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Social Media Impact: सोशल मीडिया ने पूरी दुनिया को आपस में कनेक्ट करने में रिवोल्यूशनरी रोल निभाया है। लेकिन इसका दूसरा पहलू यह है कि आज देश-दुनिया में करोड़ों लोग सोशल मीडिया एडिक्शन से ग्रस्त हैं। ऐसे में इस एडिक्शन से बचने के तरीकों और इससे होने वाले बेनिफिट्स के बारे में हम सभी को पता होना चाहिए।

 Social Media Impact: आज के दौर में सोशल मीडिया, हम में से अधिकतर की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है। चाहे किसी तरह की जानकारी लेनी हो, अपने प्रोडक्ट की पब्लिसिटी करनी हो, अवेयर करना हो, हर फील्ड का प्लेटफॉर्म बनाने का काम सोशल मीडिया कर रहा है। सोशल मीडिया ऑनलाइन प्लेटफॉर्म, हमारे शरीर के मस्तिष्क के उसी हिस्से को सक्रिय करते हैं, जिस हिस्से को अन्य हैबिट्स एक्टिव करती हैं। सोशल मीडिया पर लाइक्स, ज्यादा से ज्यादा व्यूअर, फॉलोअर और सब्सक्राइबर मिलने से शरीर में डोपामाइन केमिकल का लेवल बढ़ जाता है और व्यक्ति को खुशी महसूस होने लगती है। इसके उलट अगर आपकी पोस्ट पर नेगेटिव कमेंट्स आते हैं या ट्रोलिंग होती है तो आप परेशान हो जाते हैं और नेगेटिविटी का शिकार भी होने लगते हैं। वास्तव में सोशल मीडिया एक वर्चुअल या आभासी दुनिया है, जो वास्तविकता या रियलिटी से अलग है। यहां सिर्फ वही दिखता है, जो हम लोगों को दिखाना चाहते हैं। रील और रियल लाइफ बहुत अलग-अलग होती हैं।

तेजी से बढ़ रहा लोगों में एडिक्शन
आज के बदलते लाइफस्टाइल में सोशल मीडिया, हमारी हेल्थ और सक्सेस का सबसे बड़ा दुश्मन साबित हो रहा है। दरअसल, सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म्स (व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर, स्नैप चैट) का एडिक्शन लोगों को तेजी से अपनी गिरफ्त में ले रहा है। इस वजह से अपने दिन का एक बड़ा हिस्सा लोग इसमें बर्बाद कर रहे हैं। शुरू में चाहे वो नॉलेज पाने के लिए स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं, धीरे-धीरे सोशल मीडिया में चैटिंग करना, स्टेटस लगाना, सेल्फी लगाने में उलझने लगते हैं। कई लोग तो इस कदर इसमें रम जाते हैं कि हर पांच मिनट में अपना स्टेटस अपडेट करने लगते हैं और उस पर आने वाले लाइक्स का बड़ी शिद्दत से इंतजार करते हैं। ऐसा ना करने पर उन्हें एंजाइटी होने लगती है। उनके दिमाग में एडिक्शन पैटर्न बनना शुरू हो जाता है, जो हेल्थ और नॉर्मल लाइफ के लिए काफी हार्मफुल हो सकता है।

क्या कहते हैं आंकड़े
भारत में एंड्रॉयड मोबाइल फोन के तेजी से बढ़ते चलन के कारण, आज तकरीबन 35 करोड़ सोशल मीडिया यूजर हो गए हैं। आने वाले कुछ वर्षों में इनकी संख्या और बढ़ने की संभावना है। स्मार्टफोन यूजर, औसतन ढाई से तीन घंटे रोजाना सोशल मीडिया पर बिताते हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के हिसाब से बड़े शहरों में 18 साल से कम उम्र के बच्चे सोशल मीडिया की लत का शिकार हो रहे हैं। 10-12 साल के करीब 43 प्रतिशत बच्चे सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर एक्टिव हैं। 8 में से एक बच्चा रात को भी सोशल मीडिया चैटिंग करता है।

