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Vajrasana Yogasana: वज्रासन करने में बहुत आसान होता है लेकिन इसे नियमित करने से कई तरह के शारीरिक लाभ होते हैं। इससे आपके नसों की कमजोरी दूर होती है और पाचन भी सही रहता है। इसके करने की विधि, इससे मिलने वाले लाभों और सावधानियों के बारे में जानिए।

Vajrasana Yogasana: नसें शरीर में मौजूद रक्त वाहिकाएं होती हैं, जो अंगों से रक्त को हमारे हृदय तक ले जाती हैं। कई बार एक्सरसाइज की कमी और खान-पान में असंतुलन के कारण हमारी नसें कमजोर हो जाती हैं। नसों के कमजोर होने से हम कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से घिर जाते हैं। इससे हम थोड़ी-थोड़ी देर में थक जाते हैं। जरा सा काम करते ही सांसें फूलने लगती हैं। रह-रह कर पैरों में झुनझुनी महसूस होने लगती है। सिर में अक्सर दर्द रहने लगता है।

नसें कमजोर होने के कारण
ज्यादा टेंशन में रहने के कारण और खान-पान में संतुलन ना होने के कारण नसों में कमजोरी की समस्या पैदा होती है। कई बार ज्यादा काम करने के चलते भी नसें कमजोर हो जाती हैं और कई बार ज्यादा समय तक बैठे रहने के कारण भी नसें कमजोर होकर अकड़ने लगती हैं। नसों की इस कमजोरी के चलते कई दूसरे अंगों में भी कमजोरी आने लगती है। इसलिए यह एक नहीं बल्कि कई सारी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का कारण बन सकती हैं। यूं तो नसों की इस कमजोरी को दूर करने के कई उपाय हैं, जिसमें शरीर में हार्मोन थैरेपी के साथ-साथ खान-पान में परिवर्तन करके नसों की कमजोरी को दूर किया जा सकता है। लेकिन नसों की कमजोरी को कुछ आसनों के जरिए भी दूर कर सकते हैं।

 वज्रासन है कारगर
अगर आप बद्धकोणासन या वज्रासन को नियमित रूप से सही तरीके से करें तो नसों की कमजोरी दूर हो जाती है। वज्रासन के जरिए पीठ और निचले हिस्से की नसों को आसानी से मजबूत बनाया जा सकता है। वज्रासन हमारे शरीर की कमजोर नसों को स्वस्थ बनाकर हमें कई तरह की तात्कालिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से तो छुटकारा दिलाता ही है, यह हमारे शरीर को दीर्घकालिक स्तर पर स्वस्थ रखने का एक सही उपाय भी है। वज्रासन से और भी कई महत्वपूर्ण फायदे होते हैं। यह दिमाग को शांत और स्थिर रखने में मददगार होता है। यह हमारे शरीर की पाचन क्षमता को बढ़ाता है। एसिडिटी और गैस प्रॉब्लम को कम करता है। घुटनों के दर्द को दूर करने में भी यह बहुत कारगर है। इसे नियमित करने से जांघ की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। जिन्हें सालों से पीठ दर्द हो रहा हो, वे वज्रासन के जरिए आसानी से छुटकारा पा सकते हैं।

 वज्रासन करने की विधि
वज्रासन करने के लिए पहले योगा मैट पर घुटनों को मोड़कर पंजों के बल सीधे बैठ जाएं। बैठते समय ध्यान रखें कि दोनों पैरों के अंगूठे आपस में मिलने चाहिए और एड़ियों के बीच में थोड़ी दूरी होनी चाहिए। इस दौरान शरीर का सारा भार पैरों पर हो और दोनों हाथों को पैरों की जांघों पर रखें। वज्रासन करते समय हमारे शरीर का कमर से ऊपर का हिस्सा बिल्कुल सीधा होना चाहिए। थोड़ी देर तक इस मुद्रा में बैठें, जब तक आसानी से बैठना सहन हो रहा हो। जब बैठने में दिक्कत महसूस होने लगे तो जबरदस्ती नहीं बैठे रहना चाहिए बल्कि तुरंत अपनी आराम की मुद्रा में बैठ जाना चाहिए। हर दिन सुबह या शाम या दोनों वक्त वज्रासन करने से शरीर को बहुत फायदे होते हैं।

कितनी देर करें वज्रासन
एक बार वज्रासन की मुद्रा में बैठकर कम से कम 10 सेकेंड तक बैठे रहें, फिर जैसे-जैसे आपका अभ्यास बेहतर हो जाए तो इस 10 सेकंड की समय सीमा को 20 सेकंड तक ले जाएं। एक ऐसा भी वक्त आएगा जब आप 1 से 2 मिनट तक वज्रासन कर सकेंगे। भोजन के बाद 5 से 15 मिनट तक अगर वज्रासन किया जाए तो भोजन का पचना बहुत आसानी से हो जाता है। लेकिन दैनिक रूप में वज्रासन 1 से 3 मिनट तक ही करना चाहिए। वज्रासन करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि शरीर को ज्यादा पीछे की ओर ना खींचे, सिर्फ संतुलन बनाने के लिए शरीर को सीधा रखें। वज्रासन में बहुत लंबी देर तक बैठे रहने पर पैर सुन्न हो जाते हैं और इस स्थिति में कई बार चक्कर आने लगता है। वज्रासन इसलिए एक सुविधाजनक आसन है कि इसे हम अपने उस बिस्तर पर भी कर सकते हैं, जहां पूरी रात सोए हों।

बरतें सावधानी
जिन लोगों को जोड़ों में दर्द की समस्या हो या गठिया की समस्या हो, उन लोगों को वज्रासन नहीं करना चाहिए। जिन्हें रीढ़ की हड्डी की समस्या हो, आंतों में अल्सर हो, हार्निया जैसी समस्या हो, उन्हें भी वज्रासन से बचना चाहिए। यदि शरीर में बहुत थकावट महसूस हो रही हो, तो भी वज्रासन ना करें। बहुत जल्दबाजी में भी वज्रासन नहीं करना चाहिए। बीमार होने पर, सर्जरी हुई हो, शरीर में मोच या फ्रैक्चर हो, तो भी इससे बचना चाहिए।

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