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Monkey pox: कई देशों में मंकीपॉक्स के कई मामले सामने आए हैं। ऐसे में मंकीपॉक्स बीमारी की संक्रामकता, इसके कारणों, लक्षणों और इससे बचाव के तरीकों के बारे में जानना जरूरी है। यहां इस बारे में डिटेल में बताया जा रहा है।

Monkey pox: बीते कुछ महीनों से कई देशों में मंकीपॉक्स के कई मामले सामने आए हैं। इसीलिए अपने देश में भी कुछ राज्यों में हेल्थ एडवाइजरी जारी की गई है। मंकीपॉक्स या एमपॉक्स नामक बीमारी मंकीपॉक्स वायरस, जिसे आमतौर पर एमपीएक्सवी के नाम से जाना जाता है, के कारण होती है। इस वायरस के तेज फैलाव को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा बताया है। ऐसे में इस बारे में पूरी जानकारी रखना और सावधानी बरतना सभी के लिए जरूरी है।

मंकीपॉक्स कैसे फैलता है
नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम में सीनियर कंसल्टेंट-इंटरनल मेडिसिन, डॉ. पंकज वर्मा मंकीपॉक्स के बारे में बताते हैं, ‘एमपॉक्स एक वायरल बीमारी है, जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होती है, जो ऑर्थोपॉक्स वायरस जीनस की एक प्रजाति है। इस वायरस के दो अलग-अलग क्लेड, क्लेड I और क्लेड II हैं। मंकीपॉक्स आमतौर पर हल्की बीमारी होती है और 2 से 4 सप्ताह में ठीक हो जाती है। लेकिन कभी-कभी यह गंभीर बीमारी का कारण भी बन जाती है, जो छोटे बच्चों, गर्भावस्था के दौरान और कमजोर इम्यूनिटी सिस्टम वाले लोगों में अधिक होती है।

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मंकीपॉक्स का संक्रमण जानवरों से मनुष्यों में और संक्रमित व्यक्ति से दूसरों में फैल सकता है। संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से निकली बूंदों को सांस के माध्यम से अंदर लेना, या यदि ये बूंदें आपकी आंखों, नाक या मुंह में चली जाती हैं तो भी यह वायरस आपको संक्रमित कर सकता है। संक्रमित शारीरिक तरल पदार्थ, चकत्ते, घाव, पपड़ी या छाले के साथ शारीरिक संपर्क होना या संक्रमित व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल की गई दूषित वस्तुओं को छूना-जैसे बिस्तर, तौलिया या कपड़े के संपर्क में आने से भी यह वायरस फैल सकता है।’ कहने का मतलब है कि यह वायरस बहुत संक्रामक है इसलिए बचाव के लिए बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है।

मंकीपॉक्स बीमारी के लक्षण
श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली के प्रिंसिपल कंसल्टेंट-इंटरनल मेडिसिन एंड इंफेक्शन डिजीज डॉ. दीपक गुप्ता मंकीपॉक्स के लक्षणों के बारे में बताते हैं, ‘इसके शुरुआती लक्षणों में‘फ्लू जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं। वायरस के संपर्क में आने के 5 से 21 दिन बाद इसके लक्षण शुरू होते हैं। प्रारंभिक लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना, जोड़ों में दर्द, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सूजी हुई लिंफ नोड्स और अत्यधिक थकान महसूस होना शामिल हैं।

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मंकीपॉक्स वायरस के कारण एक विशिष्ट प्रकार के दाने भी हो सकते हैं, जो कभी-कभी बड़े चेचक के फफोले के समान दिखते हैं। ये दाने बुखार और अन्य लक्षणों के 1 से 5 दिन बाद विकसित हो सकते हैं। दाने शुरुआत में सपाट लाल धब्बों के समान होते हैं। फिर यह पीले रंग के तरल पदार्थ से भरे घाव में बदल जाते हैं और फिर पपड़ीदार होकर गिर जाते हैं। ये दाने सामान्य रूप से आपके चेहरे, मुंह के अंदर, छाती, पीठ, हाथ, पैर और जननांग के अलावा अन्य स्थानों पर भी हो सकते हैं। ऐसे में इन लक्षणों के प्रति सतर्कता आवश्यक है और अगर आपको ऐसे लक्षण महसूस हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।’

