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BJP 2024 Game plan: छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय और मध्य प्रदेश में डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया। दोनों नाम कयासों से परे थे। सभी राजनीतिक पंडितों की बातें धता साबित हुईं।

BJP 2024 Game plan: छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय और मध्य प्रदेश में डॉ. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया। राजस्थान में भजन लाल शर्मा को सीएम बनाया गया। तीनों नाम कयासों से परे थे। सभी राजनीतिक पंडितों की बातें धता साबित हुईं। फिलहाल अब तीनों मुख्यमंत्रियों का चयन 2024 लोकसभा चुनाव से पहले जाति/वर्ग को साधने के लिए भाजपा का मास्टर स्ट्रोक बताया जा रहा है। इस मास्टर स्ट्रोक के पीछे संघ का हाथ माना जा रहा है। 

मसलन, छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदायों की आबादी 32 फीसदी है। भाजपा किसी ओबीसी या अन्य पिछड़ा वर्ग पर भी भरोसा कर सकती थी। लेकिन पार्टी ने आदिवासी नेता विष्णु देव साय को चुना।  

इसी तरह मध्य प्रदेश में भाजपा ने एक सख्त और चौंकाने वाला कदम उठाया। मध्य प्रदेश में ओबीसी 50 फीसदी हैं। मोहन यादव इसी वर्ग से आते हैं। मोहन यादव के साथ दो उप मुख्यमंत्रियों को कुर्सी देनी पड़ी। जगदीश देवड़ा दलित और ब्राह्मण चेहरे के तौर पर राजेंद्र शुक्ला उप मुख्यमंत्री बनाए गए। एक ठाकुर पूर्व केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया। 

Vishnu Deo Sai
छत्तीसगढ़ में सीएम विष्णु देव साय का पद भी बनाया गया है।

विष्णु देव साय को CM क्यों बनाया गया?
छत्तीसगढ़ में भाजपा ने सरगुजा और बस्तर के आदिवासी इलाके में 26 में से 22 सीटें जीती हैं। ऐसे में विष्णु देव साय का नाम सबसे आगे सामने आया। हालांकि भाजपा के लिए विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री के रूप में चुनना सिर्फ आदिवासी मतदाताओं को सम्मान देना नहीं है बल्कि यह 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की राह आसान करना है। 

छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे छह राज्यों में से दो मध्य प्रदेश में 22 फीसदी और झारखंड में 26 फीसदी आदिवासियों की संख्या अच्छी-खासी है। उड़ीसा भी आदिवासी बहुल राज्य है। यहां से राष्ट्रपति मुर्मू खुद आती हैं। ओडिशा में आदिवासी समुदायों की आबादी 23 प्रतिशत से अधिक है।

छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री बनाने से भाजपा को 2024 के चुनावों से पहले इन राज्यों में खुद को आदिवासी-हितैषी चेहरे के रूप में पेश करने में मदद मिलेगी। छत्तीसगढ़, एमपी, ओडिशा और झारखंड में मिलाकर 75 लोकसभा सीटें हैं। जिनमें से 20 आदिवासी समुदायों के लिए आरक्षित हैं। 

 Dr Mohan Yadav
Dr. Mohan Yadav

मध्य प्रदेश के मन को भाए मोहन, क्या यूपी को भी रास आएंगे?
मध्य प्रदेश में भी भाजपा की नजर आदिवासी वोटों पर है। पार्टी ने एसटी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित 47 विधानसभा सीटों में से 24 पर जीत दर्ज की है। ऐसे में जगदीश देवड़ा को उप मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने इस जाति को साधा है। दूसरे उप मुख्यमंत्री के रूप में एक ब्राह्मण चेहरे राजेंद्र शुक्ला का चुनाव उच्च जाति के मतदाताओं को खुश रखने के लिए किया गया। 

यदि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की बात करें तो मध्य प्रदेश में यादव कुल आबादी का 6 फीसदी हैं। हालांकि बिहार में सबसे बड़ा ओबीसी समूह (14 प्रतिशत से अधिक) हैं और यूपी में आबादी का लगभग 10 प्रतिशत यानी कुल 30 प्रतिशत हैं। ऐसे में भाजपा राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्यों उत्तर प्रदेश और बिहार पर अपनी नजरें गड़ाए हुए है। अगले साल लोकसभा चुनाव में दोनों प्रदेश 120 सांसद भेजेंगे।

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के रूप में एक यादव चेहरा तीन राज्यों में फैले समुदाय के सशक्तिकरण का संदेश है जो कुल मिलाकर 149 सांसदों को संसद में भेजता है। इसे विपक्ष में यादवों यूपी में समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के तेजस्वी यादव पर कटाक्ष के रूप में भी देखा गया है।

Rajasthan
Bhajan Lal Sharma

राजस्थान में ब्राह्मण राजनीतिक रूप से प्रभावी नहीं, फिर क्यों CM बने भजनलाल?
राजस्थान में भाजपा नेतृत्व ने सामान्य वर्ग से आने वाले भजन लाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया है। उनके पास न तो मंत्री पद का कोई अनुभव है न ही विधायकी का। पहली बार सांगानेर विधानसभा से चुनाव जीते हैं। हालांकि उन्होंने संगठन में लंबे समय तक काम किया है और संघ से भी गहरा जुड़ाव रहा है। शायद यही उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी। 

भजन लाल शर्मा को भाजपा नेतृत्व ने यूं ही नहीं चुना, इसके पीछे गूढ़ रहस्य छिपा है। भाजपा सत्ता विरोधी लहर से बचना चाहती है। इसलिए बिलकुल नया चेहरा लेकर सामने आई। यदि जाति की बात करें तो राजस्थान में ब्राह्मण राजनीतिक रुप से प्रभावशाली नहीं हैं। लेकिन पड़ोसी राज्य यूपी के लिए बिलकुल फिट समीकरण है। यूपी में 10 फीसदी ब्राह्मण आबादी है। हरियाणा में 12 फीसदी ब्राह्मण हैं। वहीं मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में ये करीब 5 फीसदी हैं। ये राज्यसभा लोकसभा में 145 सांसद भेजते हैं। जिसमें सामान्य श्रेणी की 114 सीटें हैं। 

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