1984 Anti-Sikh Riots Case: दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में आरोप तय करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में तीन लोगों की हत्या के आरोपियों के खिलाफ आगे की कार्यवाही के लिए मजबूत आधार है। कोर्ट 13 सितंबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगी। इस दौरान टाइटलर को अदालत में हाजिर रहने का आदेश दिया गया है।
कांग्रेस नेता टाइटलर पर इन धाराओं में आरोप
जगदीश टाइटलर को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 148 (घातक हथियारों के साथ दंगा) के तहत पहले ही बरी कर दिया गया था। स्पेशल जज राकेश स्याल ने मामले की अगली सुनवाई 13 सितंबर को तय की है। टाइटलर को आईपीसी की धारा 143 (बिना अनुमति के सभा), 147 (दंगा), 153A (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 188 (शासकीय कर्मचारी के आदेश की अवहेलना), 295 (पूजा स्थल को अपवित्र करना), 436 (आग या विस्फोटक पदार्थ के द्वारा घर को नष्ट करना), 451 (घर में घुसना), 380 (आवासीय घर में चोरी), 149 (सामान्य उद्देश्य), 302 (हत्या) और 109 (उकसाना) के तहत आरोप तय किए जाएंगे और उन्हें अदालत में हारिज रहना होगा।
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुआ था कत्लेआम
- यह केस 1 नवंबर 1984 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के अगले दिन सिख समुदाय के तीन लोगों, बादल सिंह, सरदार ठाकुर सिंह और गुरुचरण सिंह की हत्या और पुल बंगश गुरुद्वारा को आग लगाने से जुड़ा है। दिल्ली पुलिस ने उसी दिन इस मामले में केस दर्ज किया था।
- सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI) ने नवंबर 2005 में नानावती आयोग की सिफारिशों पर इस मामले को फिर से दर्ज किया। यह आयोग 2000 में गठित हुआ था और इसने 5 साल बाद अपनी रिपोर्ट पेश की थी।
CBI ने 6 गवाहों के बयानों के आधार तैयार की चार्जशीट
- ट्रायल कोर्ट ने 26 जुलाई को दायर चार्जशीट पर संज्ञान लिया और टाइटलर को कोर्ट में पेश होने के लिए समन जारी किया है। टाइटलर ने अग्रिम जमानत के लिए अर्जी लगाई थी, जिसे अदालत ने उनकी व्यक्तिगत और बांड की शर्तों के साथ रेगुलर बेल में बदल दिया।
- चार्जशीट में कहा गया है कि CBI ने 6 गवाहों के बयानों के आधार पर टाइटलर की मौका-ए-वारदात पर उपस्थिति की पुष्टी की है। इनमें से चार गवाहों ने उन्हें भीड़ को उकसाते हुए देखा। चार्जशीट में यह भी आरोप है कि टाइटलर ने अपनी निर्वाचन क्षेत्र में कम सिखों की हत्या पर निराशा जताई और जांच को प्रभावित करने और गवाहों को धमकाने की कोशिश की।