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Tips to Stay Positive: किसी रोग से ग्रस्त होने के बावजूद, अगर आप अच्छा-पॉजिटिव सोचेंगे तो न केवल अच्छा महसूस करेंगे, बल्कि इससे आपके स्वास्थ्य में भी तेजी से सुधार होगा।

Tips to Stay Positive: किसी रोग से ग्रस्त होने के बावजूद, अगर आप अच्छा-पॉजिटिव सोचेंगे तो न केवल अच्छा महसूस करेंगे, बल्कि इससे आपके स्वास्थ्य में भी तेजी से सुधार होगा। इसके विपरीत नेगेटिव विचारों, चिंता या भय से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है। ऐसा क्यों होता है और इससे कैसे अपना बचाव करें, आपको जरूर जानना चाहिए।

आपने इस बात पर गौर किया होगा कि जब भी घर में कोई बीमार होता है, तो परिवार के बुजुर्ग सदस्य यही कहते हैं, कोई बात नहीं चिंता न करो, दवा समय पर लेते रहो, आराम करो, जल्द ही ठीक हो जाओगे। ऐसी बातें केवल बीमार को झूठा दिलासा देने या उसका मन बहलाने के लिए नहीं कही जातीं, बल्कि इसके पीछे यह मनोवैज्ञानिक तथ्य छिपा होता है कि अच्छा और पॉजिटिव सोचने पर सब कुछ अच्छा ही होता है। दरअसल, ब्रेन ही हमारी सभी शारीरिक-मानसिक क्रियाओं को नियंत्रित करता है, इसलिए जब हम अच्छा सोचते हैं तो हमें अच्छा महसूस भी होता है। फिर हमारी सारी गतिविधियां भी पॉजिटिव दिशा की ओर अपने आप बढ़ने लगती हैं।

शोध से हो चुका प्रमाणित
वर्षों पहले वैज्ञानिक अध्ययन से भी इस तथ्य की पुष्टि हो चुकी है कि पॉजिटिव सोचने वाले अधिक हेल्दी रहते हैं। अमेरिकी वैज्ञानिक वाल्टर पी. कैनेडी ने 1961 में सबसे पहले नोसेबो इफेक्ट शब्द का प्रयोग किया था। इस टर्म की उत्पत्ति लैटिन शब्द ‘नोसेरे’ से हुई थी, जिसका अर्थ होता है-नुकसान पहुंचाना। उपचार के दौरान बीमार व्यक्ति के मनोदशा पर उसके सकारात्मक विचारों का क्या असर होता है, यह जानने के लिए वैज्ञानिकों ने जब उन पर अध्ययन किया तो उन्हें पता चला कि अच्छे परिणाम के बारे में सोचकर दवाओं का सेवन करने वाले लोगों की हेल्थ में तेजी से सुधार होता है। इस प्रभाव का नाम प्लेसिबो इफेक्ट दिया गया, जिसका अर्थ होता है, मैं शीघ्र स्वस्थ हो जाऊंगा। इसी अध्ययन के अपोजिट इफेक्ट को समझने के दौरान नोसेबो इफेक्ट का प्रभाव सामने आया। इन दोनों ही तरह अध्ययनों में कई रोचक परिणाम सामने आए। जैसे मामूली सिरदर्द होने पर वैज्ञानिकों ने लोगों को दर्द निवारक रहित टॉफी जैसी कोई सादी गोली दी, जिसे लेने के बाद लोगों ने कहा कि उन्हें आराम महसूस हो रहा है, जबकि वास्तव में उन्हें कोई दवा दी ही नहीं गई थी। इसी तरह कोविड काल के दौरान प्रयोग के तौर पर कुछ लोगों को यह बताकर विटमिन के कुछ ऐसे हलके इंजेक्शन दिए गए कि उन्हें कोविड से बचाव का वैक्सीन लगाया जा रहा है। चूंकि लोगों को पहले से इसके साइड इफेक्ट के बारे में मालूम था, इसलिए उन्हें सिरदर्द, नॉजिया और बुखार का भ्रम होने लगा। जबकि वास्तव में उन्हें कोई वैक्सीन नहीं लगाया गया था। टीके के असर के बारे में नकारात्मक बातें सोचने के कारण लोगों को ऐसी तकलीफ महसूस हो रही थी।

