Holi 2024: रंगों का त्योहार होली अपने साथ भरपूर खुशियां लाता है। लेकिन कई बार हम अपनी ही असावधानी और मस्ती के हुड़दंग में इन खुशियों को परेशानी में बदल लेते हैं। कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां केमिकलयुक्त रंगों से होली खेलने के कारण होती हैं।

केमिकल रंगों के दुष्प्रभाव
एक जमाना था जब लोग होली खेलने के लिए प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल करते थे। लेकिन बाद में खतरनाक केमिकलयुक्त रंगों का इस्तेमाल होने लगा, जिनमें माइका, पिसा हुआ कांच, एसिड और कई खतरनाक तत्व होते हैं। जो होली के मौके पर बड़े पैमाने पर बिकते हैं। इनसे त्वचा पर बुरा असर होता है। साथ ही ये रंग आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। आंखों के अलावा ये श्वांस संबंधी कई बीमारियों के कारण भी बन सकते हैं। विशेष रूप से आंखों के लिए ऐसे रंग बेहद खतरनाक होते हैं।

केमिकलयुक्त रंगों से हो सकती है कई बीमारियां
होली खेलते समय कुछ लोग आंखों को इन खतरनाक रंगों के प्रभाव से बचा नहीं पाते, जिससे यह क्षतिग्रस्त हो सकती हैं। होली में बिकने वाले बाजार के कुछ सूखे रंगों में ही नहीं बल्कि रंगों के पेस्ट में भी लेड ऑक्साइड, कॉपर सल्फेट, मरकरी सल्फाइट जैसे केमिकल मिले होते हैं, जिनसे आंखों की एलर्जी, सूजन और अस्थायी अंधापन भी हो सकता है। यही बात होली के मौके पर बाजार में खुले में बिकने वाले गुलाल पर भी लागू होती है। गुलाल में क्रोमियम, लेड, केडमियम, निकिल, मरकरी, जिंक, आयरन जैसे हैवी मेटल्स की मिलावट की जाती है, जो कि हमारे गुर्दों, नर्वस सिस्टम और रिप्रोडक्टिव सिस्टम के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। इसलिए ऑर्गेनिक रंगों से ही होली खेलें। इन्हें बड़ी आसानी से घर में ही बनाया जा सकता है। इस बारे में बता रहे हैं आपको।

हल्दी से बनाए पीला रंग
हम सब जानते हैं कि पीला रंग बहुत पवित्र और शुभ अवसरों का प्रतीक रंग है। इसलिए हल्दी जैसे पीले रंग से होली खेलना हमेशा अच्छा लगता है। इसे घर में बहुत आसानी से बनाया जा सकता है। इसके लिए 50 ग्राम हल्दी लें और उसमें करीब 100 ग्राम बेसन मिला दें। अगर गीला रंग बनाना है तो इसके लिए पानी में हल्दी को घोल लें और बेधड़क होली खेलें। हल्दी के अलावा पीला रंग गेंदे के फूलों को सुखाकर भी बनाया जा सकता है।

सूखा लाल रंग
चंदन हमारी त्वचा के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इसलिए सूखा लाल गुलाल बाजार से खरीदने की बजाय लाल चंदन से इसे घर में बनाएं। इसके लिए गुड़हल के फूलों को सुखाकर उसका पावडर बना लें और देखें कि यह कितनी आकर्षक रंगत देता है। अगर सूखा पावडर कम है और रंग ज्यादा बनाना चाहते हैं तो इसमें थोड़ा मैदा भी मिलाया जा सकता है। अगर सूखे की जगह गीला लाल रंग बनाना है तो लाल चंदन के पावडर को थोड़ी देर पानी में उबालने के बाद इस लाल रंग के पानी से जमकर होली खेलें। पानी की इस फुहार से वातावरण तो सुगंधमय होगा ही, त्वचा पर किसी किस्म के दाग-धब्बे का कोई  खतरा भी नहीं होगा। इसी तरह अनार के दानों को पानी में उबालकर भी प्राकृतिक लाल रंग बनाया जा सकता है।

गाढ़ा-हल्का मजेंटा
मजेंटा रंग हासिल करना थोड़ा मुश्किल लगता है, लेकिन ऐसा नहीं है। बीट रूट यानी चुकंदर इसके लिए बेस्ट रहता है। होली के कुछ दिनों पहले ही बीट रूट को सुखा लें। जब यह पूरी तरह सूख जाए तो इसे पीस लें। यह पाउडर की तरह बारीक हो जाएगा जो कि होली को रंगीन बनाने में काम आएगा। अगर हल्का मजेंटा रंग बनाना चाहते हैं तो थोड़ी और मेहनत करें यानी प्याज के छिलकों को आधा लीटर पानी में उबाल लें, इससे हल्का मजेंटा रंग तैयार हो जाएगा।

जामुनी रंग
जामुनी रंग बनाने के लिए काले अंगूरों को या जामुन को उबाला जा सकता है। ध्यान रखें कि पानी ठंडा हो जाने के बाद ही रंगीन पानी का इस्तेमाल करें।