तब हो जाएं अलर्ट
इसमें कोई शक नहीं है कि अगर सोशल मीडिया का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए, तो इससे आप अपनी नॉलेज और करियर को बेहतर बना सकते हैं। लेकिन गलत इस्तेमाल आपको शारीरिक-मानसिक रूप से बीमार बना सकता है। अगर आपको अपने सोशल मीडिया एकाउंट चेक करते हुए या करने के बाद मूड में नेगेटिविटी या कुछ एब्नॉर्मल लक्षण नजर आने लगें जैसे-साइकोलॉजिकल डिपेंडेंसी बहुत बढ़ना, ईर्ष्या या असुरक्षा जैसे भाव महसूस होने लगें, आपको अकसर गुस्सा आने लगे, स्वभाव में चिड़चिड़ापन आए, बिना वजह दुखी रहें, स्ट्रेस, एंग्जाइटी बढ़ जाए, आपके ईटिंग और स्लीपिंग पैटर्न में बदलाव हो यानी रात में नींद कम आने लगे या भूख कम लगे, रोजमर्रा की एक्टिविटीज और काम-काज में मन ना लगे, बार-बार फोन चेक करने का मन करे, अपने पियर ग्रुप या दोस्तों के साथ कंपैरिजन करने लगें, उनसे मिलने-बातचीत करने के बजाय सोशल मीडिया पर ही संपर्क में रहते हों तो ये सब सोशल मीडिया एडिक्शन के लक्षण हो सकते हैं। यह खतरे की घंटी है। ऐसे में सोशल मीडिया से दूरी बना लेना ही उचित है।

सोशल मीडिया डिटॉक्स के फायदे
अनुसंधानों से साबित हुआ है कि सोशल मीडिया से ब्रेक लेने यानी इसके एडिक्शन से मुक्त होने के बाद लोगों के शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य में काफी सुधार आता है। अगर आप सोशल मीडिया एडिक्शन से ग्रस्त हैं तो इन फायदों के बारे में जानकर आप जरूर इससे मुक्त होना चाहेंगे।

मूड में सुधार
रिसर्च से साबित हुआ है कि सोशल मीडिया से दूरी बना लेने पर मूड में पॉजिटिव बदलाव आता है। इससे आप अपनी तुलना दूसरों से करना बंद कर देंगे, दूसरों से खुद को कमतर नहीं समझेंगे। दूसरों को देखकर दुखी रहने की आदत खत्म हो जाती है, अपनी जिंदगी सुकून से जीने लगते हैं। आपका मूड अच्छा रहता है, प्रोडक्टिव वर्क अधिक करने लगते हैं।

कम होती है शो-ऑफ की हैबिट
सोशल मीडिया पर लोग ज्यादातर दिखावा करते हैं, अपने को बहुत खुश दिखाते हैं। कुछ लोग इन साइट्स पर हर पांच मिनट में अपनी फोटो, वीडियो डालते रहते हैं। जिन्हें देखकर कहीं ना कहीं आपके मन में तनाव रहता है। इस वजह से आप भी शो-ऑफ भरे पोस्ट डालना चाहते हैं और ऐसा ना कर पाने पर दुःखी रहने लगते हैं। सोशल मीडिया की लत छोड़ने पर आप शो-ऑफ की हैबिट से दूर रहकर सहज जीवन जीने लगते हैं।

फेक न्यूज से होगा बचाव
यह सच है कि सोशल मीडिया झूठी खबरों का सबसे बड़ा अड्डा बन चुका है। कई बार तो इनके जरिए व्यक्ति को इस तरह ट्रैप किया जाता है कि वह किसी कंपनी या प्रोडक्ट के बारे में दी गई गलत जानकारी पर आंख मूंद कर विश्वास कर लेता है। जिसकी वजह से कभी-कभार वित्तीय नुकसान तो होता ही है, सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है। सोशल मीडिया की लत से निकलने पर निश्चय ही इससे बचा जा सकता है।

एंग्जाइटी होती है कम
एडिक्शन से दूर होने के बाद, रोज-रोज लाइमलाइट में आने के लिए ‘क्या पोस्ट डालें’ यह नहीं सोचना पड़ेगा। ना ही इस बात की फिक्र रहेगी कि आपकी तस्वीरों या चीजों पर कितने लाइक्स मिले, कितने कमेंट आए, कितने लोगों ने वीडियो देखी, फ्रेंड लिस्ट फॉलोअर्स लिस्ट में कितना इजाफा हुआ? यानी, सोशल मीडिया की लत से मुक्त होने पर आप पोस्ट पर हुई ट्रोलिंग और उससे उपजी टेंशन, एंग्जाइटी और डिप्रेशन से दूर रहेंगे।

