Life Style: बड़े या कहें महान हस्तियों की पहली निशानी है कि वे जो भी बोलते हैं, जो भी करते हैं, उसके पीछे एक जबरदस्त विचार छिपा होता है। जब हम बड़े लोगों के विचारों को जानते हैं या पढ़ते हैं तो वो बातें या विचार उनकी कभी किसी आयोजन में तैयारी करके व्यक्त की बातें या विचार भर नहीं होते, ये वे बातें होती हैं, जो उनकी जिंदगी में हर पल शामिल होती हैं। वास्तव में यही इनके जीने का सहज तरीका होता है।
उचित नहीं भूल छुपाना
महात्मा गांधी को यूं ही पूरी दुनिया महान नहीं मानती थी। उनकी इस महानता में उनकी रोजमर्रा की जिंदगी की छोटी-छोटी बातों का बड़ा फलक शामिल था। मसलन, वे कहा करते थे, ‘भविष्य में क्या होगा, मैं यह नहीं सोचता, मुझे तो वर्तमान की चिंता है। ईश्वर ने आने वाले क्षणों पर नियंत्रण की कोई चाबी नहीं दी है।’ वे यह भी कहा करते थे, ‘भूल करने में जो पाप है, उसमें भले आपकी बड़ी भूमिका न हो, लेकिन भूल को छिपाने में हमारी सबसे बड़ी भूमिका होती है।’
20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में हुए महान कहानीकार मुंशी प्रेमचंद का कहना था, ‘अगर हम अपनी भूल अपने हाथों ही सुधार लें तो इससे अच्छा कुछ नहीं और अगर कोई दूसरा हमारी भूल सुधारे तो बड़प्पन इसी में है कि हम स्वीकार करें कि हम भूल कर रहे थे और हम सुधारने वाले को इज्जत दें कि हमारी भूल को उसने सुधारा।’
जुनून से मिलती है प्रेरणा
हर महान व्यक्ति की हर बात के गहरे अर्थ होते हैं। इसलिए किसी भी बात को हवा में नहीं उड़ाना चाहिए। 20वीं शताब्दी के सबसे सफल लोगों में से एक स्टीव जॉब्स कहा करते थे, ‘यदि आपके मन में ईमानदारी से किसी खास चीज के लिए जुनून है, तब आपको आगे बढ़ने में किसी की प्रेरणा की जरूरत नहीं होगी। आपका नजरिया, आपकी चाहत ही सबसे बड़ी प्रेरणा होगी।’
विनम्रता बनाती है महान
कवि रवींद्रनाथ टैगोर का कहना था, ‘कभी भी यह विचार मन में लाकर प्रार्थना न करें कि कभी हमारे सामने कोई समस्या न आए बल्कि यह सोचकर प्रार्थना करें कि जब भी हम किसी समस्या में फंसें तो उसका बेहतर तरीके से सामना करें।’ वे यह भी कहा करते थे, ‘अगर आपने गलतियां करने के लिए अपने दरवाजे ही बंद कर लिए, तो समझदारी आपके दरवाजे के बाहर ही बैठी रहेगी।’ उनके कहने का मतलब साफ था कि समझदारी गलतियां करके ही आती है या गलतियां भी हों तो समझदारी के लिए यह किया जा सकता है। उनका यह भी कहना था, ‘जब हम विनम्र होकर महान होते हैं, तभी महान होते हैं और अगर हम महान तो हैं लेकिन विनम्र नहीं हैं, तो हमारी
महानता भी अर्थहीन है।’
स्वयं करें अपने को प्रेरित
वास्तव में जब हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के हर क्षण अपने ध्येय, अपने जुनून के प्रति ईमानदार होते हैं और लगातार उसके लिए समर्पित होते हैं, तो हमारे अंदर से निकली हुई हर बात, हमारी हर गतिविधि महान होती है। कुछ लोग उत्साही स्वभाव को आपकी खामी बताने की कोशिश करते हैं, लेकिन दुनिया के तमाम उदाहरणों से स्पष्ट है कि सफलता उन्हीं को आसानी से हाथ लगती हैं, जो उत्साही होते हैं। वास्तव में दुनिया में किसी और के मुकाबले खुद को प्रेरित करना मुश्किल नहीं है बशर्ते, हम ईमानदारी से यह कोशिश करें। जबकि होता यही है कि आमतौर पर लोग दूसरों से प्रेरणा की उम्मीद करते हैं और खुद को महत्वपूर्ण नहीं समझते। यह सबसे बड़ा सच है कि आपको आपसे बेहतर कोई और नहीं जानता। इसलिए अपने आपको मोटिवेट करना भी आपके लिए ही सबसे ज्यादा आसान है। अगर आप वास्तव में कुछ बड़ा करना चाहते हैं तो महज सोचने से कुछ बड़ा नहीं हो जाएगा। स्वामी दयानंद सरस्वती कहते थे, ‘अगर कुछ सर्वश्रेष्ठ पाना है तो पहले आप अपना सर्वश्रेष्ठ दीजिए और देने के लिए आपके पास सिर्फ मेहनत, लगन और जुनून ही है, इसलिए सफलता पाने के लिए इसी रास्ते पर आगे बढ़िए।’ वास्तव में बड़े लोगों से सीखना तब ही आसान है, जब हम उनके किसी खास गुण या खास विचार की बजाय उनकी जिंदगी की छोटी-छोटी बातों को गंभीरता से देखें, सुनें और समझें, साथ ही उन पर अमल करें वरना बड़े लोगों की बड़ी बातों का भी हमें कोई फायदा नहीं मिलेगा।
कीर्तिशेखर