्दी में उपलब्ध कराने वाला मध्यप्रदेश देश में पहला राज्य बन गया है। प्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस के 20 में से 15 विषयों की हिन्दी में पुस्तकें उपलब्ध कराई जा चुकी हैं, जबकि बाकी पाँच विषयों की पुस्तकें भी जल्द ही प्रिंट होकर तैयार हो जाएंगी।
छात्रों को मिल रही सहूलियत
मेडिकल शिक्षा विभाग के अनुसार, लगभग 10 फीसदी एमबीबीएस विद्यार्थी हिन्दी की इन पुस्तकों से पढ़ाई कर रहे हैं। खासतौर पर हिन्दी माध्यम से पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए ये पुस्तकें एक सेतु का काम कर रही हैं, जिससे वे चिकित्सा जैसे कठिन विषयों को आसानी से समझ पा रहे हैं। हालांकि, अधिकतर छात्र अभी भी अपनी परीक्षाएँ अंग्रेजी में ही देते हैं, लेकिन हिन्दी में इन पुस्तकों का उपयोग उनकी समझने में मददगार साबित हो रहा है।
निजी कॉलेजों की उदासीनता
यह पहल फिलहाल केवल सरकारी मेडिकल कॉलेजों में लागू हो पाई है। निजी मेडिकल कॉलेजों द्वारा इसे अपनाने में अब तक रुचि नहीं दिखाई गई है। इस उदासीनता के बावजूद, सरकार योजना को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह काम कर रही है।
इन राज्यों में फैल रहा है प्रभाव
मध्यप्रदेश की इस सराहनीय पहल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी प्रोत्साहित किया है। इस मॉडल की सफलता के बाद अन्य हिन्दी भाषी राज्य भी इसे अपनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, बिहार और उत्तरप्रदेश जैसे राज्य अब मेडिकल की पुस्तकें हिन्दी में उपलब्ध कराने की योजना बना रहे हैं, और इसमें एमपी की टीम उनकी मदद कर रही है।