Monkeypox virus
Monkeypox virus

इलाज और बचाव
धर्मशिला नारायणा हॉस्पिटल, दिल्ली में सीनियर कंसल्टेंट-इंटरनल मेडिसिन, डॉ. गौरव जैन मंकीपॉक्स से बचाव और इलाज के बारे में बताते हैं कि ज्यादातर लोगों में मंकीपॉक्स हल्का होता है और उन्हें विशेष उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि डॉक्टर लक्षणों या जटिलताओं के आधार पर इलाज करते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आपको अपने दाने से त्वचा में संक्रमण हो जाता है तो आपको दर्द निवारक दवाओं या एंटीबायोटिक दवाओं की आवश्यकता हो सकती है। इस बीमारी का दूसरा सप्ताह बहुत नाजुक होता है और यदि जल्द ही इस बीमारी का निदान हो जाए तो इसे फैलने से रोका जा सकता है। वृद्ध लोग जिन्हें चेचक का टीका लगा होता है, उनमें इस बीमारी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है।

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मंकीपॉक्स वायरस संक्रमण के लिए कोई भी प्रमाणित, सुरक्षित इलाज नहीं है, लेकिन हाल ही में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के बाद सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने बताया है कि वो इस बीमारी के खिलाफ एक वैक्सीन विकसित कर रहे हैं, जिससे मंकीपॉक्स के कारण होने वाले जोखिमों को कम किया जा सकता है। इसके अलावा इस बीमारी से बचाव के तौर पर आप स्वच्छता का ध्यान रखें, खांसने या छींकने वाले लोगों से दूरी बनाएं, खुद खांसते या छींकते समय अपना नाक और मुंह ढंकें, संक्रमित व्यक्ति एवं उनकी किसी भी वस्तु के संपर्क में आने से बचें और इस बीमारी से जुड़े किसी भी तरह के लक्षण महसूस हों पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

हेल्थ इमरजेंसी घोषित हुआ एमपॉक्स 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त 2024 को एमपॉक्स को ‘पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न’ घोषित किया है। इस बीमारी का आउटब्रेक तो डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और अन्य अफ्रीकी देशों में हुआ था, लेकिन इसके केस यूरोप में स्वीडन और एशिया में पाकिस्तान तक प्रकाश में आए हैं, इसलिए डब्लूएचओ के लिए यह कदम उठाना आवश्यक हो गया था ताकि सभी देश सतर्क रहें और अपने नागरिकों को एमपॉक्स से सुरक्षित रखने के लिए जरूरी बंदोबस्त कर लें। एमपॉक्स के पहले मामले 2022 में सामने आए थे और तब से यह बीमारी बिना रोक-टोक निरंतर फैलती ही जा रही है, हाल ही में इसके केस दुनियाभर से रिपोर्ट हो रहे हैं। एमपॉक्स या मंकीपॉक्स दुर्लभ जूनोटिक रोग है यानी, यह जानवरों से इंसानों में फैलता है। एमपॉक्स के सही स्रोत की जानकारी अभी तक नहीं हो सकी है, लेकिन माना जा रहा है कि छोटे स्तनधारी जैसे गिलहरी और बंदर इसके कैरियर हैं। 

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फिलहाल एमपॉक्स का कोई विशिष्ट इलाज उपलब्ध नहीं है। इसलिए डब्लूएचओ सहायक केयर की सिफारिश करता है, जैसे जिन व्यक्तियों को जरूरत है, उन्हें दर्द या बुखार की दवा देना। लेकिन आमतौर से लक्षण अपने आप ही चले जाते हैं। एमपॉक्स से पीड़ित व्यक्तियों को चाहिए कि वह हाइड्रेटेड रहें, ठीक से भोजन करें, पर्याप्त नींद लें, अपनी त्वचा को खुजाएं नहीं, लाल चकत्तों को छूने से पहले और बाद में हाथों को धोएं और अपनी त्वचा को सूखा और खुला रखें। स्मालपॉक्स का उपचार करने के लिए एंटीवायरल दवा टेकोविरीमैट विकसित की गई थी। जनवरी 2022 में यूरोपियन मेडिसिंस एजेंसी ने अपवाद हालात में एमपॉक्स का इलाज करने के लिए इसे मंजूरी दी, लेकिन इस प्रकार की दवाओं के साथ अनुभव सीमित ही रहा है। तीन वैक्सीन-एमवीए-बीएन, एलसी16 और ऑर्थोपॉक्सवायरस स्मालपॉक्स के विरुद्ध विकसित की गईं थीं, उन्हें भी एमपॉक्स को रोकने के लिए मंजूरी दी गई है। बहरहाल, जिन लोगों को खतरा है उन्हें ही टीकाकरण के लिए ठीक समझा जा रहा है। डब्लूएचओ इस पक्ष में नहीं है कि बड़े पैमाने पर टीकाकरण किया जाए। बहरहाल, सभी को सावधान रहने की जरूरत है।

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