RSS Ban Removed: केंद्र की मोदी सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी पर लगे 'प्रतिबंध' को हटा दिया है। कांग्रेस ने रविवार को एक कथित सरकारी आदेश का हवाला देते हुए यह दावा किया है। हालांकि, इस सरकारी आदेश की सत्यता की तुरंत पुष्टि नहीं की जा सकी, लेकिन बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने भी इस आदेश का स्क्रीनशॉट साझा किया और कहा कि मोदी सरकार ने 58 साल पहले जारी किए गए एक 'असंवैधानिक' निर्देश को वापस ले लिया है। बता दें कि कांग्रेस सरकार ने 1966 में आरएसएस पर यह प्रतिबंध लगाया था।
सरकार के नए आदेश में क्या लिखा है?
कांग्रेस महासचिव (कम्युनिकेशन) जयराम रमेश ने 9 जुलाई को कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा जारी एक ऑफिस नोटिस (OM) का हवाला दिया, जो सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने से जुड़ा था।
कथित आदेश में लिखा है- हस्ताक्षरकर्ता को OM (कार्यालय ज्ञापन).. दिनांक 30.11.1966, OM नंबर 7/4/70-Est.(B) दिनांक 25.07.1970 और OM नंबर 15014/3(S)/80-Estt. (B) दिनांक 28.10.1980 के संदर्भ में निर्देशित किया गया है। उपरोक्त निर्देशों की समीक्षा की गई और यह फैसला लिया लिया गया है कि दिनांक 30.11.1966, 25.07.1970 और 28.10.1980 के विवादित OM में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का उल्लेख हटाया जाए।
अब तो नौकरशाही भी आ सकती है निक्कर में: रमेश
आदेश की फोटो शेयर कर रमेश ने कहा- "सरदार पटेल ने गांधी जी की हत्या के बाद फरवरी 1948 में आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। बाद में अच्छे व्यवहार के आश्वासन पर प्रतिबंध हटा लिया गया। इसके बाद भी आरएसएस ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया। 4 जून, 2024 के बाद स्वयंभू नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री और आरएसएस के बीच रिश्तों में खटास आई। 9 जुलाई, 2024 को 58 साल का प्रतिबंध जो कि श्री वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान भी लागू था, उसे हटा दिया गया है। मेरा ख्याल है कि अब तो नौकरशाही भी निक्कर में आ सकती है।" बता दें कि आरएसएस की वर्दी 2016 में खाकी शॉर्ट्स से ब्राउन पैंट में बदल गई थी।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने 30 नवंबर 1966 के मूल आदेश का स्क्रीनशॉट भी साझा किया, जिसमें आरएसएस और जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी पर प्रतिबंध लगाया गया था।
प्रचार प्रमुख ने बताया 99 साल से सेवा कर रहा आरएसएस
अखिल भारतीय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पिछले 99 वर्षों से लगातार राष्ट्र के पुनर्निर्माण और समाज की सेवा में लगा हुआ है। राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता और प्राकृतिक आपदाओं के समय आरएसएस के योगदान के कारण देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने समय-समय पर आरएसएस की भूमिका की प्रशंसा की है। तत्कालीन सरकार ने अपने राजनीतिक स्वार्थों के कारण सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस जैसे रचनात्मक संगठन की गतिविधियों में भाग लेने से अनुचित रूप से प्रतिबंधित कर दिया था। सरकार का हालिया निर्णय उचित है और इससे भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था मजबूत होगी।
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने शेयर किया आदेश
- 9 जुलाई के आदेश को टैग करते हुए बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा- "1966 में 58 साल पहले जारी किए गए असंवैधानिक आदेश को मोदी सरकार ने वापस ले लिया है, जिसमें सरकारी कर्मचारियों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया गया था। भाजपा नेता ने कहा कि मूल आदेश को पहली जगह में जारी नहीं किया जाना चाहिए था।
- आदेश का स्क्रीनशॉट साझा करते हुए कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि 58 साल पहले, केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया था। मोदी सरकार ने इस आदेश को वापस ले लिया है।
सांस्कृतिक संगठनों को ऐसी अनुमति नहीं दी जानी चाहिए: ओवैसी
दूसरी ओर, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सरकार के फैसले का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि यह देश की एकता और अखंडता के साथ खिलवाड़ है। महात्मा गांधी की हत्या के बाद सरदार पटेल और नेहरू की सरकार ने आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रतिबंध हटा दिया गया था क्योंकि उन्हें इस बात पर सहमत होना था कि वे भारतीय संविधान का सम्मान करेंगे। वे भारत के राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान करेंगे और उन्हें अपना लिखित संविधान देना पड़ा और उसमें कई शर्तें थीं कि वे राजनीति में भाग नहीं लेंगे, आज यह भाजपा-एनडीए सरकार उस संगठन को अनुमति दे रही है जिसमें सरकारी कर्मचारी भाग ले सकते हैं आरएसएस की गतिविधियों में मुझे लगता है कि यह बिल्कुल गलत है, क्योंकि आरएसएस का सदस्यता प्रपत्र कहता है कि वे भारत की विविधता पर विचार नहीं करते हैं, मेरा मानना है कि सभी सांस्कृतिक संगठनों को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
#WATCH | Delhi: On government employees can now participate in RSS activities, AIMIM MP Asaduddin Owaisi says, "After the assassination of Mahatma Gandhi, Sardar Patel and Nehru's government banned RSS. The ban was lifted because they had to agree that they will respect the… pic.twitter.com/NwLQ5RzP4f
— ANI (@ANI) July 22, 2024
RSS राजनीतिक संस्था, कर्मतारी तटस्थ रहें: कांग्रेस
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि आरएसएस पर प्रतिबंध राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या में संदिग्ध तौर पर जुड़े होने के कारण लगा था। जिसे अब सरकार ने हटा दिया है, कर्मचारियों को इसमें शामिल नहीं होना चाहिए। आरएसएस एक राजनीतिक संस्था है, उन्हें तटस्थ रहना चाहिए। राजनीतिक गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों को क्यों शामिल किया जा रहा है। हम इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे।