29 May 2024
राहत इंदौरी पिछले 40-45 साल तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुशायरों की शान थे।
आइए जानते हैं राहत इंदौरी के वो शेर, जो उनकी मृत्यु के बाद भी काफी मशहूर हैं।
बीमार को मर्ज की दवा देनी चाहिए मैं पीना चाहता हूं पिला देनी चाहिए
अफवाह थी की मेरी तबियत खराब है लोगों ने पूछ-पूछ कर बीमार कर दिया
अंदर का जहर चूम लिया धुल के आ गए कितने शरीफ लोग थे, सब खुलकर आ गए
दो गज ही सही मगर ये मेरी मिल्कियत तो है ऐ मौत तूने मुझको जमींदार कर दिया
मैं जानता हूं दुश्मन भी कम नहीं लेकिन हमारी तरह हथेली पर जान थोड़ी है
शाखों से टूट जाएं, वो पत्ते नहीं हैं हम आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे
दोस्ती जब किसी से की जाए दुश्मनों की भी राय ली जाए
आंख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
लोग हर मोड़ पे रुक-रुक कर संभलते क्यूं हैं जब इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूं हैं
हों लाख ज़ुल्म मगर बद-दुआ' नहीं देंगे जमीन मां है जमीं को दगा नहीं देंगे