Throat Infection: बारिश का मौसम जब खत्म हो रहा होता है, जब बारिश काफी हो चुकी होती है, मौसम थोडा ठंडा और उमस से भरा होता है, तब वातावरण में मौजूद नमी या आद्र्रता के कारण बैक्टीरिया और वायरस काफी बढ़ जाते हैं। यही कारण है कि इस मौसम में सामान्य फ्लू, पेट खराब होने और गले के इंफेक्शन के मामले बहुत ज्यादा दिखते हैं। वैसे तो गले के इस संक्रमण और दर्द से तात्कालिक राहत पाने के लिए हर चिकित्सा पद्धति में कई दवाएं उपलब्ध हैं, लेकिन इस मामले में कई घरेलू उपायों और नुस्खों को काफी कारगर पाया गया है। अगर आप भी गले के संक्रमण से परेशान हैं या आपके घर में इन दिनों कोई ना कोई गले के इंफेक्शन से पीड़ित है, तो यहां बताई जा रही बातें आपके लिए उपयोगी हो सकती हैं। 

ना बरतें लापरवाही
इस मौसम में होने वाले इंफेक्शन को गंभीरता से लेना चाहिए, जरा भी लापरवाही ना बरतें। अगर 10 दिनों से ज्यादा समय तक गले में खराश, दर्द और चुभन बनी हुई है, तो यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है, इसलिए तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। हम यहां आपको बता रहे हैं कि इस मौसम में गले में होने वाले इंफेक्शन से देसी तरीके से कैसे निपटा जा सकता है? इसके लिए सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि किन वजहों से गले में यह परेशानी होती है और यह भी कि इससे छुटकारा पाने के लिए क्या किया जाए?

आजमाएं ये कारगर उपाय
गले में जैसे ही कुछ कांटे जैसा चुभे, थूंक निगलने में दर्द हो तो तुरंत कुछ उपाय आजमाएं। ये उपाय कई आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की सलाह पर आधारित है।

  • गर्म चीजों का सेवन करें क्योंकि बैक्टीरिया ज्यादा गर्माहट सहन नहीं कर पाते हैं। 
  • गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे शुरू कर दें, इससे खराश और दर्द से राहत मिलती है। 
  • गार्गल करते समय कुछ-कुछ देर तक नमक मिले गुनगुने पानी को मुंह में रखें, लेकिन 5 से 10 सेकेंड ही इससे ज्यादा नहीं। 
  • गार्गल के पूरे प्रोसेस को तीन से चार बार दोहराएं। 
  • गार्गल करने के बाद सीधे खुली हवा या एसी रूम में ना जाएं और गले को कपड़े से अच्छी तरह ढंक कर रखें। 
  • अदरक वाली गर्म चाय पिएं, इससे भी राहत मिलती है। दरअसल, अदरक में बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने की क्षमता होती है।
  • गर्म पानी में 2 चम्मच सेब का सिरका डालकर पिएं। इसका अम्लीय गुण गले के बैक्टीरिया को खत्म करता है।
  • रात में गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी पावडर डालकर पीने से दर्द, सूजन और इंफेक्शन से छुटकारा मिलता है। 
  • तुलसी का काढ़ा बनाकर पीएं, क्योंकि तुलसी में एंटी ऑक्सीडेंट और एंटी बायोटिक गुण पाए जाते हैं।

अगर आपने गले में इन्फेक्शन के एहसास होते ही ये उपाय करते हैं तो 99 फीसदी उम्मीद है कि आप अपने संक्रमित गले को जल्द से जल्द सही कर लेंगे। लेकिन यदि ज्यादा दिन हो गए हों और इंफेक्शन सही होने का नाम ना ले रहा हो तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें। 

संक्रमण से बचाव के उपाय

  • इस बदलते मौसम में चूंकि वातावरण में लगातार बारिश के कारण ठंडक हो जाती है, इसलिए गर्मी लगने या बेचैनी होने के बाद भी एसी कमरे में रात भर ना सोएं। 
  • पंखे के ठीक नीचे या कूलर के पंखे के सामने लेटने से भी बचें। 
  • इस मौसम में अगर आपको हल्की ठंडक महसूस हो रही हो तो गर्म कपड़े पहनने में कोई बुराई नहीं है। 
  • खान-पान में भी सावधानी बरतें। अपनी रोजाना की डाइट में खट्टे फलों को शामिल करें, जो विटामिन-सी से भरपूर होते हैं। इसके कारण जुकाम होने या गले में इंफेक्शन होने की आशंका कम रहती है। 
  • हर मौसम की तरह इस मौसम में भी अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाए रखने के लिए मौसमी फल और हरी सब्जियों से युक्त डाइट लें। 
  • इस मौसम में ठंडा पानी खासकर फ्रिज में रखा ठंडा पानी पीने से बचें। इस मौसम में फ्रिज में रखी ठंडी डिशेज को भी खाने से बचना चाहिए। 
  • रोज रात में सोने के 2 से 3 घंटे पहले डिनर जरूर कर लें। भले आपके इर्द-गिर्द कोई बीमार या इंफेक्शन से पीड़ित ना हो, लेकिन खाना खाने से पहले साबुन से हाथ जरूर धोएं। 
  • इस मौसम में बाजार में मिलने वाली ऑयली और मसालेदार चीजें खाने से बचें। 
  • गर्म के तुरंत बाद ठंडी और ठंडी के तुरंत बाद गर्म चीजों का सेवन तो भूलकर भी ना करें। 
  • गले के इंफेक्शन से बचने के लिए स्मोकिंग और अल्कोहल से भी दूर रहना चाहिए।

ऐसे होता है गले का इंफेक्शन
चूंकि हमारे शरीर के एंट्री पॉइंट नाक और मुंह के जरिए गला होता है, इसलिए प्रदूषित वातावरण में सांस लेते समय वायरस और बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। वैसे तो ये शरीर में प्रवेश करके तुरंत कोई हलचल नहीं मचाते बल्कि चुपचाप पड़े रहते हैं। लेकिन जैसे ही मौसम में उमस और हल्की ठंडक घुलती है तो शरीर में निष्क्रिय पड़े ये बैक्टीरिया सक्रिय हो जाते हैं। आयुर्वेद में इन मौसम में गले में संक्रमण का मुख्य कारण वात, पित्त और कफ का असंतुलित होना बताया गया है। आयुर्वेद के मुताबिक जब शरीर में कफ और वात दूषित हो जाते हैं, तब गले में संक्रमण की परेशानी होती है। गले में इंफेक्शन के लक्षण जितनी जल्दी पता चल जाएं, उतनी जल्दी इसका इलाज किया जाना चाहिए।