नेगेटिव सोच का इफेक्ट
जो लोग अपनी हेल्थ के प्रति जरूरज से ज्यादा सचेत होते हैं, उनमें भी नोसेबो इफेक्ट के लक्षण नजर आते हैं। अब तक किए गए अध्ययनों से यह तथ्य सामने आया है कि जब कोई व्यक्ति लगातार यही सोचे कि मुझे दर्द हो रहा है, मुझे अमुक बीमारी है तो कुछ समय के बाद वाकई उसे दर्द होने लगता, हालांकि वास्तव में वह शारीरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ होता है, लेकिन मनोवैज्ञानिक कारणों से उसके शरीर में बीमारियों जैसे लक्षण भी प्रकट होने लगते हैं।

इंटरनेट नॉलेज भी है वजह
आजकल किसी भी स्वास्थ्य समस्या का नाम सुनते ही लोग सबसे पहले इंटरनेट पर उसके बारे में सर्च करना शुरू कर देते हैं। उसके लक्षणों से अपना मिलान करने लगते हैं। सच्चाई यह है कि इंटरनेट पर मौजूद हर जानकारी पूरी तरह सही नहीं होती है। कई बार किसी स्वास्थ्य समस्या का विवरण कुछ इस तरह दिया जाता है कि उस जानकारी से लोग भयभीत हो जाते हैं और बीमार न होने पर भी खुद को गंभीर रोग का मरीज समझने लगते हैं। 

गैजेट्स से रहें दूर
खुद को बीमार मानने की सोच से उबरने के लिए 24 घंटे स्मार्ट वॉच जैसे गैजेट्स से दूर रहना भी जरूरी है। अनेक हेल्थ एप्स का इस्तेमाल करने वाले लोग हमेशा इसी चिंता से त्रस्त रहते हैं कि आज दस हजार कदम चलने का मेरा टारगेट पूरा नहीं हुआ, कल रात मैं आठ घंटे की नींद नहीं ले पाया, मेरा ब्लड प्रेशर बढ़ रहा है, नाड़ी तेज गति से चल रही है। इस तरह से कई बार गैजेट्स और हेल्थ एप्स भी लोगों को हेल्थ एंग्जायटी का मरीज बना देते हैं, इनकी वजह से स्वस्थ व्यक्ति भी स्वयं को थका हुआ और बीमार महसूस करने लगता है। 
बीमार होने की सोच वाली समस्या से बचाव के लिए गैजेट्स का सीमित इस्तेमाल करें और इंटरनेट पर मौजूद हर जानकारी पर भरोसा ना करें। अपनी हेल्थ के बारे में हमेशा अच्छा और पॉजिटिव सोचें तो हेल्दी, एक्टिव और एनर्जेटिक रहेंग। 

ऐसे करें बचाव
बीमार होने की नेगेटिव सोच से बचने के लिए थॉट रिप्लेसमेंट का तरीका अपनाएं। जब भी आपके मन में सेहत के प्रति कोई नकारात्मक विचार आए तो सचेत तरीके से उसी वक्त उन बातों से अपना ध्यान हटाकर अच्छी बातें सोचना शुरू कर दें कि मैं शीघ्र स्वस्थ हो जाऊंगा। मैं लगातार ठीक हो रहा हूं। तार्किक ढंग से सोचें और अपने जीवन की वास्तविकता को पहचानें। जब हेल्थ को लेकर मन में कोई डर या चिंता महसूस हो तो इस बात पर विचार करें कि हर बीमारी उपचार संभव है तो फिर परेशान नहीं होना चाहिए। इसके अलावा नकारात्मक बातों से ध्यान हटाने के लिए मनपसंद संगीत सुनें, प्रेरक किताबें पढ़ें या अपनी रुचि से जुड़े कार्यों में स्वयं को व्यस्त रखें। ध्यान और योग को नियमित रूप से अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

(मनोवैज्ञानिक सलाहकार विचित्रा दर्गन आनंद से बातचीत पर आधारित)

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