डेली प्लानिंग होती है बेहतर
एडिक्शन से मुक्त होने पर सुबह उठने के साथ मोबाइल पर नोटिफिकेशन, एप्स पर दूसरों की स्टोरीज चेक करना बंद हो जाता है। बचे समय में आप कहीं बेहतर तरीके से अपने दिन की प्लानिंग कर सकते हैं।

क्रिएटिविटी होगी बूस्ट
जाने-अनजाने सोशल मीडिया की लत आपका बहुत सारा टाइम बर्बाद कर देती है, जिसका इस्तेमाल अपने तरीके से कर सकते हैं। खाली समय में आप अपनी हेल्थ-फिटनेस पर ध्यान दे सकते हैं। आप क्रिएटिव काम कर सकते हैं। अपनी हॉबीज को टाइम दे सकते हैं।

बढ़ेगा सोशल कनेक्शन
सोशल मीडिया डिटॉक्स करके आप व्यावहारिक रूप से लोगों के करीब आ सकते हैं। सोशल मीडिया में ज्यादातर लोगों से डिजिटल संबंध ही बन पाते हैं। इससे दूर होने पर असल जिंदगी के लोगों के साथ समय बिताने का मौका मिलता है और आपकी बॉन्डिंग मजबूत बनती है।

ऐसे दूर करें सोशल मीडिया एडिक्शन

  • अगर आपको लग रहा है कि सोशल मीडिया की लत आपके दिलो-दिमाग को ही नहीं जीवन को भी प्रभावित कर रही है तो सोशल मीडिया डिटॉक्स करना जरूरी है। इसके लिए आपको कुछ उपाय अपनाने होंगे।
  • वैसे तो सोशल मीडिया से आप कितनी देर ब्रेक लेना चाहते हैं इसके लिए कोई निश्चित टाइम नहीं है, फिर भी आप अपने हिसाब से एक दिन, एक सप्ताह या एक महीना चुन सकते हैं।
  • सबसे जरूरी है, मैच्योर माइंड से दिन में टाइम लिमिट निर्धारित करें। दृढ़ संकल्प लें कि सोशल मीडिया का उपयोग कम से कम करना है। खुद के लिए समय निकालें।
  • अपने फोन को दो हिस्से में बांटे कॉलिंग और डाटा। कम्युनिकेशन के लिए बेसिक फोन रखें या स्मार्टफोन भी ऐसा हो, जिसकी इंटरनल मेमोरी या रैम काफी कम हो और वह सोशल मीडिया के विभिन्न एप्स को सपोर्ट ना कर पाए।
  • अपने काम करने, नॉलेज लेने या पढ़ाई करने के लिए महंगे स्मार्टफोन की जगह टैबलेट या वाई-फाई इंटरनेट से चलने वाला स्मार्टफोन ही रखें। इस फोन में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे।
  • कोशिश करें कि चैट ग्रुप्स में शामिल होने के बजाय एजुकेशनल नॉलेज वाली चीजों पर ध्यान दें।
  • नोटिफिकेशन अलर्ट बंद करें। नोटिफिकेशन ना मिलने पर आप बार-बार अपना फोन चेक नहीं करेंगे।
  • रात में सोने के कुछ घंटे पहले मोबाइल फोन को अपनी पहुंच से दूर रखें। जब तक बहुत जरूरी न हो, अपना फोन चेक न करें।
  • खुशियों के लिए समय निकालें, अपनी हॉबीज, एक्सरसाइज, दोस्तों से मिलने-जुलने के लिए खुद को तैयार करें। दूसरों से स्क्रीन पर बात ना कर आमने-सामने बात करें ताकि अंतर्मुखी बनने के बजाय दूसरों से बॉन्डिंग मजबूत हो।

(डॉ. रोहित शर्मा, मनोचिकित्सक, आरोग्य अस्पताल, दिल्ली और डॉ. पूजा आनंद शर्मा, साइकोथेरेपिस्ट, विश्वास हीलिंग सेंटर, दिल्ली से बातचीत पर आधारित)

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