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Grapes Plantation: आप अगर अंगूर की बेल घर पर उगाना चाहते हैं तो कुछ तरीके काफी काम आएंगे। कुछ सालों की देखभाल से बेल पर अंगूर के ढेरों गुच्छे नजर आने लगेंगे।

Grapes Plantation: क्या घर की बालकनी, आंगन या छत पर रसीले अंगूरों की बेल उगाई जा सकती है? जी हां, यह सपना आसानी से हकीकत बन सकता है। अंगूर एक ऐसा फ्रूट है जिसे पसंद करने वालों की कमी नहीं है। आप अगर बागवानी का शौक रखते हैं तो अंगूर की बेल को आसानी से अपने घर में बढ़ा कर सकते हैं। इसके लिए आपका गार्डनिंग एक्सपर्ट होना बिल्कुल भी जरूरी नहीं है। 

अंगूर की बेल को गमले में भी आसानी से प्लांट किया जा सकता है। इसे दीवारों के सपोर्ट से या छत पर आसानी से उगाकर देखभाल की जा सकती है। आइए जानते हैं अंगूर की बेल लगाने और देखभाल का तरीका। 

अंगूर की बेल उगाने का तरीका

किस्म का चुनाव: सबसे पहले, आपको अपनी जलवायु और पसंद के अनुसार अंगूर की किस्म का चुनाव करना होगा। कुछ लोकप्रिय किस्में जो घरों में उगाई जा सकती हैं वे हैं:

थॉम्पसन सीडलेस: यह बीज रहित और मीठी होती है।
ब्लैक कॉर्निचोन: यह गहरे नीले रंग की और थोड़ी खट्टी-मीठी होती है।
परलेट: यह जल्दी पकने वाली और मीठी होती है।
अनाब-ए-शाही: यह लंबी और मीठी होती है। आप स्थानीय नर्सरी से सलाह ले सकते हैं कि आपके क्षेत्र के लिए कौन सी किस्म सबसे अच्छी रहेगी।

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स्थान का चुनाव: अंगूर की बेल को भरपूर धूप की आवश्यकता होती है, इसलिए ऐसा स्थान चुनें जहाँ दिन में कम से कम 6-8 घंटे सीधी धूप मिले। मिट्टी अच्छी जल निकासी वाली होनी चाहिए। यदि मिट्टी भारी है, तो उसमें रेत और खाद मिलाकर जल निकासी में सुधार करें।

रोपण का समय: अंगूर की बेल लगाने का सबसे अच्छा समय वसंत ऋतु है, जब ठंढ का खतरा टल गया हो। आप पतझड़ में भी लगा सकते हैं, लेकिन पौधे को सर्दी से बचाने का ध्यान रखना होगा।

रोपण की विधि
एक गड्ढा खोदें जो पौधे की जड़ के गोले से दोगुना चौड़ा और गहरा हो। गड्ढे के तले में थोड़ी सी खाद डालें। पौधे को गड्ढे में रखें ताकि जड़ का ऊपरी हिस्सा मिट्टी की सतह के बराबर हो। गड्ढे को मिट्टी से भर दें और हल्के हाथ से दबा दें। तुरंत पानी दें।

सहारा देना: अंगूर की बेल एक लता है, इसलिए इसे बढ़ने के लिए सहारे की आवश्यकता होगी। आप ट्रेलिस, आर्बर या दीवार का उपयोग कर सकते हैं। रोपण के तुरंत बाद सहारा लगा दें।

अंगूर की बेल की देखभाल की विधि

पानी देना: पहले साल में, पौधे को नियमित रूप से पानी दें, खासकर सूखे मौसम में। मिट्टी को हमेशा नम रखें, लेकिन ज्यादा पानी न दें जिससे जड़ें सड़ जाएं। स्थापित बेलों को आमतौर पर कम पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन फल लगने के दौरान और गर्मी में पानी देना महत्वपूर्ण है।

खाद डालना: पहले साल में, वसंत ऋतु में संतुलित उर्वरक (जैसे 10-10-10) की थोड़ी मात्रा डालें। स्थापित बेलों को हर साल वसंत ऋतु में खाद दें। आप जैविक खाद जैसे कि गोबर की खाद या कम्पोस्ट का भी उपयोग कर सकते हैं।

छंटाई (Pruning): अंगूर की बेल की छंटाई बहुत महत्वपूर्ण है ताकि अच्छी फसल हो और बेल स्वस्थ रहे। छंटाई आमतौर पर सर्दियों में की जाती है, जब बेल निष्क्रिय अवस्था में होती है।

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पहले वर्ष में, मुख्य तने को मजबूत बनाने पर ध्यान दें।
दूसरे वर्ष में, फल देने वाली शाखाओं (स्पर्स) का विकास करें।
हर साल, सूखी, कमजोर या रोगग्रस्त शाखाओं को हटा दें। फल देने वाली पुरानी शाखाओं को भी काट दें ताकि नई शाखाओं को बढ़ने का मौका मिले।
कीट और रोग नियंत्रण: अंगूर की बेलों पर कुछ कीट और रोग लग सकते हैं, जैसे कि माहू (aphids), मकड़ी के कण (spider mites), फफूंदी (mildew), और सड़न (rot)।

नियमित रूप से बेल का निरीक्षण करें।
शुरुआती अवस्था में कीटों और रोगों का पता चलने पर जैविक कीटनाशक या फफूंदनाशक का उपयोग करें।
अच्छी हवा का संचार बनाए रखने के लिए बेल की छंटाई करें।

खरपतवार नियंत्रण: बेल के आसपास खरपतवारों को बढ़ने न दें, क्योंकि वे पोषक तत्वों और पानी के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। नियमित रूप से निराई करें या मल्चिंग (mulching) का उपयोग करें।

फल की सुरक्षा: जब फल पकने लगें, तो उन्हें पक्षियों और अन्य जानवरों से बचाने के लिए जाल या कपड़े का उपयोग करें।

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